क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

13.5% की रॉकेट रफ्तार से विकास कर रहा है भारत, जबकि चीन आर्थिक मंदी में फंसा है, जानिए कैसे?

“भारत का विकास दर, अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत है, जहां मंदी के संकेत हैं। इससे भारत में वैश्विक निवेशकों का विश्वास बढ़ाने और अर्थव्यवस्था में निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी।"

Google Oneindia News

नई दिल्ली, सितंबर 01: सभी पुर्वानुमानों से आगे बढ़ते हुए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 13.5% की शानदार वृद्धि देखी गई है और भारत के लिए ये एक उपलब्धि से कम नहीं है, क्योंकि ऐसे समय में जब प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं संघर्ष कर रही हैं, और यहां तक विशाल चीनी अर्थव्यवस्था भी मंदी की ओर तेजी से बढ़ रही हैं, उस वक्त भारत को एतिहासिक विकास दर को प्राप्त करना सरकार की बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। ऐसे में आइये जानने की कोशिश करते हैं, कि आखिर कैसे कोविड संकट से पार पाते हुए भारत अपने विकास के लक्ष्य की तरफ तेजी से बढ़ चला है, जबकि चीन अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए जद्दोजहद कर रहा है?

मोदी सरकार की बेहतर रणनीति

मोदी सरकार की बेहतर रणनीति

अर्थव्यवस्था को पटरी लाने के लिए अर्थव्यवस्था एक्सपर्ट मोदी सरकार की रणनीति की तारीफ कर रहे हैं और एक्सपर्ट्स का कहना है, कि मार्च 2020 में देश में महामारी की चपेट में आने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार राजकोषीय और मौद्रिक उपायों की जो सावधानीपूर्वक घोषणाएं की थीं, इस विकास दर को हासिल करने पीछे उन उपायों को श्रेय जाता है। विशेषज्ञों का कहना है, कि भारत ने जो अभूतपूर्व विकास दर 13.5 प्रतिशत को हासिल किया है, उसके पीछे पीएम गरीब कल्याण योजना, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को आसान ऋण उपलब्ध करवाना, पूंजीगत व्यय के लिए सार्वजनिक धन में वृद्धि और निजी निवेश को प्रोत्साहित करने का फैसला इसके पीछे की प्रमुख वजहें हैं और मोदी सरकार ने विकास की जो रफ्तार पकड़ी है, वो कालिब-ए-तारीफ है।

खुश हैं सरकारी अधिकारी

खुश हैं सरकारी अधिकारी

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक उच्च सरकारी अधिकारी ने कहा कि, "वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही के दौरान मोदी सरकार का कैपिटल एक्सपेंडिचर ₹1.75 लाख करोड़ है, जो कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के दौरान 2013-14 के पूरे वित्तीय वर्ष में कैपिटल एक्सपेंडिचर के बराबर है।" चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत का निजी अंतिम उपभोग व्यय (PFCE) ₹22 लाख करोड़ है, जो कि 2019-20 में ₹20 लाख करोड़ के महामारी के पहले के स्तरों की तुलना में 10% की वृद्धि है, जो निरंतर वृद्धि का संकेत देता है और ये घरेलू खपत महामारी व्यवधान के बावजूद आया है। सरकारी अधिकारी ने कहा कि, "भारतीय जीडीपी 36.85 लाख करोड़ रुपये है, जो न केवल पूर्व-कोविड स्तरों को पार कर गया है, बल्कि यह पूर्व-महामारी के स्तर से 3.83% ज्यादा हो गया है। यह सरकार की विवेकपूर्ण आर्थिक नीति का परिणाम है कि भारत अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में मुद्रास्फीति के न्यूनतम प्रभाव के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गई है''।

किस देश का कितना विकास दर?

किस देश का कितना विकास दर?

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के अनुसार, विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के तिमाही जीडीपी डेटाबेस के मुताबिक, चीन के लिए अप्रैल-जून 2022 के लिए विकास पूर्वानुमान 0.4%, जर्मनी (1.7%), यूएस (1.7%), फ्रांस ( 4.2%), इटली (4.6%) और कनाडा (4.8%) के विकास दर के साथ आगे बढ़ रहा है। चीन में आर्थिक मंदी बैंकिंग और रियल एस्टेट क्षेत्र में गंभीर संकट के साथ अपने कठोर शून्य कोविड लॉकडाउन का परिणाम है। शी जिनपिंग शासन ने ताइवान और क्वाड देशों के खिलाफ अपनी भेड़िया योद्धा कूटनीति के साथ आर्थिक प्रभाव को और खराब कर दिया है, जिसमें बीजिंग के बेल्ट रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के प्राप्तकर्ता देश श्रीलंका, पाकिस्तान, म्यांमार और केन्या जैसे दिवालियापन का सामना कर रहे हैं।

