श्री लंका का वो टैक्सी ड्राइवर जो मां से मिलाता है उसके 'कलेजे का टुकड़ा', बदले में मिलती हैं दुआएं
नई दिल्ली, 10 मार्च। श्री लंका (Sri lanka) को कभी सोने का देश कहा जाता था। इस समय आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। इसके बावजूद यहां कुछ कीमती हीरे आज भी बचे हैं। जो मानवता के लिए मिशाल बन रहे हैं। श्रीलंका के 56 वर्षीय एंड्रयू सिल्वा (Andrew Silva) बेसहरा बच्चों के लिए किसी देवदूत से कम नहीं हैं। वे अपने पैरेंट्स से दूर होने वाले बच्चों बेसहारा बच्चों के लिए ढ़ाल बन चुके हैं।
एंड्रयू सिल्वा श्रीलंका के एंड्यू सिल्वा पर्यटन क्षेत्र (Tourism) से जुड़े हैं। वे कैब ड्राइवर भी हैं। दिन के समय में वे देशभर में पर्यटकों को घुमाते रहते हैं। इस दौरान वे कई बेसहारा बच्चों को देखते हैं। ऐसे में उनके मन में बच्चों की सहायता करने की इच्छा होता है। कई ऐसे बच्चे जो कभी अनाथ थे उन्हें उनके मां बाप से एंड्रयू सिल्वा मिला चुका हैं। दरअसल, एंड्रयू ने कई बच्चों को लोगों गोद लेने में मदद की है।
वर्षों
बाद
मां
से
मिली
महिला
साल
1996
में
14
वर्षीय
डेवी
चंद्रिका
ब्रुइन्स
ने
अपने
परिवार
के
साथ
श्रीलंका
की
यात्रा
की
थी।
एविसावेला
शहर
के
स्कूल
के
कमरे
में
उसकी
मुलाकात
एक
महिला
से
हुई।
यह
युवती
कोई
और
नहीं
बल्कि
डेवी
चंद्रिका
की
बेटी
थी।
लेकिन
जब
वह
3
महीने
की
थी
तभी
उसे
एक
डच
दंपति
ने
गोद
ले
लिया
था।
1000 बच्चों के लिए पैरेंट्स तलाश रहे एंड्र्यू
एंड्रयू सिल्वा इसके बेसहारा बच्चों को लेकर काफी गंभीर रहते हैं। इसका वे बकायदा रिकॉर्ड भी रखते हैं। उनकी डायरी उन श्रीलंकाई महिलाओं के बारे में जानकारी रहती है जिन्होंने किसी बच्चे को गोद लिया है या फिर वे गोद लेना चाहती हैं। उनके पास 200 से अधिक बच्चों के रिकॉर्ड हैं जिन्हें गोद लिया गया है। करीब 1000 बच्चे ऐसे हैं जो अपने मां बाप की तलाश कर रहे हैं।
DNA
रिपोर्ट
से
एंड्रयू
बच्चों
की
मां
को
ढूंढने
में
मिलती
है
सहायता
अपनी
ड्यूटी
के
बाद
जितना
भी
समय
एंड्रयू
के
पास
बचता
है
वे
बच्चों
के
लिए
उनके
माता
पिता
की
तलाश
में
लगाते
हैं।
56
वर्षीय
एंड्रयू
सिल्वा
को
लगातार
फोन
आते
रहते
हैं।
लोग
यह
जानना
चाहते
हैं
कि
क्या
जिस
बच्चे
को
वे
गोद
लेने
के
बारे
में
वो
सोच
रहे
हैं
उसकी
डीएनए
रिपोर्ट
आ
गई
है
कि
नहीं।
एंड्रयू
के
पास
बच्चों
को
गोद
लेने
के
लिए
श्री
लंका
के
अलावा
इटली
और
स्विट्ज़रलैंड
से
भी
फोन
आते
हैं।