अमेरिका ने दिया भारत का साथ, चीन को झटका
भारत में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड वर्मा ने पूरा किया भारत के नॉर्थ ईस्ट इलाकों का दौरा। मिजोरम को छोड़कर अरुणाचल समेत नॉर्थ ईस्ट के सभी इलाकों में गए हैं रिचर्ड।
नई दिल्ली। भारत में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड वर्मा ने देश के नॉर्थ ईस्ट इलाकों का दौरा पूरा कर लिया है।चीन जो पहले ही वर्मा के अरुणाचल दौरे से चिढ़ा था, उसकी परेशान से भी अब अमेरिका को कोई सरोकार नहीं है। अमेरिका ने चीन को किनारे करते हुए अपने राजदूत के नॉर्थ ईस्टर्न दौरे का समर्थन किया है।
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नॉर्थ ईस्ट जाने वाले पहले अमेरिकी राजदूत
अमेरिकी राजदूत की ओर से मीडिया को जानकारी दी गई है कि किसी अमेरिकी राजदूत के लिए यह पहला मौका है जब उन्होंने नॉर्थ ईस्ट का दौरा किया है। रिचर्ड ने इस क्षेत्र के नेताओं के साथ भारत की एक्ट-ईस्ट पॉलिसी पर भी चर्चा की।
सूत्रों की मानें तो भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंधों का ही नतीजा है कि रिचर्ड नॉर्थ ईस्ट गए थे। वर्मा के इस दौरे पर अमेरिकी प्रशासन में होने वाले किसी भी बदलाव का कोई असर नहीं पड़ा है।
भारत सरकार से जुड़े सूत्रों की मानें तो कहीं न कहीं यह भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है और अब देखना होगा कि यहां चीजें कैसे आगे बढ़ती हैं।
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ट्रंप के आने से भी नहीं पड़ेगा ज्यादा असर
नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने वाले कार्यकाल से पहले रिचर्ड के इस कदम को अमेरिका और भारत के संबंधों में मजबूती का प्रतीक माना जा रहा है।
रिचर्ड ने 29 नवंबर से तीन दिसंबर तक मेघालय, असम, मणिपुर, नागालैंड और त्रिपुरा का दौरा किया है।
उन्होंने मेघायल के मुख्यमंत्री मुकल संगमा, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम इबोदी सिंह, नागालैंड के मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग और त्रिपुरा के गर्वनर तथागत रॉय और मुख्यमंत्री मानिक सरकार से मुलाकात की।
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रिचर्ड पहुंचे अरुणाचल तो चिढ़ा था चीन
इससे पहले रिचर्ड 21 अक्टूबर को अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर गएथे। रिचर्ड जब अरुणाचल पहुंचे तो चीन का पारा हाई हो गया था।
चीन ने उस समय अमेरिका को चेतावनी देने के अंदाज में कहा है कि भारत और चीन के बीच अगर कोई आया तो फिर विवाद सुलझने के बजाय सिर्फ उलझेगा।
चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से रिचर्ड वर्मा बयान तक जारी कर दिया गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कैंग ने उस कहा था कि अमेरिकी राजदूत के इस कदम का चीन मजबूती के साथ विरोध करता है।
चीन का कहना था कि भारत और चीन के बॉर्डर पर बड़ी मुश्किल से आई शांति और स्थिरता को नुकसान पहुंचेगा।