अफगानिस्तान की अरबों की दौलत पर थी ड्रैगन की नजर, एक घटना ने फेर दिया जिनपिंग के प्लान पर पानी
अफगानिस्तान में भारी निवेश करने का प्लान बना रहे शी जिनपिंग की उम्मीदों पर उइगर मुस्लिमों ने पानी फेर दिया है।
बीजिंग/काबुल, अक्टूबर 15: अफगानिस्तान में अरबों रुपये की दुर्लभ खनीज संपदा पर बगुले की तरफ नजर लगाए शी जिनपिंग को बहुत बड़ा झटका लगा है कि और रिपोर्ट आ रही है कि अफगानिस्तान को लेकर जो भी प्लान चीन ने बनाया था, वो खटाई में पड़ गई है। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब उइगर मुस्लिमों ने चीन पर पलटवार किया है और शी जिनपिंग के अफगानिस्तान प्लान पर पानी फेर दिया है।
उइगर मुस्लिमों का जिनपिंग से बदला
चीन में लगातार उइगर मुस्लिमों के मानवाधिकार को कुचला जाता है और अभी भी शी जिनपिंग 'सुधार गृह' के नाम पर 10 लाख से ज्यादा उइगर मुस्लिमों को प्रताड़ित कर रहे हैं, लेकिन ये पहली बार हो रहा है कि, उइगर मुस्लिमों ने चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया है। दरअसल, पिछले हफ्ते अफगानिस्तान के कुंदूज शहर में एक मस्जिद में नमाज के वक्त भीषण बम धमाका हुआ था, जिसमें सौ से ज्यादा नमाजियों की मौत मौके पर ही हो गई थी और खतरनाक आतंकी संगठन आईएसआईएस-खुरासन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। लेकिन, आईएसआईएस-के ने जब कहा कि, इस हमले को एक उइगर मुस्लिम ने अंजाम दिया है, तो फिर चीन की सिट्टी- पिट्टी गुम हो गई। एक उइगर मुस्लिम द्वारा किए गए हमले ने चीन के शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा निर्णय निर्माताओं को झकझोर दिया है और रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने फिलहाल अफगानिस्तान में निवेश प्लान को टाल दिया है।
चीन ने टाला निवेश प्लान
दरअसल, चीन की सरकार से इजाजत मिलने के बाद कई चीनी कंपनियां तालिबान शासित अफगानिस्तान में निवेश करना चाह रहे थे, लेकिन पिछले हफ्ते हुए हमले के बाद तमाम कंपनियों ने अपने पैर पीछे खींच लिए हैं। यूएस न्यूज में लिखते हुए पॉल डी शिंकमैन ने कहा कि चीन के शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा निर्णय लेने वाले अब उइगर संगठनों से लड़ने और रोकने के तालिबान के वादों पर सवाल उठा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पिछले हफ्ते अफगानिस्तान में एक उइगर मुस्लिम द्वारा किए गए विनाशकारी आत्मघाती हमले से चीन स्तब्ध है।
उइगर से स्तब्ध चीन
अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट समूह के सहयोगी, जिसे आईएसआईएस-खुरासन के नाम से जाना जाता है, उसको लेकर चीन का सोचना है कि, इस संगठन को रोकने की ताकत तालिबान में नहीं है या फिर तालिबान इन्हें रोकना ही नहीं चाहता है। आपको बता दें कि, चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम रहते हैं और वो एक अलग देश की मांग कर रहे हैं और चीन की सरकार बड़ी ही बेरहमी से उन्हें कुचल रही है। चीन के दमन से भारी संख्या में उइगर भागकर अफगानिस्तान आ गये हैं, जो अब चीन के लिए मुसीबत बन चुके हैं।
घरेलू आग में झुलस सकता है चीन
यूएस न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, उइगर आबादी के बीच हिंसा को खत्म करने के बीजिंग के प्रयास शायद घर और आस-पास की सबसे संवेदनशील समस्या के रूप में उभरे हैं, जैसा कि यह उस खतरे को खत्म करने के लिए तैयार है, जिसे वह मानता है। अफगानिस्तान में जो नये हालात बन रहे हैं, उसने चीन को काफी चिंता में डाल दिया है। खासकर चीन को अब लगने लगा है कि, तालिबान शासन आने के बाद उइगर की समस्या को खत्म करना काफी मुश्किल हो गया है।
तालिबान का डबल गेम?
अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए एक तरफ तालिबान जरूर चाहता है कि चीन निवेश करे और चीन भी चाहता है कि, अफगानिस्तान में दुर्लभ खनीज का उत्खनन कर वो अपने हितों की पूर्ति करे, लेकिन शिंकमैन ने कहा कि, चीनी सैन्य अधिकारियों की चिंताओं और भविष्य के लिए उनकी योजनाओं पर जानकारी देने वाले एक गुमना सूत्र ने कहा, "वे अफगानिस्तान से कैसे निपटें, इस मामले को लेकर वास्तविक घबराहट चीन के मन में है।"
अफगानिस्तान में जलेगा चीन का हाथ?
विशेषज्ञों का मानना है कि, अफगानिस्तान से जिस तरीके से अमेरिका निकला है, उससे चीन काफी ज्यादा चिंतित है और चीन इस बात को मान रहा है कि, 20 साल तक अमेरिका के लिए अफगानिस्तान में टिकना आसान नहीं था और अगर अमेरिका कट्टरपंथी ताकतों को 'शांत' नहीं कर पाया, तो चीन के लिए वो करना असंभव है। खासक आईएसआईएस-खोरासन में उइगर मुस्लिमों के शामिल होने के बाद चीन के लिए अफगानिस्तान एक विडंबना भरा सवाल बन चुका है। स्टिमसन सेंटर में चीन कार्यक्रम के निदेशक यूं सुन कहते हैं कि, वास्तव में देखा जाए तो तालिबान के वास्तविक नेता आईएसआईएस-खोरासन से समझौता करने के मूड में हैं, और वो शक्तिशाली नेता हक्कानी नेटवर्क के हैं।
अब क्या करेगा चीन?
शिंकमैन ने कहा किस यह खबर विशेष रूप से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए विडंबनापूर्ण प्रतीत होती है, क्योंकि अफगानिस्तान में राष्ट्र-निर्माण के अमेरिका के असफल प्रयासों और इस गर्मी में उसकी शर्मनाक वापसी को भुनाने के अपने मुखर अभियान के बाद चीन के सामने असफलता दिख रही है। चीन के सुरक्षा से जुड़े एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा है कि, फिलहाल चीन अफगानिस्तान में कोई निवेश नहीं करेगा और चीन पहले ये सुनिश्चित करने की कोशिश करेगा, कि अफगानिस्तान की जमीन पर चरमपंथी घटनाओं में कमी होती है या नहीं। अगर अफगानिस्तान में ऐसे संगठनों पर नकेल नहीं डाले गये, तो फिर चीन एक फुटी कौड़ी भी अफगानिस्तान में नहीं लगाएगा।
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