कोरोना के खतरों के बारे में जनता को चेतावनी देने में नाकाम रहा चीन
बीजिंग। चीन से शुरू हुई कोरोना महामारी पर अब दुनियाभर में फैल चुकी है। चीन भले ही इस बीमारी से निपटने का दावा कर रहा है लेकिन अब इसके विपरीत कई तरह की खबरें सामने आ रही है। अल-जजीरा में छपी खबर के मुताबिक, चीन अपने नागरिकों को समय रहते कोरोना के खतरों को बताने में असफल रहा। जनवरी में होने वाले लूनर नववर्ष समारोह के मौके पर वुहान में बहुत बड़े भोज का आयोजन हुआ था, जिसमें 10 हजार से अधिक लोग शामिल हुए थे। वहीं इस मौके पर लाखों ने देश के कई हिस्सों में यात्राएं भी की हैं।

एसोसिएटेड प्रेस (एपी) के मुताबिक, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 20 जनवरी को जनता को चेतावनी दी थी। लेकिन तब तक देश में कोरोना वायरस से 3 हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके थे। चीनी अधिकारियों ने 14 जनवरी से 20 जनवरी तक की देरी की। यह उनकी पहली गलती नहीं थी। यहां की वहां की सरकार ने दुनिया को महीनों तक इस वायरस को लेकर कोई जानकारी दी। जिसके चलते आज लगभग पूरा विश्व इसकी चपेट में है।
चीन द्वारा जनता को सचेत करने और घबराहट से बचने के लिए जो तरीके अपनाए और परिणाम यह हुआ कि, इससे पूरी दुनिया में 20 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो गए, जबकि 1 लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के महामारीविद डॉ ज़ू-फेंग झांग ने कहा कि, चीन अगर वे छह दिन पहले कार्रवाई करता, तो बहुत कम मरीज होते और चिकित्सा सुविधाएं पर्याप्त होतीं।
हालांकि, हांगकांग के विश्वविद्यालय में एक अन्य महामारी विज्ञानी बेंजामिन कोवले ने कहा कि यह एक मुश्किल कॉल हो सकती थी। अगर स्वास्थ्य अधिकारी जल्द ही अलार्म बजाते हैं तो इससे उनकी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंच सकता है और जनता को जुटाने की उनकी क्षमता कमजोर हो सकती थी। चीनी सरकार ने शुरुआती दिनों में बार-बार सूचनाओं को दबाने से इनकार किया है। उनका दावा है कि उन्हें तुरंत इसकी जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी थी।
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