समंदर का दादा बनने के लिए चीन ने बनाया फुजियान, मगर इस पर नहीं दिया ध्यान, कैसे लड़ेगा जंग?
भारत का पड़ोसी देश चीन इनदिनों कुछ विशेष प्रतिभा वाले प्रशिक्षित पायलटों की घनघोर कमी से जूझ रहा है। चीन के पास ऐसे पायलटों की बेहद कमी है जो विमानवाहक पोतों से लड़ाकू विमानों को संचालित करने में दक्ष हों।
बीजिंग, 02 अक्टूबरः भारत का पड़ोसी देश चीन इनदिनों कुछ विशेष प्रतिभा वाले प्रशिक्षित पायलटों की घनघोर कमी से जूझ रहा है। चीन के पास ऐसे पायलटों की बेहद कमी है जो विमानवाहक पोतों से लड़ाकू विमानों को संचालित करने में दक्ष हों। इसी साल जून में चीन की नौसेना ने तीसरा विमानवाहक पोत लांच किया है। इसके साथ चीन एक और एयरक्राफ्ट कैरियर लॉन्च करने की तैयारी में है। लेकिन देश में ऐसे पायलट्स बेहद कम हैं जो इन विमान वाहक पोत से फाइटर जेट्स उड़ा सकें।
प्रशिक्षित पायलटों की कमी से जूझ रहा चीन
ऐसे में चीनी नौसेना अब उस पायलट ट्रेनिंग प्रोग्राम में तेजी लाना चाहती है जिसके बाद अच्छे पायलट्स तैयार किए जा सकेंगे। एक चाइनीज मिलिट्री मैगजीन 'ऑर्डनेंस इंडस्ट्री साइंस टेक्नोलॉजी' की तरफ से एक आर्टिकल जारी किया गया है जिसमें यह खुलासा हुआ है कि चीन प्रशिक्षित पायलटों की कमी से जूझ रहा है। मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी नेवी को इस समय अपने उन फाइटर जेट्स के लिए पायलट्स नहीं मिल रहे हैं जो विमानवाहक पोत के लिए बने हैं।
फुजियान एयरक्राफ्ट के लिए तैयार किया गया जे-15
चीन ने जे-15 जेट्स को खासतौर पर इन विमानवाहक पोतों के लिए बनाया है। रिपोर्ट के मुताबिक एक दशक में यह पहला मौका है लब चीन इस तरह की समस्या से जूझ रहा है। चीन का सबसे पहला विमानवाहक पोत लियाओनिंग था, जो उसने 1988 में लांच किया था। इसके बाद चीन ने 2017 में एक और विमानवाहक पोत शानडोंग लांच किया। इसी साल जून में तीसरा विमानवाहक पोत फ़ुज़ियान लांच करने के बाद अब चीन को पता चला है कि उसके पास इतने पायलट्स ही नहीं हैं जो इतने एयरक्राफ्ट्स से फाइटर जेट्स उड़ा सकें।
चीन को 200 प्रशिक्षित पायलटों की जरूरत
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर के मुताबिक बीते हफ्ते ही चीन के तीसरे और सबसे उन्नत विमानवाहक पोत फ़ुज़ियान के समुद्री परीक्षण शुरू हुए हैं। पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी नेवी को कम 200 ऐसे पायलट्स की जरूरत है जो 130 फाइटर जेट्स को इस विमानवाहक पोत से ऑपरेट कर सकें। चीन के नेवी विशेषज्ञ ली जेई ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को इस बात की जानकारी दी है। जानकारी के मुताबिक फुजियान एडवांस्ड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुलेट्स से लैस है। जबकि चीन के पहले दो विमानवाहक पोत स्की जंप डिजाइन के साथ हैं। नई तकनीक होने की वजह से नौसेना को नए विमान लॉन्च और रिकवरी सिस्टम में महारत हासिल करनी होगी।
पायलट प्रशिक्षण दुनिया का सबसे कठिन तकनीक
ली के मुताबिक यह चुनौतियों से भरा है, क्योंकि विमान डिजाइन और पायलट प्रशिक्षण दुनिया की सबसे कठिन और जटिल कोर तकनीक में से एक है और कोई भी देश इसे एक दूसरे देशों के साथ साझा नहीं करता है। पीएलए नौसेना के पायलट चीनी निर्मित जेएल-9जी का उपयोग करते हैं, जो एक एकल इंजन वाला जुड़वां सीट वाला विमान है लेकिन इसका उपयोग उड़ान डेक पर आपातकालीन लैंडिंग का अनुकरण करने के लिए नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसमें कई खामियां हैं जैसे कि यह बहुत हल्का और बहुत धीमा है इसलिए इसे भूमि-आधारित नकली वाहक प्रशिक्षण तक में ही यूज किया जाता है।
तेजी से पायलटों को ट्रेन कर रहा चीन
वहीं, अगर जे-15 की बात करें जिसे फुजियान के लिए तैयार किया गया है, जुड़वां इंजन वाली सिंगल सीट का जेट है जिसे दुनिया का सबसे भारी वाहक लड़ाकू विमान कहा जाता है। चीन, अमेरिका के बराबर ही अपनी नौसेना को ताकतवर बनाना तो चाहता है लेकिन ड्रैगन के पास अमेरिकी टी-45 जेट्स को उड़ाने वाले पायलटों को तैयार करने वाले प्रशिक्षित ट्रेनर नहीं हैं। हालांकि चीनी नौसेना ने साल 2020 से ही हाई स्कूल से ग्रेजुएट्स कैडेट्स की सीधी भर्ती शुरू कर दी है। इनकी उम्र 16 से 19 साल है। इन नई पीढ़ी के नेवी पायलट की औसतन उम्र 20 साल है जो कि पहले के पायलट्स की तुलना में 10 साल युवा हैं।