'क़तर का आख़िर कसूर क्या है? आज़ादी से बोलने की सज़ा?'
कई अरब देशों के क़तर से संबंध तोड़ने से पैदा हुए संकट का हल नहीं दिख रहा. परेशानी के बादल ग़ज़ा पट्टी पर भी मंडरा रहे हैं.
शेख हमाद सिटी में एक खेल का मैदान, मस्ती में झूमते बच्चों का शोर-शराबा, पीले रंग की इमारतों के साये में बैठे इन बच्चों के मां-बाप. ग़ज़ा शहर के इस बड़े से हाउसिंग प्रोजेक्ट में हर कोई एक आशियाना चाहता है.
साल 2012 में दोहा के पैसे से बनकर तैयार हई इस हाउसिंग कॉलोनी का नाम भी क़तर के पूर्व सुल्तान के नाम पर रखा गया है.
अभी तक कोई दो हज़ार फलीस्तीनी परिवार यहां रहने के लिए आ चुके हैं. इनमें से ज्यादातर परिवारों की आमदनी कोई बहुत ज्यादा नहीं है.
इस कैम्पस में स्कूल, दुकानें, एक खूबसूरत मस्जिद और दिलकश हरियाली है. कैम्पस में नई इमारतें भी बन रही हैं जिनका शोर महसूस किया जा सकता है.
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क़तर का वादा
लेकिन जैसे-जैसे क़तर संकट गहरा रहा है, उससे यहां रह रहे फलीस्तीनियों की फिक्र भी बढ़ रही है. उन्हें डर है कि क़तर का पैसा आना बंद हो सकता है.
इसी हाउसिंग कॉलोनी में रहने वाले बहा शलाबी कहते हैं, "हम इसके शिकार होने जा रहे हैं. यहां सब कुछ बंद हो जाएगा. पैसा, मदद, इमारतें, कंस्ट्रक्शन, सब कुछ."
हाल के सालों में क़तर ने ग़ज़ा पट्टी में नए घरों, अस्पतालों और सड़कों के निर्माण में करोड़ों डॉलर खर्च किया है.
इतना ही नहीं उसने एक अरब डॉलर और लगाने का वादा भी किया है.
अभी ये साफ नहीं है कि सऊदी अरब और खाड़ी के दूसरे देशों के साथ क़तर के मौजूदा विवाद का इन परियोजनाओं पर कितना असर पड़ेगा.
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दोहा का इनकार
लेकिन क़तर के पड़ोसी मुल्क उसे आर्थिक रूप से अलग-थलग करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, उस पर चरमपंथ को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे हैं.
हालांकि दोहा इन आरोपों से पुरजोर तरीके से इनकार करता है.
इस बीच गज़ा के मेनरोड के रखरखाव के लिए जिम्मेदार इंजीनियर दोहा से मिलने वाली मदद में किसी कटौती के संभावित असर को लेकर आगाह करते हैं.
हनफी सदाल्लाह कहते हैं, "यहां सैंकड़ों मजदूर काम कर रहे हैं. उनके परिवार इसी आसरे पर पल रहे हैं. ग़ज़ा में बेरोज़गारी ज्यादा है. अगर क़तर ने मदद रोक दी तो सब घर में बैठ जाएंगे."
फलीस्तीनी प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार ग़ज़ा के 40 फीसदी से ज्यादा लोगों के पास कोई काम नहीं है.
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हमास की दलील
दुनिया में बेरोज़गारी के आंकड़ों के लिहाज से गज़ा की हालत कहीं खराब है. सऊदी अरब की एक मांग ये भी है कि क़तर हमास को मदद देना बंद करे.
हमास के पास ही ग़ज़ा शहर की कमान है. दशक भर पहले हमास ने फलीस्तीनी प्रशासन के सुरक्षा बलों से गज़ा का नियंत्रण ताकत के जोर पर हासिल कर लिया था.
इसके साल भर बाद हमास ने यहां चुनाव भी जीत लिए. हमास के लोगों का कहना है कि क़तर की मदद का मकसद चैरिटी ज्यादा है.
