चीन के हाथों बिके हुए हैं अमेरिका के सारे बड़े अखबार ? रिपोर्ट में रकम के साथ आई पूरी लिस्ट
वॉशिंगटन, 4 जुलाई: चीन पर अपना प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए दुनियाभर के अखबारों और मैगजीन को प्रभावित करने के आरोप लगते रहे है। लेकिन, इसबार जो खबर आई है, उससे पहले से ही कई तरह के आरोप झेल रही अमेरिकी मीडिया की निष्पक्षता पर बहुत ही गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। खबर है कि चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना ने अपने प्रोपेगेंडा अखबार चाइना डेली के जरिए अमेरिका के प्रमुख अखबारों और मैगजीन को अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए लाखों डॉलर दिए हैं। अमेरिका के एक इंडिपेंडेंट एनालिस्ट ने वहां के जस्टिस डिपार्टमेंट के दस्तावेजों के आधार पर यह रिपोर्ट दी है।
चीन के प्रोपेगेंडा की गिरफ्त में अमेरिकी मीडिया ?
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट से हुए खुलासे के अनुसार चीन के अंग्रेजी भाषा के अखबार चाइना डेली ने जिन अमेरिकी मीडिया हाउस को लाखों डॉलर दिए हैं, उनमें मशहूर टाइम मैगजीन और फॉरेन पॉलिसी मैगजीन जैसे प्रतिष्ठित पब्लिकेशन भी शामिल हैं। इन मीडिया हाउस को यह रकम 6 महीने के दौरान दिए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक टाइम मैगजीन को 7,00,000 डॉलर, फाइनेंशियल टाइम्स को 3,71,577 डॉलर, फॉरेन पॉलिसी मैगजीन को 2,91,000 डॉलर, लॉस एंजिल्स टाइम्स को 2,72,000 डॉलर और बाकियों को 10 लाख डॉलर की रकम दी गई है।
चीन से पैसे लेकर ड्रैगन का महिमामंडन
बता दें कि चाइना डेली पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पार्टी चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण है। पिछले महीने ही डेली कॉलर ने रिपोर्ट दी थी कि सीसीपी ने निष्पक्ष पत्रकारिता के सूरमा होने का दावा करने वाले अमेरिकी अखबारों में वॉशिंगटन पोस्ट को 46 लाख डॉलर से ज्यादा और वॉल स्ट्रीट जर्नल को करीब 60 लाख डॉलर की पेमेंट की थी। यह पूरी रकम 2016 के नवंबर से दी गई। जानकारी के मुताबिक इन दोनों अखबारों ने पैसे लेकर चाइना डेली का सप्लिमेंट भी अपने अखबारों में छापा और उसे इस तरह से पेश किया गया कि वह असल की न्यूज आइटम लगे, जबकि वो बीजिंग के प्रोपेगेंडा मात्र थे।
ट्विटर को भी विज्ञापन में मोटी रकम दी गई
जस्टिस डिपार्टमेंट के मुताबिक चीन ने पैसे देकर अमेरिकी अखबारों में अपना एजेंडा ही नहीं छपवाया, बल्कि विज्ञापन के नाम पर भी उनपर मोटे रकम खर्च किए हैं। मसलन, चीन ने न्यू यॉर्क टाइम्स को 50,000 डॉलर, फॉरेन पॉलिसी को 2,40,000 डॉलर, द देज मोइंस रजिस्टर को 34,600 डॉलर और सीक्यू-रॉल कॉल को 76,000 डॉलर दिए। इस तरह से चीन ने अमेरिकी अखबारों को कुल 1,10,02,628 डॉलर का विज्ञापन दिया। साथ ही अमेरिकी माइक्रोब्लॉगिंग कंपनी ट्विटर को भी 2,65,822 डॉलर का विज्ञापन दिया।
कोरोना को लेकर संदेह के घेरे में रहा है चीन
बता दें कि अमेरिका का जस्टिस विभाग सालों से चाइना डेली से कह रहा है कि वह वहां के फॉरेन एजेंट्स रजिस्ट्रेशन ऐक्ट (एफएआरए) के तहत साल में दो बार अपनी गतिविधियों का खुलासा करे। 1 जून, को उसने इस संबंध में जो पैसों का सबसे ताजा ब्योरा दिया है, उससे इन अमेरिकी अखबारों का चिट्ठा सामने आ गया है। इसमें से काफी सारी रकम बीते चार-साढ़े सालों के बीच दी गई है। यह सब ऐसे समय में चल रहा है जब अमेरिका में लोकतंत्र की वकालत करने वाले ग्रुप अमेरिकी अखबारों में चाइनीज प्रोपेगेंडा छापने के खिलाफ सरकार को चेतावनी दे रहे हैं। यही नहीं, यह खुलासा इसलिए भी अहम है कि दुनिया में कोरोना वायरस फैलने के लिए चीन की शी जिनपिंग सरकार संदेह के घेरे में है और इसको लेकर अमेरिका जांच में भी जुटा हुआ है और दुनियाभर से सच्चाई उजागर करने की मांग हो रही है।