रुपये के बाद सोने का बाजार भी धड़ाम, भारत सरकार क्यों चाहती है, लोग कम खरीदें सोना?
मई महीने में भारत ने विदेशों से 5.8 अरब डॉलर का सोना खरीदा है, जबकि पिछले साल मई महीने में ही भारत ने सिर्फ 577 मिलियन डॉलर का ही सोना खरीदा था।
नई दिल्ली, जुलाई 18: पूरी दुनिया में डॉलर के मजबूत होने के साथ ही साथ अंतराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत भी क्रैश कर गई है और मौजूदा कैलेंडर की पहली छमाही में सोने की कीमत में जो उछाल आया था, वो औंधे मुंह गिर गया है। पिछले कुछ हफ्तों से सोने की कीमत में भारी गिरावट देखी जा रही है, लिहाजा सवाल उठ रहे हैं, कि आखिर सोने का बाजार क्यों क्रैश कर रहा है? और उससे भी बड़ा सवाल ये उठ रहा है, कि भारतीय सोने के बाजार का आगे क्या होगा और भारत के लोगों को इस वक्त कहां पर सुरक्षित निवेश करना चाहिए?
असल में अभी हो क्या रहा है?
भारत सरकार ने विदेशों से आने वाले सोने पर निर्यात शुल्क यानि इम्पोर्ट ड्यूटी को पिछले दिनों 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया था। यानि, इम्पोर्ट शुल्क को एक झटके में 5 प्रतिशत बढ़ा दिया गया। इसके पीछे सरकार की दलील ये थी, कि भारत के लोगों ने काफी ज्यादा सोना खरीदना शुरू कर दिया है, जिसकी वजह से देश से डॉलर काफी तेजी से बाहर निकलने लगा था। यानि, सोना खरीदने के लिए भारत को डॉलर में पेमेंट करना पड़ता है और अगर देश से तेजी के साथ डॉलर निकलेगा, तो इसका सीधा असर रुपये पड़ पड़ता है और डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता चला जाता है और इस वक्त जो आज डॉलर के मुकाबले रुपये को हांफता देख रहे हैं, उसके पीछे कई वजहों में सोने की अत्यधिक खरीददारी भी एक वजह थी। वहीं, ज्यादा सोने की खरीददारी से सरकार का 'करेंट अकाउंट डेफिसिट' भी लगातार बढ़ता जा रहा था, इसीलिए सरकार को इम्पोर्ट ड्यूटी को सीधे 5 प्रतिशत तक बढ़ाने का फैसला लेना पड़ा।
भारत से निवेश निकालते निवेशक
जब भी निवेशकों को लगता है, कि किसी बाजार में जोखिम आने वाला है, वो अपने निवेश को तेजी से बाजार से निकालना शुरू कर देते हैं और भारत में भी इस वक्त यही हो रहा है। ग्लोबल आर्थिक मंदी की आशंका के बीच डॉलर के मुकाबले दुनिया की तमाम बड़ी करेंसियां गिरी हैं और रुपया भी प्रभावित हुआ है। जिसकी वजह से निवेशकों ने भारतीय बाजारों में जो पैसा निवेश कर रखा था, उसे निकालना शुरू कर दिया, जिससे बाजार में रुपया और कमजोर होता चला गया। वहीं, बाजार में जोखिम को देखते हुए निवेशकों ने सोने में निवेश करना शुरू कर दिया है, क्योंकि सोने को सबसे ज्यादा सुरक्षित निवेश कहा जाता है। जिसकी वजह से भी भारत को विदेशों से काफी ज्यादा सोना खरीदना पड़ रहा था।
अमेरिका बढ़ा रहा है ब्याज दर
इसके साथ ही अमेरिका के केन्द्रीय बैंक ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए ब्याज दरों को बढ़ाना शुरू कर दिया है। अमेरिका के साथ ही साथ कुछ और विकसित देशों के केन्द्रीय बैंकों ने भी ब्याज दरों को बढ़ाना शुरू कर दिया। ये केन्द्रीय बैंक, महंगाई को काबू में करने की बात कहकर ब्याज दरों में इजाफा कर रहे हैं, जिसका नतीजा ये हो रहा है, कि अन्य देशों की करेंसी के मुकाबले डॉलर और मजबूत होता जा रहा है। लिहाजा, निवेशकों ने डॉलर में निवेश करना शुरू कर दिया है, क्योंकि वो डॉलर को सबसे ज्यादा सुरक्षित मानते हैं। वहीं, अब कई निवेशकों ने गोल्ड में निवेश करना बंद कर डॉलर में निवेश करना शुरू कर दिया है, क्योंकि फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर बढ़ा दिया है, जिससे निवेशकों को डॉलर में निवेश करने पर ज्यादा मुनाफा होगा।
मई महीने में भारत ने कितना सोना खरीदा?
