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#10YearChallenge के बहाने देखिए दुनिया कहां से कहां आ गई

वर्ल्ड बैंक और यूएन के आंकड़ों के मुताबिक विश्व में अत्यधिक ग़रीबी दर अब तक के अपने निचले स्तर पर है. बाल मृत्यु दर और युवा निरक्षरता दर दोनों का स्तर कम हुआ है और वहीं, वैश्विक औसत जीवन प्रत्याशा में वृद्धि हुई है.

हालांकि, ये पूरी हक़ीक़त नहीं है. अ​त्यधिक ग़रीबी दर अपने सबसे निचले स्तर पर तो है लेकिन उप-सहारा अफ़्रीकी देशों में इस मामले में हालात अब भी बहुत ख़राब हैं. यहां औसत अत्यधिक ग़रीबी दर 41 प्रतिशत है.

इसी तरह अविकसित और विकासशील देशों में साक्षरता दर कम हुई है

By BBC News हिन्दी
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#10YearChallenge
Getty Images
#10YearChallenge

आजकल सोशल मीडिया पर #10YearChallenge चल रहा है जिसमें लोग अपनी 10 साल पुरानी और आज की तस्वीरें डाल रहे हैं.

इन तस्वीरों को देखकर आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि पिछले दस सालों में कितना बदलाव हुआ है.

इस हैशटैग के शुरू होने के साथ ही लाखों लोगों ने इसे फॉलो करना शुरू कर दिया. हालांकि, कुछ लोग इसकी आलोचना भी कर रहे हैं कि यह आत्मभक्ति, उम्र को लेकर ख़राब व्यवहार और लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देने वाला है.

लेकिन, लोग इस मुहिम में सिर्फ तस्वीरों में उम्र का अंतर ही नहीं दिखा रहे बल्कि दुनिया में आए बदलावों पर रोशनी भी डाल रहे हैं.

https://twitter.com/MesutOzil1088/status/1085886279450087424

फुटबॉलर मेसुट ओज़िल ने जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे परिवर्तन पर एक ट्वीट किया. इसमें उन्होंने साल 2008 के साथ एक तरफ बर्फ़ के पहाड़ की तस्वीर डाली और दूसरी तरफ साल 2018 के साथ पानी की तस्वीर जिसमें बर्फ़ पिघल चुकी थी.

इसमें मेसुट ओज़िल ने लिखा, ''हमें इसका ध्यान रखना चाहिए.''

हालांकि, ये तस्वीरें पूरी तरह सही नहीं हैं. बर्फ़ के पहाड़ की ये तस्वीर अंटार्कटिका में गेट्ज़ आईस शेल्फ की है जो साल 2016 में ली गई थी न कि 2008 में. फिर भी ये जलवायु परिवर्तन एक बड़ा मुद्दा है और इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है.

नासा के मुताबिक अंटार्कटिका में हर साल 127 गीगाटन बर्फ़ ख़त्म हो रही है. वहीं, ग्रीनलैंड में बर्फ़ ख़त्म होने की रफ़्तार 286 गीगाटन प्रतिवर्ष है.

19वीं सदी के बाद से पृथ्वी का औसत तापमान 0.9 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है और इसमें से एक तिहाई बढ़ोतरी पिछले दशक के दौरान ही हुई है.

इसी समस्या को उभारते हुए पर्यावरण पर काम करने वाले कई समूहों ने इस हैशटैग के जरिए जलवायु परिवर्तन का मुद्दा उठाया.

https://twitter.com/KoblerinPAK/status/1085508831348776960

पाकिस्तान में जर्मनी के राजदूत मार्टिन कोबलर ने भी एक लेख की तस्वीर ट्वीट की है जिसमें बलूचिस्तान क्षेत्र में आए जलवायु परिवर्तन के बारे में बताया गया है.

उन्होंने ट्वीट ​में लिखा है, ''जलवायु परिवर्तन चिंताजनक स्तर पर! पूरी दुनिया में इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों में पाकिस्तान का आठवां नंबर है. बलूचिस्तान में पानी की कमी से ​इंसान और जानवरों की ज़िंदगी ख़तरे में है. आज से दस साल बाद यह सुधर सकता है या और ख़राब हो सकता है. ये हमारे आज के क़दमों पर निर्भर करेगा.''

#10YearChallenge, जलवायु परिवर्तन
BBC
#10YearChallenge, जलवायु परिवर्तन

प्लास्टिक प्रदूषण

प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को लेकर साल 2018 में लोगों में काफ़ी जागरुकता आई है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र में हर साल 10 टन प्लास्टिक का कचरा फेंका जाता है और इस कचरे को निपटाने में अगले 100 साल लग सकते हैं.

