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भारत की सऊदी अरब के खिलाफ पहली बड़ी कार्रवाई, दो दिन पहले ही दी थी चेतावनी, क्या होगा प्रभाव?

भारत ने सऊदी अरब से तेल के आयात में कटौती कर दी है और रूस से तेल का आयात और ज्यादा बढ़ा दिया है। जिसके बाद अब भारत को तेल निर्यात करने में रूस, सऊदी अरब पर हावी हो गया है।

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India Saudi Arab Tie: तेल उत्पादक देशों के संगठन OPEC और उसके अगुआ सऊदी अरब को 'अंजाम भुगतने की चेतावनी' देने के बाद भारत ने पहली बार सऊदी अरब के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। पिछले हफ्ते भारत के पेट्रोलियम मंत्री ने तेल उत्पादक देशों को चेतावनी दी थी, कि तेल का प्रोडक्शन कम करने के फैसले का गंभीर परिणाम हो सकता है और सबसे पहला बड़ा अंजाम तो यही होगा, कि आर्थिक मंदी आने की संभावना और तेज हो जाएगी। लेकिन, अब भारत ने पहली बार सऊदी अरब के खिलाफ बड़ा फैसला भी ले लिया है।

पेट्रोलियम मंत्री की चेतावनी

पेट्रोलियम मंत्री की चेतावनी

पिछले हफ्ते संयुक्त अरब अमीरात के दौरे पर गये भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अबू धाबी में एडिपेक ऊर्जा सम्मेलन में ब्लूमबर्ग टीवी से कहा था कि, "यदि आप यहां से कीमत बढ़ाते हैं, तो एकमात्र प्रतिक्रिया यह है कि आर्थिक मंदी और गहरी और लंबी होगी।" उन्होंने कहा था कि, "यह उनके (तेल उत्पादकों के) हित में है कि इसे मौजूदा स्तरों से आगे न जाने दें।" आपको बता दें कि, भारत दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल के आयातकों में से एक है और संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और इराक जैसे फारस की खाड़ी के देशों से भारत हमेशा से सबसे ज्यादा तेल खरीदता रहा है। लेकिन, पिछले साल से सऊदी अरब लगातार तेल का प्रोडक्शन कम करके दुनिया के देशों को परेशान करता रहा है और चूंकी भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत तेल आयात करता है, लिहाजा भारत पर इसका सीधा असर पड़ता है। हालांकि, भारत सार्वजनिक तौर पर सऊदी अरब की आलोचना करने से बचता रहा है, लेकिन इस बार भारत की तरफ से सख्त रूख अपनाया गया है।

'भारत ने कहा- भुगतने होंगे अंजाम'

'भारत ने कहा- भुगतने होंगे अंजाम'

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में फिलहाल इस साल 22 प्रतिशत की बढोतरी के साथ कच्चे तेल की कीमत 95 डॉलर प्रति बैरल है और रूस के यूक्रेन पर आक्रमण और उसके बाद मास्को पर पश्चिमी प्रतिबंधों से बाजार अस्त-व्यस्त हो गया है। वहीं, भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने चेतावनी देते हुए कहा कि, "यह एक ऐसा खेल है, जिसमें आपको अनावश्यक रूप से चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।" लेकिन, हरदीप सिंह पुरी, जो सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के अपने समकक्षों के साथ पैनल में शामिल थे, उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि,"ये (तेल उत्पादक देशों का) संप्रभु निर्णय हैं। जो कोई भी तेल उत्पादक देश हैं, उन्हें यह तय करने का अधिकार है, कि वो कितना उत्पादन करना चाहते हैं, या फिर कितना तेल उन्हें बेचना है। लेकिन हम उन्हें यह भी बताते हैं, और मैंने यह बताने का कोई अवसर नहीं गंवाया है, कि हर कार्रवाई के परिणाम होते हैं, चाहे वो इरादे करके हों या फिर गैर इरादे हों।" भारतीय पेट्रोलियम मंत्री का ये बयान काफी सख्त माना गया है, खासकर उस वक्त जब अमेरिका पहले ही सऊदी अरब को अंजाम भुगतने की धमकी दे चुका हो और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इसी महीने भारत के दौरे पर आने वाले हों।

भारत ने सऊदी को सिखाया सबक!

भारत ने सऊदी को सिखाया सबक!

वहीं, अब भारत ने सऊदी अरब से तेल के आयात में कटौती कर दी है और रूस से तेल का आयात और ज्यादा बढ़ा दिया है। जिसके बाद अब भारत को तेल निर्यात करने में रूस, सऊदी अरब पर हावी हो गया है और सऊदी अरब भारत को तेल बेचने के मामले में तीसरे स्थान पर आ गया है। वोर्टेक्स के आंकड़ों के मुताबिक, इराक अभी भी भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता देश बना हुआ है। भारत के तेल बाजार में सऊदी अरब की गिरावट रूस के उदय के साथ हुई है, और विडंबना यह है कि तेल को लेकर दोनों देशों के बीच उस वक्त तनातनी हो रही है, जब रियाद और नई दिल्ली अपने राजनयिक संबंधों को तेजी से विस्तार देने में लगे हुए हैं और इसी महीने सऊदी क्राउन प्रिंस भारत का दौरा करने वाले हैं और उनके दौरे की वजह से भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आसियान की बैठक में शामिल होने का प्लान कैंसिल करने वाले हैं।

