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टिड्डियों के कारण चमत्कार, बढ़ सकती है डिमांड, किसानों का टेंशन होगा कम!

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मिशिगन (अमेरिका), 7 अगस्त: हाल ही में पंजाब सरकार टिड्डी दल के हमलों की आशंका को देखते हुए टेंशन में आ चुकी है। वहां कई जिलों में कपास की फसलों को टिड्डियों की वजह से नुकसान की आशंका है। दूसरी तरफ इटली में कई दशकों बाद सबसे बड़ा टिड्डियों का प्रकोप हुआ है। हजारों एकड़ की फसलें चौपट हो चुकी हैं। किसान हाहाकार मचा रहे हैं। लेकिन, इन बुरी खबरों के बीच टिड्डियों की वजह से एक चमत्कार होने की भी संभावना है। वैज्ञानिकों को पता चला है कि एक टिड्डी में इतना दम है कि वह कई इंसानों को मौत के मुंह में जाने से रोक सकता है। पढ़िए ये खास रिपोर्ट

टिड्डियों के कारण मेडिकल साइंस में चमत्कार!

टिड्डियों के कारण मेडिकल साइंस में चमत्कार!

हर साल देश के कई राज्यों में किसानों की टेंशन बढ़ाने वाली टिड्डियों के कारण मेडिकल साइंस में चमत्कार होने की उम्मीद बढ़ गई है। जो काम बड़ी-बड़ी मशीनें नहीं कर पा रही हैं, वह छोटी टिड्डियां करने सक्षम हैं, सिर्फ इस बात अंदाजा अब हुआ है। लाखों एकड़ की फसलें चौपट करने की वजह से कुख्यात रहीं टिड्डियों में कैंसर का पता लगाने की जबर्दस्त शक्ति है, यह बात अब पता चल रही है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि टिड्डियों में इतनी क्षमता है कि वे ना सिर्फ सूंघकर कैंसर सेल का पता लगा लेते हैं, बल्कि वह अलग-अलग कैंसर सेल का विभाजन करने में भी माहिर हैं।

कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने में सक्षम-रिपोर्ट

कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने में सक्षम-रिपोर्ट

मिरर की एक रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है टिड्डियों का इस्तेमाल शुरुआती स्टेज में ही कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का पता लगाने में किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह कीट स्वस्थ कोशिकाओं और कैंसर कोशिकाओं में अंतर को सूंघकर पता लगा लेते हैं, जिससे इंसानों में होने वाली इस बीमारी का पता लगाने का एक नया और चमत्कारिक तरीका विकसित हो सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक जब टिड्डियों का ब्रेन कैंसर सेल को सूंघता है, तो वह अलग-अलग रासायनिक सेंसर भेजता है, जिसके माध्यम से नई मशीनों से इस बीमारी का पता लगा लेना काफी आसान हो सकता है।

कैंसर की स्टेज का भी पता चल जाएगा-रिपोर्ट

कैंसर की स्टेज का भी पता चल जाएगा-रिपोर्ट

ऐसी छोटी मशीनों को सिर्फ मरीज के सांस के सैंपल की आवश्यकता होगी, जिसके जरिए टिड्डियों की सूंघने की क्षमता का इस्तेमाल करके बीमारी का पता लगा लिया जाएगा। मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के एसिस्टेंट प्रोफेसर देबजीत साहा ने कहा, 'सैद्धांतिक रूप से, आपको एक डिवाइस के माध्यम से सांस लेना होगा, जो कई प्रकार के कैंसर का पता लगाने और अंतर करने में सक्षम होगा; यहां तक कि रोग किस चरण में है....।'

कैंसर के उपचार में चमत्कार की जगी उम्मीद

कैंसर के उपचार में चमत्कार की जगी उम्मीद

अगर वैज्ञानिकों को अपने इस नए प्रयोग में पूरी तरह सफलता हासिल हो जाती है तो पूरी दुनिया में कैंसर के इलाज की दिशा में चमत्कार होना तय है, क्योंकि शुरुआती चरणों में कैंसर का पता चलना ही, इस बीमारी से रोगियों के बचने की गारंटी बढ़ा देगा। उनका कहना है कि वैज्ञानिक इस तरह की डिवाइस पर 15 साल से ज्यादा पर काम कर रहे हैं, हालांकि अबतक कुछ खास हाथ नहीं लगा था। अब शोधकर्ताओं ने कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने के लिए टिड्डियों के इस्तेमाल करने का फैसला किया है।

