लंबे समय में चीन पूरी दुनिया के लिए बन सकता है खतरा- NATO की रिपोर्ट
नई दिल्ली- नॉर्थ एटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन (नाटो) की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन लंबे समय में पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा बन सकता है और वह विश्व पर अपनी सैन्य ताकत थोपने की कोशिश कर सकता है। यही नहीं नाटो ने अपनी रिपोर्ट के जरिए संगठन को चीन की ओर से पैदा की गई सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए ज्यादा समय, राजनीतिक संसाधन और कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया है। 'नाटो 2030- यूनाइटेड एरा रिपोर्ट' में इसने इसके ज्वाइंट इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी डिविजन के भीतर एक स्पेशल यूनिट का भी प्रस्ताव दिया है, जो रूस-चीन के सहयोग से यूरो-एटलांटिक सिक्योरिटी पर पड़ने वाले प्रभाव पर नजर रख सके। रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि संगठन के अंदर किसी तरह का राजनीतिक मतभेद बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि इससे खासकर रूस और चीन जैसे बाहरी ताकतों को मदद मिलेगी, जो इसका फायदा उठा सकते हैं।
नाटो की रिपोर्ट ने सदस्यों को किया चीन से सतर्क
नाटो की रिपोर्ट में कहा गया है कि 'बिना सहयोगियों के बीच आपसी तालमेल के उन्हें अकेले बड़ी चुनौतियां झेलनी पड़ सकती हैं; और न ही यूरोप और ना ही उत्तरी अमेरिका में इतनी ताकत या शक्ति है कि वह अकेले इन खतरों का मुकाबला कर सकें। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह गैर-परंपरागत खतरा हमारे समाज को भी जोखिम में डाल सकता है।' रिपोर्ट में चीन के खतरे की ओर सीधे इशारा करते हुए कहा गया है कि, 'नाटो को निश्चित तौर चीन की ओर से पैदा की गई सुरक्षा चुनौतियों पर उसकी राष्ट्रीय क्षमताओं, आर्थिक हैसियत और इसके नेताओं के वैचारारिक मंसूबों का आंकलने करते हुए, उसपर ज्यादा समय, राजनीतिक संसाधन और ऐक्शन का इस्तेमाल करना होगा। 2030 तक चीन की जिस तरह से दुनिया में अहमियत बढ़ने वाली है, उसके मद्देनजर एक राजनीतिक रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है। '
सिक्योरिटी डिविजन में स्पेशल यूनिट बनाने का प्रस्ताव
नाटो की रिपोर्ट में कहा गया है कि संगठन के घटकों को अपनी सुरक्षा हितों और चीन से उसकी तुलना करने के लिए सलाह देने वाली संस्था बनानी चाहिए जिसमें सभी संबंधित विषयों पर चर्चा की जा सके। इससे चीन में होने वाले हर तकनीकी विकास का सगयोगियों पर पड़ने वाले असर और उसकी किसी भी गतिविधि का मुकाबला करने के लिए और उसका आंकलन करने के लिए तैयार रहा जा सकेगा। इसी आधार पर इसने ज्वाइंट इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी डिविजन में एक स्पेशल यूनिट गठित करने का प्रस्ताव दिया है, जो 'इसपर नजर रखेगा और उसका आंकलन करेगा कि रूस-चीन के बीच तालमेल के साथ कैसे दुष्प्रचार किया जा रहा है और हाइब्रिड वॉरफेयर समेत सैन्य, तकनीकी और राजनीतिक क्षेत्र में वो यूरो-एटलांटिक सिक्योरिटी और नॉर्थ एटलांटिक काउंसिल को उसके बारे में रेगुलर अपडेट देता रहेगा।'(ऊपर की तस्वीर फाइल)
लंबे समय में दुनिया के लिए बड़ा खतरा बनेगा चीन-रिपोर्ट
रिपोर्ट में भारत समेत चीन के बाकी पड़ोसी मुल्कों के खिलाफ उसके अभियान की ओर इशारा करते हुए कहा गया है कि '(हाल के दशकों में) चीन ने अपने पड़ोसियों के खिलाफ ताकत के इस्तेमाल के साथ-साथ भारत-प्रशांत क्षेत्र से काफी आगे भी जबर्दस्ती वाली आर्थिक और धमकी भरी कूटनीति की इच्छा थोपने की कोशिश की है।' इसी आधार पर नाटो रिपोर्ट ने आगाह किया है कि आने वाले दशकों में वह नाटो के लिए भी बहुत बड़ा खतरा बन सकता है। इतना ही नहीं आशंका जाहिर की गई है कि लंबे समय में चीन पूरी दुनिया पर अपनी सैन्य ताकत थोपने की कोशिश भी कर सकता है। जिन क्षेत्रों में चीन दुनिया के लिए खतरा बन सकता है, उनमें टेलीकॉम्युनिकेशन, अंतरिक्ष, साइबरस्पेस और नई तकनीक के साथ-साथ दुष्प्रचार के अभियान में भी जोर लगा सकता है। नाटो की रिपोर्ट के मुताबिक, 'जब से कोविड-19 महामारी शुरू हुई है, चीन ने कई सहयोगी देशों के खिलाफ दुष्प्रचार की मुहिम चलाई है।' यही नहीं आशंका जताई गई है कि चीन बौद्धिक संपदा की चोरी करने में भी जुटा हुआ है, जिसका सदस्य देशों पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है।