चीन में संकट: बच्चे की प्लानिंग भी नहीं कर पा रहे लोग, आवाज कुचलने के लिए ऐक्शन में शी जिनपिंग सरकार
बीजिंग, 15 जुलाई: चीन बहुत बड़े रोजगार संकट में उलझ गया है। वहां बेरोजगार युवाओं में निराशा बढ़ती जा रही है और जिन युवाओं को काम मिला हुआ है, वह भी अपने काम से संतुष्ट नहीं हो रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि यह संकट इतना गंभीर हो चला है कि युवा दंपतियों ने बच्चों की प्लानिंग भी टाल दी है और छोटा फ्लैट खरीदने का भी सपना, कल्पना से बाहर होता जा रहा है। स्थानीय सोशल मीडिया पर जो युवा इस मसले को उठाना चाह रहे हैं, शी जिनपिंग सरकार उन सोशल मीडिया ग्रुपों पर भी सख्ती शुरू कर चुकी है।
भयंकर रोजगार संकट से गुजरने लगा है चीन
चीन अब अपने युवाओं की निराशा को छिपाने की मशक्कत में जुट गया है, लेकिन उसकी लाख कोशिशों के बावजूद वहां की बेरोजगारी संकट छिप नहीं पा रही है। बेरोजगारों की तादाद लगातार बढ़ रही है, जो लोग किसी काम धंधे में लगे भी हुए हैं वो भी दफ्तर के तनावपूर्ण माहौल और काम के भारी-भरकम घंटे को झेल नहीं पा रहे हैं। अमेरिकी मैगजीन न्यूजवीक के लिए जियानली यंग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि मई, 2021 में बेरोजगारी की दर 5 फीसदी के आसपास तक पहुंच गया था। लाखों ग्रैजुएट घर पर बैठने को मजबूर हैं और बाजार में उनके लायक रोजगार नहीं है। अगर 16 से 24 के आयु वर्ग के बीच बेरोजगारी दर को देखें तो यह 13.8 फीसदी है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार है भी तो इनमें से ज्यादातर के पास उसके लिए हुनर नहीं है। हालांकि, कुशल श्रमिकों के लिए भी बाजार में बहुत ज्यादा अवसर नहीं है। लेकिन दो हफ्ते पहले चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के शताब्दी समारोह में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के संबोधन में इस संकट को बहुत ही चतुराई से नजरअंदाज कर दिया गया था।
इस साल 1.40 करोड़ नए युवा रोजगार की तलाश करेंगे
चीन की बेरोजगारी शहरी क्षेत्रों में ज्यादा महसूस की जा रही है। क्योंकि, ज्यादातर ग्रैजुएट सर्विस सेक्टर की ओर रुख कर रहे हैं, जो कोरोना महामारी के चलते बहुत ही धीमी है। जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रिकवरी रेट तो ज्यादा है, लेकिन उसके लिए स्किल्ड कामकारों का अभाव है। पिछले अप्रैल में चीन के स्टैटिस्टिक्स ब्यूरो ने 90,000 कंपनियों का सर्वे किया था, जिनमें 44 फीसदी कुशल कारीगरों की कमी का रोना रो रहे थे। लेकिन, ठहरिए ! चीन के लिए इस साल यह संकट पहाड़ साबित हो सकता है। क्योंकि, इस साल करीब 1.40 करोड़ और नए युवाओं को शहरों में रोजगार की दरकार पड़ने वाली है। इनमें से आधे से ज्यादा ग्रैजुएट होंगे, लेकिन उनके लायक नौकरियां नहीं होंगी।
क्या है चीन का '996' ?
रिपोर्ट के मुताबिक चीन का जॉब संकट ऐसा है, जहां ब्लू और व्हाइट-कॉलर जॉब का फर्क पहले ही मिट चुका है। जिस सेक्टर में कौशल की जरूरत वहां दिक्कत ये आ रही है कि बुजुर्ग कामगारों की रिटायर होने की गति युवाओं की भर्ती होने की गति से ज्यादा है, जिससे एक अलग तरह की समस्या खड़ी हो रही है। हालत ऐसे हो चुके हैं कि चीन के युवाओं में रोजगार को लेकर हताशा बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। कंपनियां तेजी से इकोनॉमिक रिकवरी चाहती हैं, इसलिए वो काम के ज्यादा घंटे और ज्यादा मुश्किल टारगेट दे रही हैं। इसके उलट ग्रोथ की संभावना नहीं के बराबर दिखाई दे रही है। टेक्नोलॉजी सेक्टर में काम करने वाले चाइनीज कर्माचरियों से सुबह 9 से रात 9 बजे तक और सप्ताह में 6 दिन काम की उम्मीद की जा रही है, जिसे लोग अब '996' कहने लगे हैं।
इसे भी पढ़ें- ड्रैगन की नई चाल का खुलासा: LAC के पास चीन बना रहा कंक्रीट के स्थायी सैन्य शिविर
चीन में संकट: बच्चे की प्लानिंग भी नहीं कर पा लोग
जिन युवाओं को रोजगार मिला भी है, उनके खर्चे निकल नहीं पा रहे हैं। विवाहित दंपतियों के लिए छोटे से फ्लैट के लिए डाउन पेमेंट का जुगाड़ करना पहाड़ बन गया है। इनमें से तो कितनों ने बच्चों की प्लानिंग करनी ही छोड़ दी है, क्योंकि उनका पालन-पोषण नहीं कर सकते। चीन के इन युवाओं की निराशा और हताशा वहां के सोशल मीडिया वीबो पर निकलने लगी थी। लोग तरह-तरह से अपनी कुंठाओं को जाहिर करने लगे थे। चीन की सरकार इसे भी बर्दाश्त नहीं कर पाई। उसे लगा कि लोगों का गुस्सा जल्द नहीं दबाया गया तो शी जिनपिंग के राष्ट्रीय कायाकल्प का सपना चकनाचूर हो जाएगा। उन्होंने इस सोशल मीडिया कैंपेन के दूरगामी परिणाम की आशंका के चलते सोशल मीडिया चैट ग्रुप को ही बंद करना शुरू कर दिया है।