भारत ने कैसे पकड़ी विकास की रफ्तार

भारत ने कैसे पकड़ी विकास की रफ्तार

डेलॉयट इंडिया के एक अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा, "भारत का विकास दर, अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत है, जहां मंदी के संकेत हैं। इससे भारत में वैश्विक निवेशकों का विश्वास बढ़ाने और अर्थव्यवस्था में निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी।" केंद्रीय वित्त मंत्रालय में काम करने वाले अधिकारियों में से एक ने कहा कि, "अपेक्षाकृत उच्च विकास और कम मुद्रास्फीति के साथ भारत ने अपने समकक्ष अर्थव्यवस्था वाले देशों के मुकाबले विकास और महंगाई के बीच अच्छा काम किया है। भारत की खुदरा मुद्रास्फीति (सीपीआई-सी) जुलाई 2022 में पांच महीने के निचले स्तर 6.71 प्रतिशत पर आ गई है''। अधिकारियों और विशेषज्ञों को भरोसा है कि, जीडीपी के क्वार्टर-1 के आंकड़े बताते हैं, कि अर्थव्यवस्था 2022-23 में 7-7.5% की वृद्धि हासिल करने के लिए विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। अधिकारी ने कहा कि, "जुलाई/अगस्त 2022 में हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स का मजबूत प्रदर्शन 2022-23 की दूसरी तिमाही में निरंतर वृद्धि का संकेत देता है।"

मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में बढ़ोतरी

मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में बढ़ोतरी

आंकड़े बताते हैं कि, जुलाई 2022 में भारत का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई [परचेज मैनेजर्स इंडेक्स] आठ महीने के उच्च स्तर 56.4 पर था, जिसे नए बिजनेस ऑर्डर और आउटपुट में वृद्धि की वजह से मजबूती मिली। जुलाई 2022 में पीएमआई सेवाओं की रीडिंग 55.5 के साथ विस्तार क्षेत्र में सेवा गतिविधि भी मजबूती से बनी रही। पीएमआई का 50 से अधिक होना इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों के विस्तार का प्रतीक है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कंसल्टेंसी फर्म ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि, डिमांड साइड पर सभी प्रमुख खंड FY23 के पहले क्वार्टर में परिमाण दिखाते हैं, जो कि 1Q FY20 में उनके संबंधित स्तरों से ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि, ''घरेलू मांग में सुधारा आया है और पिछले वर्ष की तुलना में प्राइवेट फाइनल कंजप्शन एक्सपेंडीचर (PFCE) 25.9 प्रतिशत तक पहुंच गया है और ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (GFCF) भी 20.1 प्रतिशक की दर से विकास दर में योगदान दे रहा है''।

भारत के लिए अच्छा गुजरेगा ये साल

भारत के लिए अच्छा गुजरेगा ये साल

विशेषज्ञों को उम्मीद है, कि भारत इस वित्त वर्ष में 7% से ज्यादा की रफ्तार विकास दर के रास्ते पर आगे बढ़ेगा और मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा कि, "हम मानते हैं कि, वित्त वर्ष 2013 में 7% से अधिक की वार्षिक वृद्धि अभी भी पर्याप्त नीति समर्थन के साथ संभव है, जो व्यापार, होटल, परिवहन जैसे क्षेत्रों में निरंतर विकास गति को सुनिश्चित करता है''। उन्होंने कहा कि, सरकार ने इन क्षेत्रों में पूंजी व्यय किया है, जिसका फायदा अब मिल रहा है और हमने वृद्धि दर हासिल की है। केंद्रीय कर राजस्व में उच्च वृद्धि को देखते हुए हमें ये संभव होता दिख रहा है, कि इस पूरे वित्तवर्ष में हम 7 प्रतिशत की रफ्तार से विकास दर के लक्ष्य को हासिल करें, जो वित्त वर्ष 2013 के पहले चार महीनों में लगभग 25% की वृद्धि हुई।" वहीं, इंडिया इंक भी भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को लेकर आश्वस्त है। CII के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने हिंदुस्तान टाइम्स को कहा कि, "मौजूदा वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद उद्योग आशावादी बना हुआ है, क्योंकि सरकार की सुविधाजनक नीतियों के कारण घरेलू विकास की संभावनाएं मजबूत रहने की उम्मीद है।"

सरकार ने लिए चतुर फैसले

सरकार ने लिए चतुर फैसले

वहीं, एसोचैम के अध्यक्ष सुमंत सिन्हा ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा कि, भारतीय अर्थव्यवस्था "वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन और उनके सहयोगियों के लिए चतुर और वित्तीय रूप से विवेकपूर्ण प्रबंधन की वजह से महामारी के बाद भी दहाड़ती नजर आ रही है और यह बिल्कुल महत्वपूर्ण है कि, हम पॉवर सेक्टर, फाइनेंस सर्विस और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर्स को यह विश्वास दिलाते रहें, कि हम विकसित राष्ट्र बनने की अपनी यात्रा को पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ा रहे हैं और इस ऐतिहासिक यात्रा में वो अवसरों का लाभ उठाएं। और यही वजह है, कि चीन जहां पिछले कई महीनों से आर्थिक मंदी की चपेट में फंसा हुआ है और उसकी अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा ऊर्जा देने वाला रियल एस्टेट सेक्टर धाराशाई हो गया है, उस वक्त भी भारत की अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार के साथ अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ रही है।

गौतम अडानी के पास कौन सी 'जादू की छड़ी' है, कि दुनिया के तीसरे अमीर बन गये? अब दूसरे नंबर पर है नजरगौतम अडानी के पास कौन सी 'जादू की छड़ी' है, कि दुनिया के तीसरे अमीर बन गये? अब दूसरे नंबर पर है नजर

Comments
English summary
India's GDP has achieved a growth rate of 13.5 percent in the first quarter of this financial year, while China is struggling with economic slowdown, know how?
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X