हमास के वरिष्ठ नेता महमूद ज़हर कहते हैं, "क़तर जो घर बना रहा है, वो हमास के लिए नहीं है. जो सड़के बनाई जा रही हैं, वो हमास के लिए नहीं है. वे जो अस्पताल और स्कूल बना रहे हैं, वो फलीस्तीन के लोगों के लिए हैं. हमास और क़तर के बीच मुश्किलें पैदा करने की कोशिशें पूरी तरहे बेमानी और गलत हैं."
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कूटनीतिक समर्थन
इसराइल का भी आरोप है कि हमास ने विदेशों से मिलने वाली मदद का इस्तेमाल अपनी फौज को मजबूत करने के लिए किया है जबकि उस पर ताकत बढ़ाने से रोकने के लिए पाबंदियां लगाई गई हैं.
इस तरह के आरोपों से खुद को बचाने के लिए क़तर ने ग़ज़ा में अपना दफ्तर खोला है.
इसका मकसद संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों और यहां काम करने वाले कॉन्ट्रैक्टरों के साथ सीधे संपर्क करना है.
इसमें कोई शक नहीं कि क़तर की मदद से ही मुश्किल समय से हमास उबरता आया है.
इसराइल और मिस्र की तरफ से सीमा पर रोक लगाने से हमास की मुश्किलें बढ़ जाती हैं. दोहा हमास को राजनीतिक और कूटनीतिक समर्थन भी देता आया है.
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पॉलिसी डॉक्यूमेंट
जब से इस फलीस्तीनी इलाके में हमास का बोलबाला हुआ है, यहां आने वाले किसी राष्ट्राध्यक्ष में केवल क़तर के अमीर ही हैं.
हमास के कई निर्वासित नेताओं को क़तर ने अपने यहां पनाह के साथ-साथ ऐशोआराम की जिंदगी उपलब्ध कराई. इनमें हमास के पूर्व चीफ खालिद मेशाल भी हैं.
अपने संरक्षक क़तर पर पड़े रहे दबाव से हमास उसे थोड़ी राहत दिलाना चाहता है. पिछले दिनों दोहा की गुज़ारिश पर कुछ हमास नेताओं ने क़तर छोड़ा है.
पिछले महीने हमास ने दोहा में एक नए पॉलिसी डॉक्यूमेंट की घोषणा की. अंतरिम फलस्तीनी राज्य से इनकार के पुराने स्टैंड से वो थोड़ा पीछे हटते हुए दिख रहा हैं.
एक और बात ध्यान देने वाली ये थी कि पॉलिसी डॉक्यूमेंट में हमास ने अपने मूल संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड का कहीं नाम तक नहीं लिया.
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इसराइली योजना
मुस्लिम ब्रदरहुड को मिस्र, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने चरमपंथी संगठन करार दे रखा है.
क़तर को लेकर जारी ताजा घटनाक्रम से हमास पर आर्थिक और राजनीतिक दबाव बढ़ा दिया है.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि इस्लामिक स्टेट, अल-कायदा और हिज्बुल्लाह के साथ-साथ हमास भी क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है.
पिछले हफ्ते इसराइल ने गज़ा के 20 लाख लोगों को दी जाने वाली बिजली आपूर्ति में कटौती की योजना को मंजूरी दी है.
हमास का आरोप है कि ट्रंप प्रशासन और इसराइल दोनों मिलकर उसे सत्ता से बेदखल करना चाहते हैं.
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क़तर की गलती
शेख हमाद सिटी में एक छोटी सी रैली को संबोधित कर रहे हमास के सांसद याह्या मूसा कहते हैं, "क़तर का आख़िर कसूर क्या है? अरब स्प्रिंग को समर्थन देने और आजादी से बोलने की सज़ा दी जा रही है. हमारे विरोध और हमें समर्थन देने के लिए उसे सताया जा रहा है. क़तर के खिलाफ अमरीकी साजिश को खारिज करने के लिए हम अपने भाइयों के साथ हैं."
जब याह्या मूसा बोल रहे थे तो फलीस्तीनी बच्चे क़तर का झंडा लेकर नारा लगा रहे थे, 'हम क़तर के साथ हैं' और 'हम सब क़तर हैं.'
फलस्तीनियों को क़तर संकट के कूटनीतिक हल का आसरा है. फलस्तीनियों को मालूम है कि इसकी कीमत उन्हें भी चुकानी पड़ सकती है.
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