चीन की 'चिप इंडस्ट्री' भ्रष्टाचार की वजह से कैसे सड़ गई? फेल हुआ दुनिया को मुट्ठी में करने वाला प्रोजेक्ट
जब से नेशनल इंटीग्रेटेड सर्किट इंडस्ट्री इन्वेस्टमेंट फंड, जिसे बिग फंड भी कहा जाता है, उसके कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें सिंघुआ यूनिग्रुप के पूर्व अध्यक्ष भी शामिल हैं, तब से चिप इंडस्ट्री में हड़कंप है
बीजिंग, अगस्त 14: हालांकि, किसी भी देश के लिए भ्रष्टाचार किसी दीमक की तरह ही होता है, जो उस देश की अर्थव्यवस्था को खोखला बनाता रहता है, लेकिन चीन के चिप इंडस्ट्री में हुए भारी भ्रष्टाचार से दुनिया राहत की सांस ले रही होगी। चीन में जुलाई के मध्य में शुरू हुए भ्रष्टाचार विरोधी तूफान के परिणामस्वरूप अब तक एक दर्जन शीर्ष चीनी अधिकारियों और मंत्रियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनके ऊपर सरकार के 'नेशनल इन्वेस्टमेंट फंड', जिसे शी जिनपिंग की सरकार ने चिप इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए बनाया था, उसमें घपलेबाजी करने का आरोप लगा है और चीनी मीडिया का कहना है, कि इस भ्रष्टाचार की वजह से चीन के चिप इंडस्ट्री को जबरदस्त नुकसान हुआ है।
चिप इंडस्ट्री में भारी भ्रष्टाचार कैसे हुआ?
आने वाले वक्त में जो चिप यानि सेमीकंडक्टर निर्माण की दुनिया का बादशाह होगा, दुनिया में उसी का वर्चस्व होगा और अमेरिका ने अपने घरेलू सेमिकंडक्टर प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए करीब 260 अरब डॉलर का नया बिल बजट बनाया है। लेकिन, चीन में कुछ अलग हुआ है। चीन के 'नेशनल इन्वेस्टमेंट फंड' में घोटाला करने के आरोप में चिप बनाने वाली कंपनियों के उच्च अधिकारियों के साथ कई गिरफ्तारियां हुई हैं। जिनमें चीनी प्रौद्योगिकी और सेमीकंडक्टर निर्माता, सिंघुआ यूनिग्रुप के पूर्व अध्यक्ष झाओ वेइगुओ भी शामिल हैं, जिन्हें पिछले महीने गिरफ्तार किया था। इनके ऊपर जांचकर्ताओं ने कथित रूप से अनियमित खरीद गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है। वहीं, चीन के उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, जिओ याकिंग को कम्युनिस्ट पार्टी के अनुशासन और कानूनों के संदिग्ध उल्लंघन के लिए गिरफ्तार किया गया है। आरोप है, कि ये भी इस फंड के भ्रष्टाचार में शामिल हैं।
चीन के चिप इंडस्ट्री में हड़कंप
जब से नेशनल इंटीग्रेटेड सर्किट इंडस्ट्री इन्वेस्टमेंट फंड, जिसे बिग फंड भी कहा जाता है, उसके कई अन्य अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें सिंघुआ यूनिग्रुप के पूर्व अध्यक्ष भी शामिल हैं, तब से चीन के चिप इंडस्ट्री में हड़कंप मच गया है। सिंघुआ यूनिग्रुप के पूर्व अध्यक्ष झाओ वेइगुओ को उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया है। वहीं, चीन की कई कंपनियों की तरफ से बयान जारी करते हुए कहा गया है, कि सिंघुआ यूनिग्रुप के पूर्व अध्यक्ष झाओ वेइगुओ की गिरफ्तारी से उनका संचालन प्रभावित नहीं होगा। ब्लूमबर्ग ने बताया कि, वरिष्ठ चीनी अधिकारियों ने पिछले महीने शिकायत की थी, कि सरकार ने पिछले एक दशक में सेमीकंडक्टर उद्योग में दसियों अरबों डॉलर इन्वेस्ट किए हैं, लेकिन अभी तक अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं किए हैं। वहीं, पिछले डेढ़ साल से चीन की सरकार ने ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में काफी सख्त गाइडलाइंस बना दिए हैं, जिसकी वजह से चीन की दिग्गज कंपनियां, जैसे अलीबाबा और टेनसेंट के शेयर्स पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। ई-कॉमर्स इंडस्ट्री को लेकर जो गाइडलाइन लाया गया, वो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ ही एक ऑपरेशन बताया गया, जिसने जैक मा की कंपनी को बुरी तरह से प्रभावित किया है। वहीं, अब बीजिंग ने एक नया भ्रष्टाचार विरोधी अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य स्पष्ट रूप से सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में सुधार लाना है।
'आत्मनिर्भरता और आत्मसुधार कीजिए'
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 28 जून को जब वुहान स्थिति लेजर-कटिंग फर्म हुआगोंग टेक कंपनी लिमिटेड की यात्रा की थी, तो उस दौरान उन्होंने स्वीकार किा था, कि "ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स एक रणनीतिक उच्च तकनीक वाला उद्योग है, जिसमें लगातार इनोवेशन और टेक्नोलॉजी बदलती रहती है।" शी जिनपिंह ने कहा कि, "चीन के पास उद्योग में सफलता हासिल करने की दिशा में बीड़ा उठाने की शर्तें हैं"। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि, इस क्षेत्र में जो भी समस्याएं हैं, उन्हें प्रमुख प्रौद्योगिकियों के माध्यम से तोड़ना महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही उन्होंने उस दौरान चीनी अधिकारियों को साफ तौर पर कहा कि, बहानेबाजी को छोड़िए और आत्मसुधार कीजिए। शी जिनपिंग इस दौरान काफी सख्त और उसके बाद से ही इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार करने वालों पर नकेल कसी जाने लगी और दर्जनों गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
