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समुद्र की सतह से 400 मीटर नीचे, 8.5km चौड़े क्रेटर की खोज, यह 'अदृश्य' शक्ति हो सकती है वजह

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जॉर्जटाउन (गयाना), 19 अगस्त: अफ्रीका की पश्चिमी तट से सैकड़ों किलो मीटर दूर समुद्र के नीचे सतह से भी काफी अंदर एक विशाल क्रेटर की खोज की गई है। यह क्रेटर समुद्री प्रभावों के कारण नहीं बना हुआ है। यह किसी बाहरी ताकत या अदृश्य शक्तियों के प्रभाव के कारण बना है। वैज्ञानिकों ने शुरुआती रिसर्च में पाया है कि यह किसी विशाल ऐस्टरॉइड की वजह से बना है, जिसके चलते कभी डायनासोर जैसे विशाल जीव पृथ्वी से गायब हो गए थे। वैज्ञानिक अब इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अगर समुद्र में गिरने पर कोई ऐस्टरॉइड इतना भयानक परिणाम ला सकता है, तो अगर वह धरती की सतह से सीधे टकराए तो कितनी भयानक तबाही मचेगी।

अटलांटिक में सतह के नीचे मिला 8.5 किलोमीटर चौड़ा क्रेटर

अटलांटिक में सतह के नीचे मिला 8.5 किलोमीटर चौड़ा क्रेटर

वैज्ञानिकों ने पश्चिमी अफ्रीकी देश गयाना के समुद्र तट से 400 किलो मीटर दूर अटलांटिक महासागर में उसकी सतह के 400 मीटर भीतर एक विशाल क्रेटर (कटोरे के आकार का गड्डा) का पता लगाया है। इस क्रेटर की चौड़ाई 8.5 किलोमीटर है और यह 66 मिलियन वर्षों से दबा पड़ा था। यह वही कालखंड है, जब ऐस्टरॉइड के प्रभाव से धरती से डायनासोर विलुप्त हो गए थे। वैज्ञानिक समुद्र की गराइयों में मिले इस विशाल क्रेटर के पीछे भी किसी विशाल ऐस्टरॉइड का ही प्रभाव मान रहे हैं। उनका मानना है कि वह ऐस्टरॉइड अटलांटिक महासागर में गिरा होगा, जिसके चलते समुद्र की सतह पर इतना विशाल गड्डा बन गया होगा। आज की तारीख में यह क्रेटर समुद्र की सतह के भी 400 मीटर भीतर छिप चुका है।

क्षुद्रग्रह या धूमकेतु को कबतक हल्के में लेंगे ?

क्षुद्रग्रह या धूमकेतु को कबतक हल्के में लेंगे ?

इस वैज्ञानिक खोज की पूरी तरह से वैज्ञानिक पुष्टि होनी अभी बाकी है, लेकिन शोधकर्ताओं को यकीन है कि वह समुद्र की सतह के नीचे ड्रिल करके सैंपल जुटा करके ऐस्टरॉइड के प्रभाव के सिद्धांत को साबित कर सकते हैं, जो कि 66 मिलियन साल पहले होने की संभावना है। लगभग इसी दौरान चिकक्सलब ऐस्टरॉइड धरती की सतह से टकराया था और पृथ्वी से डायनासोर गायब हो गए थे। यह रिसर्च जर्नल साइंस एडवांस में प्रकाशित हुआ है, जिसके मुताबिक यह किसी ऐस्टरॉइड या किसी पैरेंट ऐस्टरॉइड से टूटे हिस्से की वजह से हुआ होगा। शोधकर्ताओं ने कहा है कि क्षुद्रग्रह या धूमकेतु का धरती पर कितना भयावह प्रभाव पड़ सकता है, इसपर अभी भी काफी कुछ काम होना बाकी है, जबकि यह बहुत ही गंभीर संकट पैदा कर सकते हैं।

उस वक्त इसका परिणाम क्या हुआ होगा ?

उस वक्त इसका परिणाम क्या हुआ होगा ?

कंप्यूटर आधारित छद्म प्रभाव के आकलन से शोधकर्ताओं ने पाया है कि क्रेटर किसी बाहरी चीज के बहुत ही भयावह क्रैश की वजह से बना है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह 400 मीटर चौड़े ऐस्टरॉइड के 500 मीटर से 800 मीटर पानी की सतह से टकराने की वजह से बना है। इसके चलते 1 किलोमीटर से भी ज्यादा ऊंची सुनामी की लहरें उठी होंगी और साथ वहां रिक्टर स्केल पर 6.5 या उससे भी ज्यादा का भयानक भूकंप आया होगा।

कितनी मात्रा में एनर्जी रिलीज होने का अनुमान ?

कितनी मात्रा में एनर्जी रिलीज होने का अनुमान ?

यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के प्लैनेटरी साइंटिस्ट डॉक्टर वेरोनिका ब्रैय ने कहा है, 'जारी हुई ऊर्जा 2022 के जनवरी में टोंगा में हुई ज्वालामुखी विस्फोट और उससे पैदा हुई सुनामी से 1000 गुना ज्यादा रही होगी। यह प्राथमिक विश्लेषणों का नतीजा है और ज्यादा डेटा मिलने के बाद हम इसे और ज्यादा ठीक कर सकते हैं, लेकिन इसके प्रभाव से महासागर में हुई संभावित गहराई और उसके प्रभाव को एक नया अंदाजा मिल गया है।'

सामान्य क्रेटर से पूरी तरह अलग है नादिर

सामान्य क्रेटर से पूरी तरह अलग है नादिर

क्रेटर की खोज एडिनबर्ग में हेरियट-वाट यूनिवर्सिटी के भूविज्ञानी डॉ यूइसडीन निकोलसन ने तब की, जब वह अटलांटिक के समुद्र तल से भूकंपीय प्रभावों का परीक्षण कर रहे थे। तभी उन्होंने समुद्र की सतह के नीचे 8.5 किलोमीटर चौड़ा असामान्य क्रेटर का पता लगाया। इसमें ऐसी विशेषताएं थीं, जो ऐस्टरॉइड के टकराने की ओर इशारा कर रही थीं। इस क्रेटर को नादिर नाम दिया गया है और शोधकर्ताओं ने पाया है कि यह नमक के निकलने या ज्वालामुखी वाले क्रेटरों की बनने वाली प्रक्रिया से पूरी तरह से अलग तरीके से बना है।

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'अविश्वसनीय रूप से रोमांचक खोज'

'अविश्वसनीय रूप से रोमांचक खोज'

ऑस्टिन स्थित टेक्सास यूनिवर्सिटी के इंपैक्ट एक्सपर्ट डॉक्टर सीआन गुलिक ने कहा है कि 'नादिर क्रेटर....... अविश्वसनीय रूप से रोमांचक खोज है।' पृथ्वी के 4.5 अरब साल के इतिहास में अभी तक ऐसे सिर्फ 200 इंपैक्ट साइट ही खोजे गए हैं। लेकिन, समुद्र की गहराइयों में मिली ऐसी साइट भू-वैज्ञानिकों के लिए भी दुर्लभ हैं, जिसमें धरती के भूत और भविष्य की संभावनाएं और आशंकाएं भरी पड़ी हैं। (तस्वीरें- सांकेतिक)

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English summary
Hundreds of kilometers off the west coast of Africa, a huge crater has been discovered deep beneath the surface of the Atlantic Ocean, which was buried for 66 million years
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