अंटार्कटिका में मिली मछलियों की सबसे बड़ी कॉलोनी, बर्फीले समुद्र में मिले 6 करोड़ प्रजनन स्थल
अंटार्कटिका के बर्फ से ढके वेडेल सागर में 6 करोड़ मछली घरों की एक प्रजनन कॉलोनी की खोज की गई है। वैज्ञानिकों ने वेडेल सागर में मछलियों के सबसे बड़े 'आइसफिश कॉलोनी' की खोज की है।
अंटार्कटिका, जनवरी 14: अंटार्कटिका में मछलियों के सबसे बड़े प्रजनन स्थल और कॉलोनी की खोज की गई है और सबसे हैरानी की बात है कि, बर्फीले समंदर के अंदर मछिलियों का ये प्रजनन स्थल बसा हुआ है और मछलियों के 6 करोड़ घरों के इस कॉलोनी को देखकर वैज्ञानिक हैरान रह गये और कुदरत के इस चमत्कार को हैरानी के साथ देखते रहे।
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वेडेल सागर में मिला कॉलोनी
अंटार्कटिका के बर्फ से ढके वेडेल सागर में 6 करोड़ मछली घरों की एक प्रजनन कॉलोनी की खोज की गई है। वैज्ञानिकों ने वेडेल सागर में मछलियों के सबसे बड़े 'आइसफिश कॉलोनी' की खोज की है और ये खोज वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक दुर्लभ खोज बताई जा रही है। अंटार्कटका में खोज करने वाले वैज्ञानिकों को 'आइसफिश कॉलोनी' में 6 करोड़ से ज्यादा घर मिले हैं और 'आइसफिश कॉलोनी' को दुनिया की सबसे बड़ी फिश कॉलोनी कहा गया है। वैज्ञानिक ये जानकर हैरान हैं, कि आखिर उन्हें अभी भी समुद्र के नीचे की दुनिया में कितनी कम जानकारी है।
समुद्र के नीचे 6 करोड़ घर
वैज्ञनिकों ने कहा है कि, समुद्र के नीचे बसी मछलियों की ये विशाल कॉलोनी नियोपेगेटोप्सिस आयनाह यानि आइसफिश का घर है और मछलियां इतनी पारदर्शी हैं कि, इनके शरीर के अंदर मौजूद ब्लड और खोपड़ी को देखा जा सकता था। आपको बता दें कि, आइसफिश एकमात्र ऐसी कशेरुकी है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं नहीं होती हैं। इतने कम तापमान पर जीवित रहने के लिए इसने अपने पारदर्शी रक्त में एक एंटी-फ्रीज प्रोटीन विकसित किया है, जो बर्फ के क्रिस्टल को बढ़ने से रोकता है।
सबसे बड़ा प्रजनन कॉलोनी
रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका के दक्षिणी वेडेल सागर के समुद्र तल से करीब डेढ़ से ढाई किलोमीटर ऊपर लगातार जानकारियां इकट्ठा कर रहे थे और इसी दौरान उन्होंने समुद्र के अंदर मछलियों के इस कॉलोनी की खोज की है। आपको बता दें कि, इससे पहले फरवरी 2021 में जर्मन ध्रुवीय रिसर्च जहाज पोलरस्टर्न द्वारा प्रजनन कॉलोनी की खोज की गई थी। रिसर्च करने वाली जहाज स्टर्न में एक कार के आकार की कैमरा प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है, जो समुद्र के अंदर की तस्वीरों को लेकर लगातार ऊपर जानकारियां भेजी जाती हैं।
अद्भुत पारिस्थितिक तंत्र
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, करंट बायोलॉजी में प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, जर्मनी के अल्फ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट फॉर पोलर एंड मरीन रिसर्च ने कहा कि, वैज्ञानिकों की टीम लगातार चार घंटों तक समुद्र के अंदर मछलियों के घोंसलों को देखते रहे और इसके अलावा उन्हें कुछ और नहीं दिखा। वैज्ञानिकों ने कहा कि, उन्हें एक के बाद एक मछलियों का घोंसला दिखाऊ देता रहा और इस दौरान वैज्ञानिकों ने करीब 3.7 मील की दूरी तय की
''ऐसा नजारा नहीं देखा''
वेगेनर इंस्टीट्यूट में पोस्टडॉक्टरल रिसर्चर और महासागर वैज्ञानिक ऑटुन पर्सर ने कहा कि वो पिछले 15 सालों से लगातार समुद्र के अंदर रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन पिछले 15 सालों में उन्होंने ऐसा नजारा इससे पहले कभी नहीं देखा और वैज्ञानिकों ने कहा कि, ये काफी अनोखा नजारा है।
गर्म पानी से रास्तों की खोज
आपको बता दें कि, समुद्र के अंदर की खोज के लिए वैज्ञानिक बाथमीट्री सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं, जो एक भारी-भरकम कैमरा डिवाइस होता है, जो पानी के अंदर की तस्वीरें खींचता है और समुद्र की गहराई में मौजूद घरों और घोसलों की तस्वीरें लेता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि, असल में उनकी दिलचस्पी लगातार इस क्षेत्र को लेकर रही है, क्योंकि अपवेलिंग की प्रक्रिया की वजह से चलने वाली हवा और धाराएं ठंडे पानी को सतह की तरफ धकेलती हैं, जिससे आसपास के क्षेत्र की तुलना में गर्म पानी की धाराओं का निर्माण होता है और गर्म पानी की उन धाराओं के सहारे मछलियां अपने लिए रास्तों का निर्माण करती हैं।
अब तक की सबसे बड़ी फिश कॉलोनी
शोधकर्ताओं ने कहा कि मछलियों की ये कॉलोनी करीब 240 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा के क्षेत्र में फैली हुई है और औसतन, प्रत्येक तीन वर्ग मीटर के क्षेत्र में एक घोंसले के निर्माण किया गया है। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि, कॉलोनी में लगभग 6 करोड़ सक्रिय घोंसले शामिल हैं। समान रूप से दूरी वाले प्रत्येक घोंसले लगभग 15 सेंटीमीटर (6 इंच) गहरे और 75 सेंटीमीटर व्यास वाले थे, जिनमें औसतन 1,735 अंडे थे। ज्यादातर घोसलों को वयस्क मछलियों ने संरक्षित कर रखा था। कुछ घोंसलों में केवल अंडे दिखाई दिए हैं और कुछ घोसलों का अब इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था।
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