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PAK, श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश की स्थिति देखकर घबराया ये पड़ोसी देश, भारत को लगा रहा मक्खन!

श्रीलंका की तरह भूटान की अर्थव्यवस्था भी पर्यटन उद्योग पर काफी निर्भर है और कोविड-19 के बाद भूटान को भी सख्त सीमा नियंत्रण और सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करना पड़ा था।

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थिम्फू, अगस्त 08: भारत के ज्यादातर पड़ोशी देश इस वक्त आर्थिक संकट के भंवर में या तो फंस चुके हैं, या फंस सकते हैं। श्रीलंका दिवालिया हो चुका है, तो पाकिस्तान और बांग्लादेश आर्थिक संकट में फंसने से सिर्फ एक कदम दूर है। पाकिस्तान को अगर इस महीने यूएई और सऊदी अरब से मदद नहीं मिलती है, तो वो डिफॉल्टर हो जाएगा और उसके पास पेट्रोल-डीजल समेत बुनियादी सामान खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होंगे। वहीं, बांग्लादेश ने भी ईंधन के दाम 50 प्रतिशत तक बढ़ाते हुए गैर-जरूरी सामानों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिए हैं, वहीं नेपाल का हाल भी बेहाल है। इन सब देशों की खराब स्थिति देखकर भारत का एक और पड़ोसी देश घबरा गया है।

घबरा गया भारत का पड़ोसी भूटान

घबरा गया भारत का पड़ोसी भूटान

ज्यातातर दक्षिण अफ्रीकी देशों की अर्थव्यवस्थाएं तेजी से कमजोर स्थिति में प्रवेश कर रही हैं और श्रीलंका के दिवालिया होने और बांग्लादेश के विश्व बैंक के दरवाजे पर दस्तक देने के बाद भूटान घबरा गया है और उसने अपने देश की आर्थिक स्थिति को लचीलापन बनाने के लिए कई "कदम" उठाने की बात कही है। भूटान के विदेश मंत्री तांडी दोरजी ने कहा कि, आर्थिक संकट से बचने के लिए उन्होंने अपने देश को फिर से खोलने का फैसला किया है और देश के पर्यटन उद्योग को पूरी तरह से खोल दिया जाएगा। द प्रिंट को दिए गये एक इंटरव्यू में भूटान के विदेश मंत्री ने कहा कि, भूटान की अर्थव्यवस्था, हालांकि अन्य देशों की तुलना में "छोटी" है, लेकिन, भूटान की अर्थव्यवस्था भी कोविड-19 के प्रभाव से नहीं बची है।

देश का पर्यटन सेक्टर प्रभावित

देश का पर्यटन सेक्टर प्रभावित

श्रीलंका की तरह भूटान की अर्थव्यवस्था भी पर्यटन उद्योग पर काफी निर्भर है और कोविड-19 के बाद भूटान को भी सख्त सीमा नियंत्रण और सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करना पड़ा था, जिसकी वजह से देश के पर्यटन सेक्टर, कंसस्ट्रक्शन सेक्टर और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर गंभीर असर पड़ा है और देश की अर्थव्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित हुई है, लिहाजा अब सरकार ने आर्थिक संकट से बचने के लिए अर्थव्यवस्था को लचीला बनाने का फैसला किया है और देश की सीमा को पूरी तरह से खोलने का फैसला किया है, ताकि पर्यटन सेक्टर को फिर से बढ़ावा मिल सके और देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार आ सके। भूटान के विदेश मंत्री दोरजी ने कहा कि, "पर्यटन क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, जो धीरे-धीरे अपने संबद्ध क्षेत्रों जैसे परिवहन, निर्माण और विनिर्माण क्षेत्रों में फैल गया है। भूटान आर्थिक लचीलापन बनाने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है।" उन्होंने कहा कि, "वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की संभावना को देखते हुए हमें सबसे खराब स्थिति के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट, सार्वजनिक ऋण में वृद्धि और मुद्रास्फीति सरकार के लिए प्रमुख चिंताएं हैं'।

पर्यटन है अर्थव्यवस्था का आधार

पर्यटन है अर्थव्यवस्था का आधार

पर्यटन सेक्टर भूटान की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है और कोविड संकट ने पर्यटन सेक्टर से जुड़े हजारों लोगों की नौकरी को नुकसान पहुंचाया है। भूटान के विदेश मंत्री ने कहा कि, विदेशों से लौटने वाले भूटानियों की बढ़ती संख्या, कर्मचारियों के विस्थापन और रोजगार बाजार में नए लोगों की बढ़ती संख्या ने देश में बेरोजगारी की स्थिति को और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि, भूटान में बेरोजगारी 2020 में 5 फीसदी के शिखर पर पहुंच गई, जबकि युवा बेरोजगारी 22.6 फीसदी तक पहुंच गई है। दोरजी ने कहा कि, "हालांकि हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है, लेकिन, फिलहाल हम इस स्तर पर एक आरामदायक स्थिति में हैं, क्योंकि भूटान कम से कम एक वर्ष के आवश्यक आयात की लागत को पूरा करने के लिए संवैधानिक आवश्यकता के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखने में सक्षम है।"

आयात कम करने की हो रही कोशिश

आयात कम करने की हो रही कोशिश

भूटान के विदेश मंत्री ने कहा कि, जितना संभव हो सके आयात को कम करने के लिए देश स्थानीय उत्पादों के उपयोग को आक्रामक रूप से बढ़ावा दे रहा है। दोरजी के अनुसार, थिम्फू नगलट्रम (भूटान की मुद्रा) के मुकाबले अमरीकी डालर की तेजी से भी देश चिंतित है जिससे मुद्रास्फीति और ऋण सेवा की लागत में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, "मौजूदा आर्थिक स्थिति के बने रहने से व्यापक आर्थिक अस्थिरता पैदा होगी, जिसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था को उच्च मुद्रास्फीति और लगातार वित्तीय मुद्दों का सामना करना पड़ेगा।"

भारत से मिल रही है मदद

भारत से मिल रही है मदद

दोरजी ने कहा कि देश जहां कठिन आर्थिक स्थिति से जूझ रहा है, वहीं उसे भारत का समर्थन मिल रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि, "भारत सरकार द्वारा समर्थित भूटान का हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट देश के लिए राजस्व का सृजन करने लगा है और इसने घरेलू राजस्व प्राप्ति में कमी को दूर करने में बहुत आवश्यक राहत प्रदान की है।" हालांकि, उन्होंने उन परियोजनाओं के बारे में भी बात की जो अब अटकी हुई हैं। पिछले महीने भूटान के आर्थिक मामलों के मंत्री लोकनाथ शर्मा ने भी भारत का दौरा किया था और अपनी यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने आपस में जलविद्युत सहयोग की स्थिति पर चर्चा की और कहा कि, बाजार की स्थितियों और बढ़ते ऊर्जा संकट के कारण हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को लेकर नई योजना तैयार की जा रही है। आपको बता दें कि, 2014 में अपनी भूटान यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 600 मेगावाट की खोलोंगछु जलविद्युत परियोजना की आधारशिला रखी थी, जिसे भारत के एसजेवीएन लिमिटेड और भूटान के ड्रक ग्रीन पावर कॉरपोरेशन द्वारा बनाया जा रहा है और इस परियोजना से भूटान को काफी फायदा मिलने की उम्मीद है।

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English summary
Seeing the situation in Pakistan, Nepal, Sri Lanka and Bangladesh, Bhutan has become very worried and has talked about bringing resilience in the country's economy.
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