ईश्वर जिंदा हैं! 3000 साल पुरानी मिस्र की ममी पर ऐसा क्यों लिखा है, इटली में सीटी स्कैन से खुलेगा राज ?
मिलान, 24 जून: इटली के वैज्ञानिक इस समय एक ऐसी ममी पर रिसर्च कर रहे हैं, जो 3000 साल पुरानी मिस्र के एक पुजारी की है। ममी पर बार-बार एक लाइन लिखी हुई है- ईश्वर खोंसु जिंदा हैं! इस वाक्य ने मिस्र के इतिहासकारों की जिज्ञासा बढ़ा रखी है और इटली के वैज्ञानिक भी इसके जरिए उस काल की परिस्थितियों, रोगों और बाकी चीजों के रहस्यों से पर्दा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। इस ममी का अभी सीटी स्कैन हुआ है और यह खबर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बन रही हैं। उम्मीद है कि बहुत जल्द इस ममी और उसपर लिखी लाइन पर से पर्दा उठ सकता है।
इटली में किसकी ममी का सीटी स्कैन हो रहा है ?
इटली का एक अस्पताल इन दिनों पूरी दुनिया में सुर्खियों में है। वहां करीब 3000 साल पुरानी मिस्र की एक ममी का रहस्य उजागर करने की कोशिश हो रही है। इसके लिए उस ममी का सीटी स्कैन भी किया गया है। इस रिसर्च प्रोजेक्ट में इटली के वैज्ञानिक लगे हुए हैं। ममी प्रोजेक्ट रिसर्च की डायरेक्टर सबीना मालगोरा ने इस शोध के बारे में कहा है कि, 'ममी व्यावहारिक रूप से एक बायलॉजिकल म्यूजियम की तरह हैं, वो एक टाइम कैप्सूल की तरह हैं।' इटली के अस्पताल में जिस ममी पर रिसर्च चल रहा है, वह प्राचीन काल के मिस्र के एक पुजारी की है और उस ममी पर जो कुछ लिखा हुआ है, उसने शोधकर्ताओं की जिज्ञासा को बहुत ही ज्यादा बढ़ा रखा है।
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मिस्र के पुजारी की ममी पर क्या लिखा है ?
लगभग, 3000 हजार साल पुरानी जिस ममी पर रिसर्च चल रहा है, वह अंखेखोंसु की है, जो प्राचीन काल में मिस्र का एक पुजारी था। रिसर्च के लिए उसकी ममी को मिस्र के बर्गामो सिविक आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम से इटली के मिलन शहर स्थित पॉलिक्लिनिको अस्पताल ले लाया गया है। मालगोरा के मुताबिक अंखेखोंसु नाम की जानकारी 900 से 800 ईसा पूर्व के ताबूत से मिलती है, जहां पर यह पांच बार लिखा हुआ है। शोधकर्ताओं को लगता है कि ममी में उस दौर के कई राज छिपे हो सकते हैं।
ममी पर लिखे ईश्वर जिंदा हैं! का मतलब क्या है ?
मालगोरा का कहना है कि अंखेखोंसु का अर्थ है ईश्वर खोंसु जिंदा हैं! दरअसल, प्राचीन मिस्र के लोग चंद्रमा और समय के रूप में खोंसु को अपना देवता मानकर पूजा करते थे और अंखेखोंसु को उसी देवता के पुजारी का दर्जा प्राप्त था। मिस्र के लोगों को यकीन था कि उनके देवता इंसान और जानवरों के प्रजनन क्षमता की प्रभावित करते हैं। मिस्र के प्राचीन मान्यताओं के मुताबिक खोंसु ने ब्रम्हांड की रचना में भी अहम भूमिका निभाई थी। वह लोगों को रोगों से भी मुक्त करते थे और उनतक पहुंचने का रास्ता अंखेखोंसु पुजारी के पास था।
ममी के जरिए उस समय की जानकारी जुटाना मकसद
शोधकर्ताओं को पूरा यकीन है कि वह मिस्र के पुजारी की जिंदगी और मौत को रीकंस्ट्रक्ट कर सकते हैं और यह भी पता लगा सकते हैं कि उसके शरीर को ममी बनाने के लिए किस तरह के प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा शोधकर्ता उस समय मौजूद रोगों और घांवों की भी जानकारी जुटाना चाहते हैं। क्योंकि, उन्होंने कहा है, 'आधुनिक मेडिकल रिसर्च के लिए प्राचीन बीमारियों और घावों का अध्ययन महत्वपूर्ण है.....हम अतीत के कैंसर या आर्टियो स्क्लेरोसिस का अध्ययन कर सकते हैं और यह आधुनिक शोध के लिए उपयोगी हो सकता है।'
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पुजारी की ममी खोलेगा मिस्र के प्राचीन इतिहास का राज
मिस्र के पुजारी की ममी की पड़ताल में लगे शोधकर्ताओं को लगता है कि उसके शव को जिस ताबूत में रखा गया है, वह खास तरह की लकड़ी से बनाया गया था और बाकी ममियों की तरह ही उसमें भी रंगीन चित्रकारी की गई है। मालगोरा और उनकी टीम को यकीन है कि शोध पूरा करने के बाद वो इस पुजारी के जरिए मिस्र के उस दौर के इतिहास, सामाजिक परिवेश और बाकी परिस्थितियों को आकलन कर पाने में सक्षम होंगे। (तस्वीरें- प्रतीकात्मक)