प्रोटेबल डिटेक्शन डिविसाइस विकसित करने की योजना

प्रोटेबल डिटेक्शन डिविसाइस विकसित करने की योजना

वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि टिड्डियों का दिमाग स्वस्थ कोशिकाओं की तुलना में कैंसर कोशिकाओं के विभिन्न रासायनिक गंधों को सूंघ लगता है। यह कीड़ा ना सिर्फ कैंसर की पहचान कर सकता है, बल्कि यह कैंसर की अलग-अलग रेखाओं का भी पता लगा लेता है। वैज्ञानिक अब इस खोज के आधार पर एक प्रोटेबल डिटेक्शन डिविसाइस विकसित करने की योजना पर काम कर रहे हैं।

'तो कैंसर एक इलाज योग्य रोग होगा'

'तो कैंसर एक इलाज योग्य रोग होगा'

डॉक्टर सिर्फ मरीजों को नई डिवाइस में सांस छोड़ने के लिए कहेंगे और उन्हें उसकी स्थिति का पता लगाने में देर नहीं होगी। इंस्टीट्यूट ऑफ क्वान्टिटेटिव हेल्थ साइंस एंड इंजीनियरिंग के प्रोफेसर क्रिस्टोफर कोंटैग ने कहा, 'प्रारंभिक पहचान बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है, और हमें वहां पहुंचने के लिए हर संभव उपकरण का उपयोग करना चाहिए, चाहे वह इंजीनियरिंग के माध्यम से हो या लाखों वर्षों के प्राकृतिक रूप से हमें जो प्रदान किया गया है।' उन्होंने कहा, 'अगर हम कामयाब रहे, तो कैंसर एक इलाज योग्य रोग होगा।'

टिड्डियों का छोटा झुंड एक दिन में 35,000 लोगों का खाना खाने में सक्षम

टिड्डियों का छोटा झुंड एक दिन में 35,000 लोगों का खाना खाने में सक्षम

वैसे तो टिड्डियां फसलों की दुश्मन हैं और जिसके चलते यह किसानों और इंसानों पर कहर बनकर टूटती हैं। अर्थ डॉट ओआरजी के मुताबिक एक वर्ग किलोमीटर के एक छोटे से झुंड में 8 करोड़ तक टिड्डियां हो सकती हैं। यह इतनी टिड्डियां हैं, जो एक दिन में उतना ही खाना चट कर जा सकती हैं, जो 35,000 लोगों के लिए उस दिन की खुराक हो सकती है। जबकि, जब वह बड़ी झुंड में होती हैं तो उतनी फसलें खा जा सकती हैं, जिससे 8.1 करोड़ लोगों का पेट भर सकता है।

इटली में तीन दशक बाद सबसे बड़ा टिड्डी प्रकोप

इटली में तीन दशक बाद सबसे बड़ा टिड्डी प्रकोप

अभी हाल ही में इटली के किसानों ने टिड्डियों के प्रकोप को भुगता है। यहां के सार्दिनिया में तीन दशकों में सबसे बड़ा टिड्डियों का हमला हुआ है। इसके चलते इटली के दूसरे सबसे बड़े द्वीप में करीब 60,000 एकड़ में खड़ फसलें और सब्जियों के बागानों को नुकसान पहुंचा है। यहां पहले से सूखे और बढ़ती कीमतों से पीड़ित किसानों ने मुआवजे की मांग की है।

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पंजाब में भी जारी हो चुका है अलर्ट

पंजाब में भी जारी हो चुका है अलर्ट

अगर भारत की बात करें तो कुछ हफ्ते पहले पंजाब सरकार ने अफसरों को गुलाबी टिड्डियों के हमले के प्रति अलर्ट जारी किया था। राज्य के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने अधिकारियों से कहा था कि खासकर मालवा इलाके के कपास के खेतों पर नजर रखें और 6 जिलों की हालातों पर रिपोर्ट दें। इसके लिए कृषि विभाग समेत बाकी विभागों की 37 टीमों को भी निगरानी का जिम्मा दिया गया था। (तस्वीरें- फाइल)

English summary
Locusts can detect cancer cells just by smelling. Miracles are possible in medical science with new research. Cancer treatment may be possible
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