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आख़िर राष्ट्रपति पुतिन कभी पाकिस्तान क्यों नहीं गए

रूस अब पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग में सीधे तौर पर शामिल है और इसके साथ ही रूस ने पाकिस्तान का दुनिया भर के कई संगठनों में बचाव किया है. रूस और पाकिस्तान के बीच बढ़ते संबंध अमरीका के नीति निर्माताओं के लिए एक नई चुनौती से कम नहीं हैं.

रूस और पाकिस्तान के बीच संबंधों में जमी बर्फ़ तब पिघली जब 2007 में रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल फ्रादकोव पाकिस्तान के दौरे पर गए.

By BBC News हिन्दी
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रूस
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रूस

व्लादिमीर पुतिन पिछले 18 सालों से रूस की सत्ता पर काबिज हैं, लेकिन वो कभी पाकिस्तान नहीं गए. इसी दौरान वो कई बार भारत आ चुके हैं.

अक्सर ऐसा होता है कि कोई अमरीकी राष्ट्रपति भारत के दौरे पर आता है तो पाकिस्तान भी चला जाता है, मगर पुतिन ने ऐसा कभी नहीं किया. बात केवल पुतिन की नहीं है.

रूस का कोई भी राष्ट्रपति आज तक पाकिस्तान नहीं गया. रूस जब सोवियत संघ का हिस्सा था तब भी किसी राष्ट्रपति का पाकिस्तान दौरा नहीं हुआ. सोवियत संघ के पतन के 16 सालों बाद 11 अप्रैल, 2017 को रूस के प्रधानमंत्री मिख़ाइल फ़्रादकोव पाकिस्तान गए थे.

दक्षिण एशिया में भारत एकमात्र देश है जहां पुतिन आते हैं. आख़िर ऐसा क्यों है?

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर भारत दौरे पर हैं और दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं. पुतिन के इस दौरे में 5.5 अरब डॉलर के पाँच एस-400 ट्रिम्फ़ एयर डिफेंस सिस्टम की ख़रीदारी पर भी मुहर लग गई.

व्लादिमीर पुतिन
AFP
व्लादिमीर पुतिन

भारत ने अमरीकी प्रतिबंधों की आशंका को दरकिनार करते हुए रूस से इस रक्षा सौदे पर आगे बढ़ने का फ़ैसला किया है. भारत और रूस के संबंधों का एक समृद्ध इतिहास है.

दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब दुनिया दो ध्रुवों में बँटी तो भारत ने औपचारिक रूप से किसी भी गुट में नहीं रहने का फ़ैसला किया था. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने गुटनिरपेक्ष की राह को चुना मगर सोवियत संघ और समाजवाद के प्रति उनका झुकाव था.

इसी दौरान पाकिस्तान ने अमरीका के नेतृत्व वाले गुट को चुना था. भारत और रूस के ऐतिहासिक संबंधों की मज़बूत बुनियाद यहीं से शुरू होती है जो आज तक जारी है.

तीन अक्टूबर 2012 को इस्लामाबाद में चार देशों अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान का सम्मेलन था. पुतिन को इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए पाकिस्तान आना था.

पाकिस्तान को उम्मीद थी कि इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए पुतिन एक दिन पहले आएंगे और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हो जाएगी.

पुतिन
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पुतिन

पुतिन की प्रस्तावित यात्रा को लेकर पाकिस्तानी मीडिया में काफ़ी शोर था. इसे ऐतिहासिक और बेहद ख़ास बताया जा रहा था. इस सम्मेलन के कुछ दिन पहले राष्ट्रपति पुतिन ने पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी को एक ख़त लिखकर सूचित किया कि वो नहीं आएंगे.

पाकिस्तान को चारों देशों के इस सम्मेलन को ही टाल देना पड़ा. तब रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि रूस ने इस सम्मेलन में शरीक होने के लिए हामी ज़रूर भरी थी, लेकिन ये कभी नहीं कहा था कि रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राष्ट्रपति पुतिन करेंगे.

रूस को लगता है कि पुतिन के पाकिस्तान जाने की कोई ठोस वजह नहीं है. 17 मार्च 2016 को पाकिस्तान में रूस के तत्कालीन राजदूत अलेक्सई देदोव ने इंस्टिट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्ट्डीज इस्लामाबाद में पाकिस्तान-रूस संबंधों पर बोलते हुए कहा था, ''समस्या यह है कि दौरा महज आनुष्ठानिक नहीं होना चाहिए. दौरे की कोई ठोस वजह होनी चाहिए. अगर कोई ठोस वजह रही तो दौरा ज़रूर होगा. इसके लिए तैयारी और समझौतों का होना अनिवार्य है."

रूस-पाकिस्तान
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रूस-पाकिस्तान

आख़िर पुतिन पाकिस्तान क्यों नहीं जाते?

2012 में पुतिन ने जब पाकिस्तान दौरा रद्द किया तो पाकिस्तानी मीडिया में कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गए. इसमें एक कारण भारत को भी बताया गया.

पाकिस्तान के मीडिया में कई रिपोर्ट छपी कि रूस और भारत के बीच अरबों डॉलर के सैन्य संबंध हैं, इसलिए भारत ने पुतिन पर पाकिस्तान नहीं जाने का दबाव डाला.

मीडिया में ये सवाल भी उठने लगे कि अगर रूस ने पुतिन के दौरे की पुष्टि नहीं की थी तो इस सम्मेलन का आयोजन ही क्यों किया गया था. ज़ाहिर है पाकिस्तान को इस मामले में शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी.

