भारत में हो रहा दुनिया के सभी COVID-19 वैक्सीन का 60% उत्पादन, रूस ने भी किया मोदी सरकार से संपर्क
नई दिल्ली। विश्व में फैले कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाने की रेस में रूस ने सबसे पहले बाजी मारी। रूस ने अपनी सबसे पहली वैक्सीन 'स्पुतनिक 5' का ऐलान कर कई देशों को चौंका दिया। अब रूस अपने वैक्सीन के उत्पादन के लिए भारत के संपर्क में है। रूस की गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई गई इस वैक्सीन का उत्पादन जल्द ही भारत में शुरू हो सकता है। रूसी डायरेक्ट इनवेसमेंट फंड के सीईओ किरिल दिमित्रिक ने बताया कि इस संबंध में हम भारत सरकार और संबंधित मंत्रालयों के साथ बातचीत कर रहे हैं।
भारत सरकार के बातचीत जारी
किरिल दिमित्रिक ने कहा, 'भारत में विश्व की 60 फीसद वैक्सीन बनती हैं। भारत के बड़ी संख्या में वैक्सीन बनाने की क्षमता है। 'स्पुतनिक 5' वैक्सीन को दुनिया के अन्य देशों को उपलब्ध कराने और इसके उत्पादन के लिए हम भारत सरकार के साथ चर्चा कर रहे हैं।' किरिल दिमित्रिक ने आगे कहा, 'हम न केवल भारतीय बाजारों में बल्कि अन्य देशों के लिए भी वैक्सीन के उत्पादन के लिए भारत का समर्थन बनने की क्षमता को पहचानते हैं और हमने प्रमुख कंपनियों के साथ कुछ समझौते किए हैं।'
Recommended Video
टीकों का लगभग 60% उत्पादन भारत में
वहीं भारत सरकार और वैक्सीन निर्माताओं ने भरोसा भी दिया है कि इसे बनाने की क्षमता को और बढ़ाया जाएगा जिससे यह सिर्फ अपने देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को उपलब्ध कराई जा सके। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड के सीईओ ने कहा कि दुनिया के सभी टीकों का लगभग 60% भारत में उत्पादित किया जा रहा है और उन्होंने कहा कि वह कई गुना में कोविड -19 टीकों के उत्पादन में भारत की क्षमता को पहचानता है।
अभी भी चल रहा है वैक्सीन का ट्रायल
बता दें कि इससे पहले, भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा था कि भारत रूस के साथ स्पुतनिक-5 कोविड -19 वैक्सीन को लेकर बातचीत कर रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा, जहां तक स्पुतनिक-5 वैक्सीन का संबंध है भारत और रूस के बीच चर्चा चल रही है। कुछ शुरुआती जानकारी साझा की गई है। मालूम हो कि रूस ने हाल ही में अपने स्पुतनिक 5 वैक्सीन को पंजीकृत किया है और अब वैक्सीन तीसरे चरण में पहुंच गई है जहां इसका ट्रायल 45 से अधिक चिकित्सा केंद्रों में 40,000 से अधिक लोगों पर किया जा रहा है।
प्रभावी एंटीबॉडीज विकसित हुए
मेडिकल जर्नल लेनसेट के मुताबिक, स्पूतनिक वैक्सीन के ट्रायल्स में भाग लेने वालों में वैक्सीन को रोकने में प्रभावी एंटीबॉडीज विकसित हुए हैं। इस साल जून-जुलाई में वैक्सीन पर कराए गए दो चरणों के ट्रॉयल में 76 लोग शामिल थे। इनमें कोरोना को रोकने वाले प्रभावी एंटीबॉडीज विकसित हुए हैं और किसी में भी कोई गंभीर साइडइफेक्ट नहीं दिखाई दिया है। दो छोटे फेज में वैक्सीन का ट्रायल 42 दिनों तक चला, इनमें से एक वैक्सीन के फ्रोजन फॉर्म्यूलेशन का और दूसरे में फ्रीज-ड्राइज फॉर्म्यूलेशन का अध्ययन किया गया। फ्रोजन फॉर्म्युलेशन का इस्तेमाल वैक्सीन को बड़े पैमाने पर मौजूदा स्पलाई चेन के जरिए वितरण को लेकर किया जाएगा।
यह भी पढ़ें: WHO ने दी एक और चिंताजनक रिपोर्ट, अगले साल के मध्य तक नहीं आएगी कोरोना की वैक्सीन