इस मसले पर काम करने वाले लोग और संस्थान इस चुनौती के जरिए प्लास्टिक प्रदूषण के ख़तरे की तरफ़ ध्यान खींच रहे हैं. वो संदेश दे रहे हैं कि हो सकता है कि पिछले कई सालों में बहुत कुछ बदल गया हो लेकिन जो प्लास्टिक आप फेंकते हैं वो ​सालों बाद भी वैसा ही रहता है.

https://www.facebook.com/WWF.Philippines/photos/a.199225344617/10156911430779618/?type=3

डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूएफ फिलिपिंस ने प्लास्टिक की बोतल के साथ ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है, ''प्लास्टिक के एक टुकड़े को पूरी तरह ख़त्म होने में सैकड़ों साल लग जाते हैं. प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या पर ध्यान देने की ज़रूरत है...''

वैश्विक टकराव

#10YearChallenge के ज़रिए लोग वैश्विक टकराव और उनसे हुए भयानक विध्वंस को दिखा रहे हैं.

17 दिसंबर, 2010 को ट्यूनिशिया में मोहम्मद बुआज़ीज़ि नाम एक फेरीवाले ने स्थानीय अधिकारियों को रिश्वत देने से मना कर दिया था और इसके चलते उनका फलों और सब्जियों का ठेला ज़ब्त कर लिया गया था.

इससे परेशान होकर मोहम्मद बुआज़ीज़ि ने खुद को आग लगा ली थी.

यही घटना करीब 10 साल पहले अरब क्रांति का कारण बनी. मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका में विरोध की लहर चल पड़ी और इस गृह युद्ध में कई जानें गईं और बड़ी संख्या में लोगों को बेघर होना पड़ा.

इस बर्बादी को दिखाने के लिए सीरिया, लीबिया और इराक की उस वक़्त और आज की तस्वीरें पोस्ट की गई हैं.

https://twitter.com/muniba_mazari/status/1085633732885835776

एक यूजर मुनिबा मज़ारी ने ट्वीट किया है जिसमें सीरिया की 2009 और 2019 की तस्वीरें डाली गई हैं. इसमें बसे-बसाए सीरिया की उजड़ चुके सीरिया से तुलना की गई है.

https://twitter.com/Ndawsari/status/1085893022162677761

इसी तरह नदवा डोसरी ने यमन की 2009 और 2019 की तस्वीर डाली है.

कुछ अच्छे बदलाव

लोग कुछ ऐसी तस्वीरें भी डाल रहे हैं जिनसे दुनिया में आए सकारात्मक बदलाव दिखते हैं.

वर्ल्ड बैंक और यूएन के आंकड़ों के मुताबिक विश्व में अत्यधिक ग़रीबी दर अब तक के अपने निचले स्तर पर है. बाल मृत्यु दर और युवा निरक्षरता दर दोनों का स्तर कम हुआ है और वहीं, वैश्विक औसत जीवन प्रत्याशा में वृद्धि हुई है.

हालांकि, ये पूरी हक़ीक़त नहीं है. अ​त्यधिक ग़रीबी दर अपने सबसे निचले स्तर पर तो है लेकिन उप-सहारा अफ़्रीकी देशों में इस मामले में हालात अब भी बहुत ख़राब हैं. यहां औसत अत्यधिक ग़रीबी दर 41 प्रतिशत है.

इसी तरह अविकसित और विकासशील देशों में साक्षरता दर कम हुई है और नौजवान महिलाओं को सबसे ज़्यादा प्रभावित करती है. हाल ही में आए एक आंकड़े के अनुसार 59 प्रतिशत निरक्षर युवाओं में सभी लड़कियां हैं.

कुछ लोगों ने पर्यावरण बचाने की कोशिशों पर भी ध्यान दिलाया है. इसमें सौर ऊर्जा के बढ़ते इस्तेमाल का ज़िक्र किया गया है.

https://twitter.com/SolarPowerEU/status/1085876668693078016

सोलर पावर यूरोप ने ट्वीट किया है, ''विश्व स्तर पर सौर ऊर्जा क्षमता 2009 के 16 गीगावॉट से बढ़कर आज 500 गीगावॉट हो गई है. यह दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता बिजली उत्पादन स्रोत है.''

BBC Hindi
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English summary
10YearChallenges excuse to see where the world came from
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