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कैसे सूर्य को भी चुनौती देने लगा है चीन, 10 गुना ज्यादा तापमान वाला 'कृत्रिम सूरज' बनाया

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बीजिंग, 3 जून: चीन के 'कृत्रिम सूरज' ने 20 सेकंड तक असली सूर्य के तापामान से भी 10 गुना ज्यादा तापमान हासिल कर लिया है। चीन, एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपर कंडक्टिंग टोकामैक (ईएएसटी) पर काम कर रहा है, जो सूर्य की ऊर्जा निर्माण प्रक्रिया की नकल पर आधारित है। चीन की सरकारी मीडिया का दावा है कि इसने 101 सेकंड तक 12 करोड़ डिग्री सेल्सियस तापमान पर चलकर एक नया रिकॉर्ड कायम किया है। अगले 20 सेकंड तक तो इस 'कृत्रिम सूरज' (आर्टिफिशियल सन) ने 16 करोड़ डिग्री सेल्सियस के उच्चतम तापमान को भी हासिल कर लिया, जो की सूर्य से भी 10 गुना से भी ज्यादा गर्म है।

'कृत्रिम सूरज' (ईएएसटी) क्या है?

'कृत्रिम सूरज' (ईएएसटी) क्या है?

एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपर कंडक्टिंग टोकामैक (ईएएसटी) रिएक्टर एक एडवांस्ड न्यूक्लियर फ्यूजन प्रायोगिक शोध उपकरण है। यह चीन के हेफेई स्थित चाइनीज एकैडमी ऑफ साइंसेज के इंस्टीट्यूट ऑफ प्लाज्मा फिजिक्स में मौजूद है। 'कृत्रिम सूरज' (आर्टिफिशियल सन) का उद्देश्य न्यूक्लियर फ्यूजन की उसी प्रक्रिया को दोहराना है, जिस तरह से सूर्य को शक्ति मिलती है। ईएएसटी चीन के तीन टोकामैक में से एक है, जो इस समय वहां काम कर रहे हैं। ईएएसटी के अलावा चीन इस समय एचएल-2ए रिएक्टर के साथ-साथ जे-टीईएक्सटी भी चला रहा है। पिछले साल दिसंबर में पहली बार चीन ने अपने सबसे बड़े और सबसे अत्याधुनिक न्यूक्लियर फ्यूजन एक्सपेरिमेंटल रिसर्च डिवाइस एचएल-2ए टोकामैक को सफलतापूर्वक चलाया था, जिसे चीन के परमाणु शक्ति शोध क्षमता के विकास में मील का पत्थर बताया जाता है। ईएएसटी 2006 से ही ऑपरेशनल है और तब से इसने कई रिकॉर्ड बनाए हैं। यह प्रोजेक्ट इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्यर (आईटीईआर) फैसिलिटी का हिस्सा है और 2035 में ऑपरेशनल होने के बाद यह विश्व का सबसे बड़ा न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर बन जाएगा। इस प्रोजेक्ट में कई देशों का योगदान है, जिसमें भारत के अलावा दक्षिण कोरिया, जापान, रूस और अमेरिका भी शामिल हैं।

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कैसे सूर्य को भी चुनौती देने लगा है चीन, 10 गुना ज्यादा तापमान वाला 'कृत्रिम सूरज' बनाया
'कृत्रिम सूरज' (आर्टिफिशियल सन) से क्या फायदा होगा ?

'कृत्रिम सूरज' (आर्टिफिशियल सन) से क्या फायदा होगा ?

ईएएसटी टोकामैक डिवाइस को उसी तरह से डिजाइन किया गया है, जिस तरह की न्यूक्लियर फ्यूजन की प्रक्रिया सूरज और तारों में होती है। न्यूक्लियर फ्यूजन विज्ञान की वह प्रक्रिया है, जिसमें बहुत ही ज्यादा ऊर्जा पैदा होती, लेकिन ज्यादा मात्रा में परमाणु कचरा नहीं निकलता। पहले से परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए न्यूक्लियर फिजन की प्रक्रिया अपनाई जाती रही है, जो कि परमाणुओं को दो या ज्यादा भाग में तोड़ने पर आधारित है। न्यूक्लियर फिजन की प्रक्रिया तो आसान है, लेकिन इसमें बहुत ज्यादा परमाणु कचरा निकलता है। यही नहीं, न्यूक्लियर फ्यूजन में न्यूक्लियर फिजन की तरह ग्रीन हाउस गैसें भी नहीं निकलतीं और इसमें परमाणु दुर्घटनाओं का जोखिम भी कम रहता है। इस प्रक्रिया पर पूरी तरह से सफलता मिल जाने के बाद इससे असीमित स्वच्छ ऊर्जा तो मिलेगा ही, लागत भी बहुत कम हो जाएगी।

'कृत्रिम सूरज' (आर्टिफिशियल सन) कैसे काम करता है ?

'कृत्रिम सूरज' (आर्टिफिशियल सन) कैसे काम करता है ?

न्यूक्लियर फ्यूजन कराने के लिए हाइड्रोजन के आइसोटोप्स (ड्यूटीरियम और ट्राइटियम) पर अत्यधिक तापमान और दबाव डाला जाता है, जिससे कि वो आपस में फ्यूज हो जाएं। इसकी वजह से हीलियम और न्यूट्रॉन के अलावा बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा पैदा होती है। इस प्रक्रिया में ईंधन को 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे कि सब-ऑटोमिक पार्टिकल्स का गर्म प्लाज्मा 'सूप' तैयार हो सके। फिर बहुत ही शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र की मदद से प्लाज्मा को रिएक्टर की दीवार से दूर रखा जाता है, ताकि यह ठंडा होकर ज्यादा मात्रा में ऊर्जा पैदा करने की अपनी क्षमता न खो दे। न्यूक्लियर फ्यूजन कराने के लिए प्लाज्मा को लंबे वक्त तक रोक कर रखा जाता है।

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चीन का नया रिकॉर्ड क्यों मायने रखता है ?

चीन का नया रिकॉर्ड क्यों मायने रखता है ?

बीते शुक्रवार को ईएएसटी ने प्लाज्मा का 12 करोड़ डिग्री सेल्सियस तापमान हासिल करके और 20 सेकंड तक उसे 16 करोड़ डिग्री सेल्सियस के उच्चतम तापमान पर चलाकर एक नया कीर्तिमान प्राप्त किया है। अगर सूर्य के तापमान से इसकी तुलना करें तो उसका आंतरिक भाग सिर्फ 1.5 करोड़ डिग्री सेल्सियस के करीब तक ही पहुंच पाता है। यानी इंसान ने जो रिएक्टर बनाया है उससे पैदा होने वाला तापमान सूरज की गर्मी से भी 10 गुना ज्यादा गर्म है। वैज्ञानिकों का लक्ष्य अब इस तापमान को लंबे समय तक बनाकर रखना है। चीन के वैज्ञानिक इसे ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में क्रांतिकारी सफलता मान रहे हैं। हालांकि, चीन के वैज्ञानिक लिन बोक्वियांग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा है कि 'कृत्रिम सूरज' को पूरी तरह से शुरू करने में अभी भी तीन दशक बाकी हैं। वैसे बता दें कि पिछले साल दक्षिण कोरिया का केस्टार रिएक्टर ने भी 20 सेकंड तक प्लाज्मा का तापमान 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक मेंटेंन रखने की रिकॉर्ड बनाया था। (तस्वीरें सौजन्य: चीनी मीडिया)

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English summary
China raised the temperature of the artificial sun to 10 times more than the sun, the contribution of many countries including India in this process of nuclear fusion
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