अफ़ग़ानिस्तान की रज़िया मुरादी गुजरात में छा गईं, इन्हें कैसा लग रहा भारत
2021 में दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी से लोक प्रशासन में एमए की पढ़ाई करने सूरत पहुंचीं रज़िया मुरादी को हाल ही में गोल्ड मेडल मिला है.
अफ़ग़ानिस्तान की रज़िया मुरादी को दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी से लोक प्रशासन में गोल्ड मेडल मिला है.
अफ़ग़ानिस्तान से भारत आ कर पढ़ाई कर रहीं छात्रा रज़िया मुरादी ने बीबीसी से बातचीत में तालिबान को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कार्रवाई की मांग की है.
उन्होंने कहा कि तालिबान को यह समझने की ज़रूरत है कि शिक्षा और विकास आपस में जुड़े हुए हैं.
रज़िया मुरादी 2021 में दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी से लोक प्रशासन में एमए की पढ़ाई करने सूरत पहुंचीं.
उन्हें आईसीसीआर से स्कॉलरशिप मिली थी.
जब रज़िया भारत आई थीं तब अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का राज नहीं था और वहाँ लड़कियों के स्कूल जाने और उच्च शिक्षा हासिल करने की अनुमति थी.
लेकिन अगस्त 2021 में तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान में आने के बाद से वहां धीरे-धीरे महिलाओं की पढ़ाई और उनके नौकरी करने पर पाबंदी लगा दी गई.
भारत आने के बाद से रज़िया अब तक अफ़ग़ानिस्तान वापस नहीं लौटी हैं.
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तालिबान शासन में महिलाओं की स्थिति पर क्या बोलीं रज़िया?
रज़िया मुरादी सेंट्रल अफ़ग़ानिस्तान के बामियान सूबे से हैं.
रज़िया मुरादी ने अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान शासन, वहाँ की समस्याओं और उसे लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदायों से अपनी मांग को लेकर बीबीसी से विस्तार में बात की.
रज़िया ने कहा, "अभी अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का शासन है और यह एक इस्लामी चरमपंथी संगठन है. तालिबान, ख़ास तौर पर नस्लीय समूहों और अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की कदर नहीं करते हैं."
अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं की स्थिति को लेकर रज़िया कहती हैं, "तालिबान महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित कर रहा है. वो ख़ास तौर पर महिलाओं के शिक्षा और मतदान के अधिकारों का हनन कर रहा है. महिलाओं को पढ़ने से रोका जा रहा है. उन्हें वहां स्कूल, कॉलेज नहीं जाने दिया जा रहा है."
वह कहती हैं, "अफ़ग़ानिस्तान में फ़िलहाल राजनीतिक स्थिरता नहीं है. वहाँ की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. वहाँ के लोगों को खाद्य सामग्रियों की कमी हो रही है. देश में बेरोज़गारी बहुत अधिक है."
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रज़िया की अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील
रज़िया मुरादी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफ़ग़ानिस्तान की वर्तमान स्थिति को लेकर कुछ करने की अपील की है.
उन्होंने कहा, "हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफ़ग़ानिस्तान को लेकर आवाज़ उठाने की उम्मीद करते हैं. यह सब की ज़िम्मेदारी है अफ़ग़ानिस्तान को लेकर आवाज़ उठाएं न कि केवल हम देशवासियों को इसे लेकर आगे आना चाहिए."
"हम इंसान हैं और हम सभी कि ये ज़िम्मेदारी बनती है कि ज़रूरतमंदों की आवाज़ बनें. हमें बोलने की आज़ादी नहीं है लिहाजा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समुदाय को अफ़ग़ानिस्तान में जो हो रहा है उसे लेकर आवाज़ उठानी चाहिए."
वह कहती हैं, "वहां की स्थिति से केवल अफ़ग़ानिस्तान ही प्रभावित नहीं है बल्कि आसपास के देश और पूरी दुनिया पर असर पड़ रहा है. ये सभी देशों के लिए ख़तरनाक है. इसलिए अगर वो केवल अफ़ग़ानिस्तान के बारे में न भी सोच रहे हों तो उन्हें ख़ुद को इससे बचाने के लिए कोई एक्शन प्लान बनाना चाहिए."
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रज़िया ने अपने अब तक के सफ़र के बारे में बताया
रज़िया बताती हैं, "2021 में आईसीसीआर स्कॉलरशिप की मदद से मुझे भारत आने का मौक़ा मिला."
"यहां मैंने साउथ गुजरात यूनिवर्सिटी से लोक प्रशासन (पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन) में एमएम किया और अभी मैं भारत में हूँ."
"भारत और अफ़ग़ानिस्तान में बहुत सांस्कृतिक समानता है. जब मैं भारत आई तो इसकी वजह से मुझे बहुत कम चुनौतियों का सामना करना पड़ा. यहां के लोग बहुत अच्छे हैं और उन्होंने कई तरह से मेरी सहायता की."
रज़िया कहती हैं, "अफ़ग़ानिस्तान के लोग वहां के वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक परिस्थितियों से जूझ रहे हैं और मेरा परिवार भी इससे अछूता नहीं है."
वे कहती हैं, "हालांकि विषम परिस्थितियों के बावजूद वहां लोग जीवनयापन में लगे हैं और किसी तरह गुज़र बसर कर रहे हैं."
अब रज़िया मुरादी लोक प्रशासन में दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी से पीएचडी करना चाह रही हैं.
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दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी में लोक प्रशासन विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर मधु धवानी रज़िया मुरादी के बारे में कहती हैं, "रज़िया मुरादी को गोल्ड मेडल उनकी मेहनत की बदौलत मिला है."
वे कहती हैं कि, "रजिया बहुत साहसी छात्रा हैं. अपनी पढ़ाई को लेकर बहुत ईमानदार हैं. वे यहां सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं. आगे उन्होंने पीएचडी के लिए भी नामांकन कराया है."
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