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बाइडेन ने ताइवान के साथ व्यापार को लेकर उठाए कदम, चीन ने कहा, युद्ध को निमंत्रण दे रहा अमेरिका

अमेरिका का ताइवान के साथ व्यापार वार्ता की घोषणा के बाद बीजिंग ने ताइवान को डराने के लिए समुद्र में मिसाइलें दागीं।

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न्यूयॉर्क/ताइपे, 18 अगस्त :अमेरिकी सरकार ताइवान के साथ व्यापार समझौता करने पर विचार कर रही है। बता दें कि ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। अभी कुछ दिन पहले ही नैन्सी के ताइवान दौरे से चीन काफी नाराज हो गया था। अब खबर है कि, बाइडेन प्रशासन ताइवान के लोकतंत्र को समर्थन करने के लिए उसके साथ व्यापारिक रिश्तों को आगे बढ़ाना चाहता है। अमेरिका चीन को व्यापार की आड़ में यह बताने की कोशिश कर रहा है वह उसकी धमकियों से नहीं डरता है। बता दें कि, चीन ताइवान पर अपना दावा करता रहा है। बीजिंग का मानना है कि, अगर जरूरत पड़ी तो वह बल का प्रयोग करके ताइवान को चीन का हिस्सा बना लेगा। वह आज भी ताइपे को अपना एक प्रांत मानता है।

अमेरिका,ताइवान की दोस्ती से चिढ़ गया चीन

अमेरिका,ताइवान की दोस्ती से चिढ़ गया चीन

अमेरिका का ताइवान के साथ व्यापार वार्ता की घोषणा के बाद बीजिंग ने ताइवान को डराने के लिए समुद्र में मिसाइलें दागीं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार ने अमेरिका के इस नई घोषणा से तिलमिला गया है। बीजिंग ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि, ये हमारी नीतियों का उल्लंघन है। ताइवान को किसी भी तरह के विदेशी संबंधों को आगे बढ़ाने का कोई अधिकार नहीं है।

ताइवान को भड़काने से बचे अमेरिका

ताइवान को भड़काने से बचे अमेरिका

चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने चेतावनी देते हुए कहा कि, अमेरिका ताइवान को यह बताने की कोशिश ना करे कि वह स्वतंत्र है। उसे उसकी आजादी के लिए नहीं उकसाया जाए, नहीं तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। चीन सरकार ने अमेरिका से कहा कि, इससे चीन युद्ध का एक कदम युद्ध की ओर ले जाएगा।
वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता शू जुएटिंग ने अमेरिका के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा, 'चीन इसका कड़ा विरोध करता है। उन्होंने वाशिंगटन से "चीन के मूल हितों का पूरा सम्मान करने" का आह्वान किया। इसके अलावा गुरुवार को ताइवान की सेना ने चीनी मिसाइल हमले की प्रतिक्रिया का अनुकरण करते हुए मिसाइलों और तोपों के साथ सैन्य अभ्यास किया।

ताइवान को अपना हिस्सा बताता है चीन

ताइवान को अपना हिस्सा बताता है चीन

1949 में गृहयुद्ध के बाद ताइवान और चीन अलग हो गए और इसके बाद उनके साथ कोई आधिकारिक संबंध नहीं रहा लेकिन दोनों अरबों डॉलर के व्यापार और निवेश से बंधे हैं। ताइवान द्वीप कभी भी पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का हिस्सा नहीं रहा है, लेकिन सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का कहना है कि यदि आवश्यक पड़ेगी तो वह बल का प्रयोग करके ताइवान को चीन में मिला लेगा।

ताइवान अमेरिका के बीच व्यापार से रिश्तें मजबूत होंगे

ताइवान अमेरिका के बीच व्यापार से रिश्तें मजबूत होंगे

वहीं, दूसरी तरफ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के समन्वयक, कर्ट कैंपबेल ने पिछले हफ्ते कहा था कि व्यापार वार्ता "ताइवान के साथ हमारे संबंधों को गहरा करेगी। बता दें कि, व्यापार के क्षेत्र में ताइवान अमेरिका का 9वां सबसे बड़ा भागीदार है, लेकिन इस देश का साथ उसका कोई राजनयिक संबंध नहीं है। हालांकि, दोनों देश व्यापक अनौपचारिक संबंध बनाए हुए हैं।

चीन ने कहा अमेरिका सबसे बड़ा खतरा

चीन ने कहा अमेरिका सबसे बड़ा खतरा

इससे पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि ताइवान मुद्दे पर अमेरिकी की धोखेबाजी से उसकी साख दिवालिया हो चुकी है। अमेरिकी ने दादागीरी कर एक बार फिर दिखा दिया है कि दुनिया में शांति के लिए वह सबसे बड़ा खतरा है।

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English summary
The U.S. government will hold trade talks with Taiwan in a sign of support for the island democracy that China claims as its own territory, prompting Beijing to warn Thursday it will take action if necessary to "safeguard its sovereignty.
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