पाकिस्तान से रूस सैन्य संबंध बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन रूस पाकिस्तान की क़ीमत पर भारत को नहीं खोना चाहेगा. भारत अपनी कुल रक्षा ज़रूरतों का 70 फ़ीसदी हथियार रूस से आयात करता है.

भारत रूस के रक्षा सौदे के बाद क्या करेगा अमरीका?

भारत-पाकिस्तान
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भारत-पाकिस्तान

मिलिट्री बैलैंस ब्लॉग के संपादक और रक्षा विश्लेषक जेम्स हैकेट का कहना है, ''रूस ने भारत के वर्तमान और भविष्य के रक्षा उपकरणों में भारी निवेश कर रखा है. भारत में रूस को इस सेक्टर में काफ़ी संभावना नज़र आती है. ऐसे में वो पाकिस्तान से किसी भी तरह के संबंधों को लेकर सतर्क रहता है. कहा जाता है कि भारत ने रूस से पाकिस्तान को हथियार ने देने की शर्त भी रखी है.''

शीत युद्ध के बाद से ही पाकिस्तान के संबंध रूस से ख़राब रहे हैं. जब दुनिया दो ध्रुवीय थी तब भी पाकिस्तान अमरीकी खेमे में ही था. अफ़ग़ानिस्तान को लेकर पाकिस्तान और रूस के संबंध ऐतिहासिक रूप से ख़राब रहे हैं.

कहा जाता है कि 1971 में सोवियत संघ ने मुक्ति वाहिनी के लिए हथियारों की आपूर्ति और ट्रेनिंग दी थी. ज़ाहिर है मुक्ति वाहिनी पाकिस्तान से बांग्लादेश को अलग कराने का अभियान चला रही थी. 1971 की लड़ाई में रूस भारत के साथ खड़ा था और बांग्लादेश के जन्म में रूस की भी भूमिका रही है.

वहीं, पाकिस्तान 1979-1989 में अफ़ग़ानिस्तान में जिहादियों का साथ देता रहा, जिसमें हथियारों की आपूर्ति और ट्रेनिंग जैसी चीज़ें शामिल थीं. ज़ाहिर है रूस को अफ़ग़ानिस्तान से बेदख़ल करने में पाकिस्तान की भी भूमिका रही है.

पाकिस्तान और रूस के बीच आर्थिक संबंध भी काफ़ी कमज़ोर हैं. 2015 में दोनों देशों के बीच व्यापार 39.5 करोड़ डॉलर का था जो 2014 के 45.3 करोड़ डॉलर से 13 फ़ीसदी कम है. कई विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान की पास वो आर्थिक हैसियत नहीं है कि रूस के साथ संबंधों को वहन करे.

रूस-पाकिस्तान
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संबंधों में सुधार भी

इसी साल 6 अप्रैल को पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़ुर्रम दस्तगीर ख़ान ने रूस के सरकारी मीडिया स्पूतनिक से कहा कि पाकिस्तानी सेना की रूस से एसयू-35 लड़ाकू विमान और टी-90 टैंक ख़रीदने की योजना है.

ख़ान की यह घोषणा पाकिस्तान के पहले के रुख़ से बिल्कुल अलग थी. इससे पहले पाकिस्तान ने एसयू-35 ख़रीदने से इनकार कर दिया था. ज़ाहिर है इस घोषणा का संबंध पाकिस्तान और रूस के बीच गहरे होते संबंधों से है.

रूस और भारत की दोस्ती और ऐतिहासिक अविश्वास के कारण पाकिस्तान से रूस के अच्छे संबंधों की संभावना के बारे में गंभीरता से नहीं सोचा जाता था. लेकिन अब पाकिस्तान और रूस के बीच बढ़ते सुरक्षा संबंधों से दक्षिण एशिया का भूराजनीतिक वातावरण नई और अहम करवट ले रहा है.

रूस और पाकिस्तान के बीच गहरे रिश्तों का संबंध दोनों देशों के व्यापक और साझा हितों से है और आने वाले वक़्त में इसके और फलने-फूलने की संभावना है.

रूस और पाकिस्तान की दोस्ती में स्थायित्व और उसके भविष्य को दोनों देशों की साझी चाहत में देखने की बात कही जा रही है. दोनों देश चाहते हैं कि दक्षिण एशिया में अमरीका का प्रभाव कम हो और अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध का समाधान ढूंढने के लिए साझी रणनीति के तहत काम किया जाए.

पाकिस्तान
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पाकिस्तान

रूस अब पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग में सीधे तौर पर शामिल है और इसके साथ ही रूस ने पाकिस्तान का दुनिया भर के कई संगठनों में बचाव किया है. रूस और पाकिस्तान के बीच बढ़ते संबंध अमरीका के नीति निर्माताओं के लिए एक नई चुनौती से कम नहीं हैं.

रूस और पाकिस्तान के बीच संबंधों में जमी बर्फ़ तब पिघली जब 2007 में रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल फ्रादकोव पाकिस्तान के दौरे पर गए. 2011 में अमरीका और पाकिस्तान के रिश्तों में अविश्वास इस कदर बढ़ा कि ऐतिहासिक रूप से दोनों की दोस्ती बिखर-सी गई.

2011 में ही अमरीका ने पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन को मारा था. इसी दौरान रूस और पाकिस्तान क़रीब आए. दोनों देशों में अमरीका विरोधी भावना ज़बरदस्त थी और दोनों को क़रीब लाने में इस भावना की भी बड़ी भूमिका रही.

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English summary
After all President Putin never went to Pakistan
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