महंगाई के मोर्चे पर फेल हुई मोदी सरकार, जुलाई 2016 में 23 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचीं थोक कीमतें
नई दिल्ली। महंगाई के मोर्चे पर मोदी सरकार को एक और झटका लगा है। खाद्य और गैर खाद्य पदार्थों की कीमतों में आई उछाल की वजह से जुलाई में थोक महंगाई की दर दोगुने से भी अधिक बढ़ गई है। जुलाई 2016 में डब्ल्यूपीआई आधारित महंगाई दर बढ़कर 3.55 फीसदी हो गई जबकि पिछले महीने यह महज़ 1.62 फीसदी ही थी! एक साल में मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि, महंगाई दर को कभी नहीं जाने दिया उपर
सब्जियों, दालों और चीनी के दाम बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (थोक महंगाई दर) का यह पिछले 23 माह का उच्चतम स्तर है। जबकि जुलाई 2015 का जिक्र करें तो उस वक्त यह शून्य से चार प्रतिशत नीचे थी। आपको बता दें कि इससे पहले पिछले ही सप्ताह जारी हुए खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों में भी जुलाई के दौरान अच्छी वृद्धि दर्ज की गई।
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यह है मुख्य वजह
जुलाई की मुद्रास्फीति दर में इज़ाफा होने में सब्जियों की महंगाई का बड़ा योगदान रहा। जुलाई में सब्जियों के दाम एक साल पहले के मुकाबले 28.05 प्रतिशत बढ़ गए हैं।
जबकि दालें 35.76 प्रतिशत महंगी हो गई हैं। वहीं रोज इस्तेमाल होने वाला आजू भी 58.78 प्रतिशत चढ़ गया। इस दौरान जुलाई 2015 के मुकाबले चीनी 32.33 प्रतिशत और फलों के दाम 17.30 प्रतिशत मंहगे हो गए।
क्या कहते हैं वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े...
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों की मानें तो जुलाई में खाद्य मुद्रास्फीति दहाई अंक में पहुंचकर 11.82 प्रतिशत रही। प्याज को छोड़कर तकरीबन सभी उत्पाद महंगे हुए हैं। थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर 2014 से मार्च 2016 तक शून्य अथवा शून्य से नीचे रही। अप्रैल 2016 से यह शून्य से बढ़ना शुरू हुई और पिछले चार महीनों से लगातार बढ़ रही है।