पाक में सेना के राज की दस्तक, भारत को रहना होगा सतर्क
नवाज शरीफ के दोषी करार दिए जाने से पाकिस्तान में फिर सेना के दौर के लौटने के आसार, क्या होगा भारत के साथ रिश्तों पर असर
नई दिल्ली। पाकिस्तान में जिस तरह से पनामा पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ को दोषी करार देते हुए उन्हें प्रधानमंत्री के पद के लिए अयोग्य करार दिया है, उसके बाद एक बार फिर से नवाज शरीफ देश के ऐसे प्रधानमंत्री बन गए हैं जोकि अपना प्रधानमंत्री का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके हैं। पाकिस्तान के इतिहास पर नजर डालें तो पाक के किसी भी प्रधानमंत्री ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है।
सेना और पाक के बीच छत्तीस का आंकड़ा
पाकिस्तान के भीतर राजनीतिक भूचाल के पीछे माना जा रहा है कि सेना का हाथ है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पीछे भी माना जा रहा है कि सेना का हाथ हो सकता है। दरअसल नवाज शरीफ अपने अलग तेवर के लिए जाने जाते हैं, जिसके चलते उनके और सेना के बीच छत्तीस का आंकड़ा बना रहा। तमाम मौकों पर नवाज शरीफ ने सेना के एजेंडे पर चलने की बजाय एक अलग रुख अख्तियार किया, जिसके चलते वह सेना के निशाने पर आ गए थे।
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शरीफ-मोदी की नजदीकी से नाराज पाक सेना
भारत में नरेंद्र मोदी की जीत के बाद जिस तरह से वह नवाज शरीफ पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे और उसके बाद उनका पाकिस्तान में विरोध शुरू हुआ उसने नवाज के लिए मुसीबत खड़ी कर दी थी। सेना शरीफ के इस फैसले से बेहद नाखुश था। यही नहीं पीएम मोदी भी पाकिस्तान के साथ रिश्तों को बेहतर करने के लिए कदम आगे बढ़ा रहे थे और इस कड़ी में वह नवाज शरीफ को उनके जन्मदिन की बधाई देने के लिए पाकिस्तान पहुंचे थे।
पीएम के दौरे के बाद हुआ पठानकोट का हमला
यहां गौर करने वाली बात है कि पीएम मोदी के इस दौरे के बाद ही भारत में पठानकोट की घटना को अंजाम दिया गया था। जिसमें कई भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। जिसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में एक बार फिर से तनाव बढ़ गया था। ऐसे में शरीफ और पाकिस्तान की सेना के बीच बढ़ते मतभेद के चलते इस बात की कोशिशें पहले ही शुरू हो गईं थी कि उन्हें अपदस्थ किया जाए।
सेना की भूमिका होगी अहम
बहरहाल नवाज शरीफ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपने पद से आधिकारिक रूप से इस्तीफा दे दिया है, ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि पाकिस्तान में एक बार फिर से चुनाव हो सकते हैं। जबकि पाकिस्तान में एक धड़ा ऐसा भी है जिसका मानना है कि देश के अगले प्रधानमंत्री के चयन के पीछ पाकिस्तान की सेना का काफी अहम किरदार होगा। जिस तरह से पाकिस्तान रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भारत के खिलाफ परमाणु हमले की धमकी देते रहे हैं, उसे देखते हुए माना जा रहा है कि पाकिस्तान की सेना की वह पहली पसंद हो सकते हैं।
कुलभूषण जाधव मामले पर पड़ेगा असर
पाकिस्तान में चल रही इस पूरी उठापटक के बीच भारत भी इसपर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है। जिस तरह से दोनों देशों के बीच रिश्तों में खटास आई है उसे देखते हुए पाक की कमान किसके हाथ में जाती है यह भारत के लिए परिपेक्ष्य से भी काफी अहम है। भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले को लेकर दोनों ही देश पहले ही अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट पहुंच गए हैं। पाकिस्तान की सेना कोर्ट ने जाधव को फांसी की सजा सुनाई है। पाक की सेना कोर्ट पर आरोप है कि उसने तमाम तथ्यों को दरकिनार करते हुए सेना के इशारे पर फांसी की सजा सुनाई है। ऐसे में जाधव मामले पर भी पाकिस्तान के भीतर उठापटक काफी अहम साबित हो सकती है।