UN चीफ ने कहा, कोरोना वायरस की वैक्सीन के बिना दुनिया नहीं हो सकती सामान्य
न्यूयॉर्क। यूनाइटेड नेशंस (यूएन) के चीफ एंटोनियो गुटारेशे ने कहा है कि जब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन डेवलप नहीं हो जाती है, तब तक दुनिया में किसी तरह से सामान्य स्थिति की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। उन्होंने इसके साथ ही उम्मीद जताई है कि इस वर्ष का अंत होने से पहले वैक्सीन डेवलप कर ली जाएगी। आपको बता दें कि अब तक इस वायरस ने दुनियाभर में 134,616 लोगों की जान ले ली है और दो मिलियन यानी 20 लाख से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हैं।
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वैक्सीन से ही बचेंगी लाखों जिंदगियां
यूएन में करीब 50 सदस्य अफ्रीकी देशों के साथ हुई एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान यूएन चीफ ने कहा, 'एक सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन ही वह तरीका है जिससे दुनिया सामान्य हो सकेगी। इसकी वजह से न सिर्फ लाखों जिंदगियां बच सकेंगी बल्कि देशों के अरबों-खरबों डॉलर्स को भी बचाया जा सकेगा।' उन्होंने इसके साथ ही मांग की कि वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए और इसे पूरी दुनिया के लिए उपलब्ध कराया जाए। इसके साथ ही उन्होंने यह बात भी कही कि इसके वैश्विक फायदे होने चाहिए और इससे महामारी को रोका जा सके। यूएन चीफ ने कहा, 'हमें ऐसे महत्वाकांक्षी प्रयासों की जरूरत है जिससे अंतरराष्ट्रीय साझेदार एक सुरक्षित और एकत्रित तरीके से काम कर सकें, यह सुनिश्चित हो सके।' गुटारेशे ने कहा कि 25 मार्च को उन्होंने यूएन के मानवाधिकार कार्यों के लिए दो बिलियन डॉलर अनुदान की अपील की थी ताकि महामारी से विस्तृत तौर पर निबटा जा सके। अब तक करीब 20 प्रतिशत रकम यूएन के पास हा चुकी है।
WHO ने भी कही थी ऐसी बात
यूएन चीफ से पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने चीन से निकले वुहान वायरस को लेकर एक बड़ी बात कही थी। संगठन के विशेष दूत डॉक्टर डेविड नबारो ने इस महामारी को लेकर यह दिल दुखाने वाली बात कही है। डॉक्टर नबारो ने एनबीसी पर आए 'मीट द प्रेस' में दुनिया को वॉर्निंग दी है। उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि जब तक कोई वैक्सीन नहीं डेवलप हो जाती है तब यह वायरस लंबे समय तक इंसानों को परेशान करता रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि छोटे स्तर पर लौटती रहेगी और हर तरह के सुरक्षा चक्र को तोड़कर रख देगी।' डॉक्टर नबारो के मुताबिक कोरोना वायरस फ्लू जैसी मौसमी बीमारी के तौर पर परेशान करता रहेगा। उन्होंने कहा कि वैक्सीन के अभाव में इस वायरस से बचने का बस एक ही तरीका है कि जैसे ही केस सामने आने शुरू हों, उन्हें आइसोलेट किया जाए और महामारी को आगे बढ़ने से रोका जाए।