आपको जानकर हैरानी होगी, कि मई महीने में भारत ने विदेशों से 5.8 अरब डॉलर का सोना खरीदा है, जबकि पिछले साल मई महीने में ही भारत ने सिर्फ 577 मिलियन डॉलर का ही सोना खरीदा था। वहीं, भारत ने इस साल जून महीने में 2.6 अरब डॉलर का सोना खरीदा है, जबकि पिछले साल जून महीने में भारत ने 969 मिलियन डॉलर का सोना खरीदा था। भारत विदेशों से सोना उस वक्त खरीद रहा था, जब पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी आने की आशंका जताई जा रही है और वैश्विक अनिश्चितता बढ़ती जा रही है। भारत में लोगों ने सोना खरीदना इसलिए काफी ज्यादा बढ़ा दिया, क्योंकि बैंकों में ब्याज दर कम होने की वजह से लोगों ने सोना खरीदना ज्यादा फायदे का सौदा समझा है। सोने के बारे में माना यही जाता है, कि लांग टर्म में सोना कभी घाटे का सौदा नहीं होगा।
जियो-पॉलिटिकल संकट का असर
इसके साथ ही पिछले कई महीनों से पूरी दुनिया अलग अलग संकटों में घिरी हुई है। यूक्रेन पर रूसी हमले ने पूरी दुनिया में खाद्य वस्तुओं के दाम के साथ पेट्रोल के दाम भी बढ़ा दिए हैं। यूक्रेन युद्ध की वजह से कई देशों की जीडीपी भी गिर गई है और इसका असर जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों पर काफी ज्यादा पड़ा है। वहीं, यू्क्रेन युद्ध की वजह से पेट्रोल की कीमत काफी ज्यादा बढ़ गई, जिसका असर ये है, कि पिछले 20 सालों में पहली बार डॉलर के मुकाबले यूरोपियन यूनियन की मुद्रा यूरो का वैल्यू 1 डॉलर से कम हो गया है। और ये सब वो फैक्टर्स हैं, जिनकी वजह से भारत में सोने की खरीददारी बढ़ती चली गई। वहीं, जैसे जैसे देश में महंगाई बढ़ती चली गई, लोगों ने सोना खरीदना और भी ज्यादा कर दिया, इसकी वजह से ही शुरूआती महीनों में सोने की कीमत और भी ज्यादा बढ़ती चली गई।
अतर्राष्ट्रीय बाजार में गिरे दाम
एक तरफ भारत ने सोने की रिकॉर्ड खरीददारी की है, तो दूसरी तरह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पिछले तीन महीने में सोने की कीमत में 12 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 1800 डॉलर प्रति औंस हुआ करती थी, जो पिछले तीन महीनों में गिरतर 1720 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच चुकी है। वहीं, अमेरिका में महंगाई चरम पर पहुंच चुकी है और पिछले 40 सालों का रिकॉर्ड तोड़कर जून महीने में 9.1 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। जिसकी वजह से पूरी संभावना है, कि अमेरिका की फेडरल बैंक अपने अगले मॉनेट्री पॉलिसी बैठक में ब्याद दरों में 75 बेसिक प्वाइंट का इजाफा कर सकता है और अगर ऐसा होता है, तो सोने पर प्रेशर और भी ज्यादा बढ़ जाएगी और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत और भी ज्यादा गिर सकती है, जिसकी वजह से उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देश और उनकी करेंसी और भी ज्यादा गिर सकती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अगर फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में इजाफा करता है, तो ये विदेशी निवेशकों के लिए फेडरल बैंक के बांड में निवेश करना चांदी कूटने जैसा होगा, जिसके लिए भारत जैसे विकासशील देशों से निवेशक और तेजी के साथ पैसा निकालेंगे, जिससे रुपया और भी ज्यादा तेजी से नीचे जाएगा और सोने की कीमत भी उसी रफ्तार से नीचे गिरेगी।
भारत में सोने के बाजार का हाल
इक्विटी मार्केट के साथ तुलना करने पर हमें पता चलता है, कि भारत में गोल्ड ने उतना भी खराब नहीं किया है। यानि, इक्विडी मार्केट में जिन्होंने निवेश किया है, उन्हें काफी घाटा हुआ है, लेकिन जिन लोगों ने गोल्ड में निवेश किया है, उन्हें ज्यादा घाटा नहीं हुआ है। लेकिन चूंकी अमेरिकी फेडरल बैंक ब्याजदरों को बढ़ाते जा रहा है, लिहाजा संभावना इसी बात की है, कि आने वाले महीनों में सोने की कीमत और भी तेजी से नीचे जाए। लेकिन, एक्सपर्ट्स का कहना है, कि जो लोग गोल्ड बांड या फिर सिर्फ गोल्ड में निवेश कर रहे है, उन्हें ऐसा लंबी अवधि में ज्यादा मुनाफे के लिए निवेश करते रहना चाहिए। वहीं, ज्यादातर एक्सपर्ट्स का कहना है, कि लोगों को सोना खरीदने से ज्यादा सोने का बाउंड खरीदना चाहिए, जो ज्यादा मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है, जैसे एक्सचेंज ट्रेडेड फंड। वहीं, एक्सपर्ट्स का कहना है कि, अभी चूंकी सोने का दाम और गिरने वाला है, लिहाजा लोगों को सोना खरीदने से ज्यादा सॉवरेन गोल्ड बाउंड खरीदना चाहिए और एक्सपर्ट्स तो यहां तक कहते हैं, कि बाजार में निवेश करने वालों को अपना 10 से 15 प्रतिशत घन सोने में निवेश करना चाहिए, इससे निवेशक सुरक्षित रह सकते हैं। यानि, इक्विटी मार्केट में जिन्होंने निवेश किया होगा, उन्हे भले ही घाटा उठाना पड़ा हो, लेकिन गोल्ड में निवेश करने वाले सुरक्षित हैं।
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