भारत का आधार बना रूसी तेल

भारत का आधार बना रूसी तेल

महज 6 महीने के अंदर ही रूसी तेल भारतीय रिफाइनर का सबसे मुख्य आधार बन गया है, जिसे हासिल करने में पश्चिम एशियाई आपूर्तिकर्ताओं और अमेरिका को दशकों लग गए। लेकिन, सवाल ये है, कि आखिर कब तक भारत रूस से तेल का आयात करता रह सकता है, क्योंकि दिसंबर महीन में जी7 देश रूसी तेल पर प्राइस कैप लगाने वाले वाले हैं, जिसके बाद भारत के लिए रूसी तेल का आयात करना काफी मुश्किल हो जाएगा। जबकि, अक्टूबर महीने में भारत ने रूस से तेल का आयात और भी ज्यादा बढ़ा दिया है और इसके लिए भारत ने अमेरिका के हर दबाव को दरकिनार किया है। भारतीय रिफाइनर्स ने अक्टूबर महीने में यूराल प्रभुत्व वाले 15 प्रतिशत पूर्वी साइबेरिया प्रशांत महासागर मिश्रण, 6 प्रतिशत आर्कटिक तेल और 3 प्रतिशत नोवी पोर्ट जोड़कर रूसी कच्चे तेल की अपनी टोकरी का विस्तार किया है।

रूस से भारत ने कितना तेल खरीदा?

रूस से भारत ने कितना तेल खरीदा?

लंदन स्थित कमोडिटी इंटेलिजेंस वोर्टेक्सा के मुताबिक, रूस ने अक्टूबर महीने में भारत को प्रति दिन 8 लाख 91 हजार बैरल कच्चे तेल की आपूर्ति की है, जो भारत के कच्चे तेल आयात बाजार का 20.5 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि सितंबर महीने में 876,000 बैरल प्रति दिन कच्चे तेल की आपूर्ति की गई थी। जिसका मतलब ये हुआ, कि भारत धीरे धीरे रूस से आपूर्ति बढ़ाता ही जा रहा है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के अनुसार, भारत ने पिछले महीने 24 अक्टूबर तक रूस से 509 मिलियन यूरो का तेल खरीदा, जबकि चीन ने रूस से 3.2 अरब यूरो का तेल खरीदा। वहीं, तुर्की ने 931 मिलियन यूरो और जर्मनी ने 854 मिलियन यूरो का तेल रूस से खरीदा। भारत के आधिकारिक कस्टम डेटा के आंकड़ों के मुताबिक, रूस ने सितंबर महीने में 112 डॉलर प्रति बैरल पर भारत को प्रति दिन 10 लाख बैरल की आपूर्ति की थी और भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर देश बन गया था।

रूस से महंगा तेल बेचता है सऊदी

रूस से महंगा तेल बेचता है सऊदी

भारत के आधिकारिक कस्टम डेटा के मुताबिक, सऊदी अरब ने 133 डॉलर प्रति बैरल की दर पर भारत को 874,000 बैरल प्रति दिन की आपूर्ति की थी। वहीं, इराक पिछले महीने 107 डॉलर प्रति बैरल की औसत दर से 864,000 बैरल प्रति दिन कच्चे तेल के साथ तीसरे स्थान पर आ गया था। यान, भारत का क्रूड बास्केट औसतन 91 डॉलर प्रति बैरल रहा। पिछले महीने भारत द्वारा कुल कच्चे तेल की खरीद औसतन 121 डॉलर प्रति बैरल रही। आपको बता दें कि, कस्टम डेटा उन एजेंसियों द्वारा प्रदान किए गए डेटा से अलग होता है, जो शिपिंग गतिविधियों को ट्रैक करते हैं।

क्या रूसी तेल खरीदना जारी रखेगा भारत?

क्या रूसी तेल खरीदना जारी रखेगा भारत?

बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लंदन स्थित तेल उद्योग सलाहकार तिलक दोशी ने कहा कि, "मुझे लगता है कि भारत रूसी तेल का आयात जारी रखने में सक्षम होगा और अगर जी7 देश रूसी तेल पर प्राइस कैप लगाते हैं, फिर भी भारत अपनी संप्रभुता का हवाला देकर रूसी तेल का आयात जारी रखेगा, क्योंकि ये भारत के हित में है"। उन्होंने कहा कि, रूस दुनिया के शीर्ष तीन तेल उत्पादकों में से एक है, और इसके तेल को आसानी से बदला नहीं जा सकता है। वहीं, भारतीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी एक कार्यक्रम में ये भी कह चुके हैं, कि अमेरिका के दवाब में आकर ही भारत ने ईरान से तेल खरीदना बंद किया था, लेकिन अब भारत ऐसा नहीं करेगा। यानि, भारत ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। वहीं, एक्सपर्ट्स का कहना है, कि अगर भारत अमेरिका की बात मानता है और रूसी तेल खरीदना कम करता है, तो फिर जिस तरह से सऊदी अरब तेल प्रोडक्शन की कमी करने वाला है, उससे भारत में त्राहिमाम मच जाएगी।

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English summary
India has cut oil imports from Saudi Arabia and has increased its purchase of oil from Russia.
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