प्रतिबंध और गला घोंटना
शी जिनपिंग ने इस दौरान इशारों में अमेरिका पर भी निशाना साधा और कहा कि, पिछले दो सालों में चीन से प्रमुख प्रोद्योगिकियों के गायब होने और चीनी महत्वाकांझा का गला दबाने के पीछे अन्य देशों का भी हाथ है। लिहाजा, चीनी नागरिकों के बीच अब इसकी काफी चर्चा भी की जा रही है। आपको बता दें कि, अमेरिका ने मई 2019 में चीन की दिग्गज टेक कंपनी हुआवेई टेक्नोलॉजी को जासूसी करने के आरोप में ब्लैकलिस्ट कर दिया, जिसके बाद पिछले साल सितंबर में हुआवेई ने कहा कि, अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से उसके दूरसंचार व्यवसायों को 30 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ। जिसके बाद चीनी अधिकारियों ने मंदारिन भाषा का शब्द "का बोज़ी" का उपयोग करना शुरू कर दिया, जिसका मतलब 'गला घोंटना' होता है। वहीं, कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि, इस कंपनी ने अमेरिका से काफी टेक्नोलॉजी चोरी की है और प्रतिबंध के बाद ऐसा करना संभव नहीं हो रहा है, लिहाजा चीन को काफी नुकसान हुआ है।
चीन पर नकेल कसता अमेरिका
अमेरिका ने ना सिर्फ जासूसी के आरोप में कई चीनी कंपनियों को प्रतिबंधित कर दिया, बल्कि 2020 की शुरुआत में अमेरिका ने नीदरलैंड को अपने एक्स्ट्रीम अल्ट्रा वॉयलेट (ईयूवी) लिथोग्राफी उपकरण को भी चीन को निर्यात करने से रोक दिया है, जिससे चीन की, 22-नैनोमीटर (एनएम) और 7-एनएम के बीच हाई-एंड चिप्स का उत्पादन करने क्षमता बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। छोटे नोड्स चिप पर ट्रांजिस्टर घनत्व बढ़ा सकते हैं, तेजी से गणना और कम बिजली की खपत प्राप्त कर सकते हैं। वहीं, पिछले महीने, मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था, कि बाइडेन प्रशासन अब चीनी कंपनियों को डीप अल्ट्रावायलट (डीयूवी) लिथोग्राफी उपकरण हासिल करने पर भी प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहा है, जो 28-एनएम और 90-एनएम के बीच के चिप्स बनाते हैं। और अगर अमेरिका ऐसा करता है, तो चीन की चिप इंडस्ट्री घुटने पर आ जाएगी।
चीन में चलने वाली कंपनियों पर प्रतिबंध
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है, कि अब अमेरिका चीन स्थित मेमोरी चिप निर्माताओं को अमेरिकी उपकरण प्राप्त करने से प्रतिबंधित करने पर विचार कर रहा है, जो 128 से ज्यादा लेयर्स के साथ NAND चिप्स बना सकते हैं। पिछले महीने, माइक्रोन ने सिंगापुर में अपने 232-लेयर स्टैक्ड NAND चिप्स का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया है। हाल ही में 163.com समाचार रिपोर्ट में कहा गया है, कि वरिष्ठ चीनी अधिकारियों ने जुलाई की बैठक में राष्ट्रीय चिप क्षेत्र के विकास की समीक्षा की है, जिसमें पाया गया है, कि चिप टेक्नोलॉजी में विस्तार करने के लिए ज्यादातर चीनी परियोजनाएं और निवेश फेल हो गई हैं और इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी टेक्नोलॉजी की चोरी पर लगा अंकुश है।
चीन ने खर्च किए 100 अरब डॉलर
ब्लूमबर्ग ने अनाम स्रोतों का हवाला देते हुए कहा है कि, चीन के कई अधिकारी इस बात से परेशान हैं, कि शी जिनपिंग की सरकार ने पिछले एक दशक में चिप क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 100 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च कर दिए हैं, लेकिन उसके बाद भी चिप इंडस्ट्री कामयाब नहीं हो पाया है। वहीं, इस रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद सिंघुआ यूनिग्रुप के झाओ वेइगुओ और एमआईआईटी के जिओ याकिंग की गिरफ्तारी की प्रक्रिया काउी तेज हो गई। वहीं, कैक्सिन ने बताया कि, यूनिग्रुप के पूर्व सह-अध्यक्ष डियाओ शिजिंग, बिग फंड के महाप्रबंधक डिंग वेनवु और यूनिग्रुप की सहायक बीजिंग यूनी साइंस एंड टेक्नोलॉजी सर्विस ग्रुप कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष ली लुयुआन को भी गिरफ्तार किया गया है। चीन की की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय अनुशासन निरीक्षण आयोग (सीसीडीआई), जो एक भ्रष्टाचार विरोधी निकाय है, उसने 9 अगस्त को कहा था, कि चीन-आईसी कैपिटल लिमिटेड के दो पूर्व कार्यकारी और एक मौजूदा कर्मचारी, जो कि बिग फंड का प्रबंधन करता है, उनकी जांच की जा रही है। इनमें पूर्व निदेशक डू यांग, उप प्रबंधक यांग झेंगफान और पूर्व प्रबंधक लियू यांग शामिल थे।
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