ब्लॉगः ...तो पाकिस्तान में असली सत्ता किसके पास है
लोकतंत्र का तंबू दो बल्लियों पर खड़ा होता है- पक्ष और विपक्ष. मगर इन दिनों कुछ पल्ले नहीं पड़ रहा कि किस शाख़ पर कौन बैठा है.
पाकिस्तान में सत्तारूढ़ सरकार मुस्लिम लीग (नवाज़) की है, मगर विरोधी गुट भी मुस्लिम लीग (नवाज़) ही लगता है.
प्रधानमंत्री शाहिद ख़ाक़ान अब्बासी हर जगह कह रहे हैं कि 'मैं भले देश का प्रधानमंत्री हूं
लोकतंत्र का तंबू दो बल्लियों पर खड़ा होता है- पक्ष और विपक्ष. मगर इन दिनों कुछ पल्ले नहीं पड़ रहा कि किस शाख़ पर कौन बैठा है.
पाकिस्तान में सत्तारूढ़ सरकार मुस्लिम लीग (नवाज़) की है, मगर विरोधी गुट भी मुस्लिम लीग (नवाज़) ही लगता है.
प्रधानमंत्री शाहिद ख़ाक़ान अब्बासी हर जगह कह रहे हैं कि 'मैं भले देश का प्रधानमंत्री हूं, मगर मेरे प्रधानमंत्री तो नवाज़ शरीफ ही हैं.'
पिछले हफ़्ते प्रधानमंत्री अब्बासी ने कहा कि अगला चुनाव, चुनाव आयोग नहीं बल्कि ख़लाई मख़लूक यानी एलियंस करवाएंगे.
ये बात विरोधी गुट का कोई नेता कहता तो बात समझ में आ जाती कि विरोधियों का काम ही हर चीज़ में कीड़े निकालना है, पर किसी प्रधानमंत्री का ये कहना कि अगला चुनाव एलियंस करवाएंगे, सरकार की बेचारगी ज़ाहिर करता है.
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बॉस भी प्रधानमंत्री ही हैं...
प्रधानमंत्री का इशारा ज़ाहिर है कुछ गुप्तचर संस्थानों की ओर है. पर विडंबना ये है कि इन गुप्तचर संस्थानों के बॉस भी प्रधानमंत्री ही हैं, भले काग़ज़ पर ही सही.
पर शायद ये इतने ताक़तवर हैं कि ख़ुद बॉस यानी प्रधानमंत्री किसी सती-सावित्री की तरह इन संस्थाओं का नाम लेने के बजाय घूंघट काढ़ के बस यही कह सकता है- मुन्ने के अब्बा, अजी सुनते हो...!
इसी तरह भ्रष्टाचार का पता चलाने के लिए सीबीआई की तरह का इदारा नायाब सुप्रीम कोर्ट के हुक्म पर निकाले जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ और उनके परिवारों की जायदादों की छान-भटक कर रहा है.
इस पर भी प्रधानमंत्री अब्बासी ने आरोप लगाया है कि ये संस्थान नैब (नेशनल एकाउंटीब्लिटी ब्यूरो) किसी और के इशारों पर काम कर रहा है.
प्रधानमंत्री अब्बासी की पार्टी
ज़ाहिर है कि ये इशारा भी मुन्ने की अब्बा की तरफ़ है. इससे भी ज़्यादा मज़ेदार रवैया प्रधानमंत्री अब्बासी की पार्टी मुस्लिम लीग (एन) के सदस्य शहबाज़ शरीफ़ का है.
वो हर जगह कहते फिर रहे हैं कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आ गई तो हम कराची को न्यूयॉर्क बना देंगे. पूरे मुल्क में मॉडर्न हाईवेज़ का जाल बिछा देंगे.
सिंध, बलूचिस्तान और ख़ैबर पख़्तूनख़्वा को भी पंजाब के बराबर तरक़्क़ी देंगे, इत्यादि इत्यादि.
किसी में हौसला नहीं है कि शहबाज़ शरीफ़ को झंझोड़ के बता सके कि भाई साहब ज़रा बैठिए, आपके सिर पर ठंडे पानी की बाल्टी तो डाल दूं ताकि आप होश में आ जाएं.
नौ वर्ष से सरकार चलाने वाली...
आप विरोधी गुट में नहीं हैं. सरकार आप तो ख़ुद सरकार हैं. कुछ यही रवैया सिंध में पिछले नौ वर्ष से सरकार चलाने वाली पीपुल्स पार्टी का भी है.
महामंत्री हर जलसे में कह रहे हैं कि अगर जनता ने उन्हें मौका दिया तो सिंध को इतनी प्रगति देंगे कि सिंध ने सोचा भी न होगा.
लगता है गर्मी ने सबका दिमाग़ उलट दिया है.
महामंत्री की ऐसी बातों के बाद अब सिंधी जनता ये सोच रही है कि 'महा' के साथ अब और क्या-क्या शब्द जोड़ा जा सकता है.