Mental Health Day: कोरोना काल में मानसिक स्वास्थ्य कितनी बड़ी चिंता
World Mental Health Day: कोरोना काल में मानसिक स्वास्थ्य कितनी बड़ी चिंता
नई
दिल्ली:
World
Mental
Health
Day:
हर
साल
10
अक्टूबर
को
दुनियाभर
में
विश्व
मानसिक
स्वास्थ
दिवस
मनाया
जाता
है।
इस
दिन
को
मनाने
के
पीछे
का
मकसद
ये
है
कि
लोगों
के
बीच
मानसिक
स्वास्थ/मेंटल
हेल्थ
को
लेकर
जागरुकता
बढ़े।
विश्व
स्वास्थ्य
संगठन
हो
या
किसी
अन्य
मेडिकल
आंकड़ों
को
देखने
से
साफ
पता
चलता
है
कि
भारत
में
ही
नहीं
बल्कि
पूरे
विश्व
में
मानसिक
रूप
से
बीमार
लोगों
की
संख्या
में
लगातार
इजाफा
हो
रहा
है।
कोरोना
वायरस
ने
मानसिक
स्वास्थ्य
की
चिंता
को
और
भी
बढ़ा
दिया
है।
विश्व
मानसिक
स्वास्थ्य
संघ
ने
10
अक्तूबर
1992
को
इस
दिन
को
मनाने
की
शुरुआत
की
थी।
Recommended Video
कोरोना लॉकडाउन में कई लोगों ने किया सुसाइड
भारत में कोरोनो वायरस महामारी के पिछले छह महीनों में मानसिक स्वास्थ्य के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। देश के अलग-अलग हिस्सों से कोरोना काल में कई लोगों ने आत्महत्या की है। जिसमें प्रवासी मजदूर, बिजनेसमैन, किसान, स्वास्थ्य सेवा के कर्मचारियों, छात्र और मशहूर हस्तियां भी शामिल हैं। इसमें से ज्यादातर लोग काम ना मिलने की वजह से परेशान थे।
हालांकि, ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं हुआ, बल्कि कई रिसर्च से अब यह स्पष्ट हो गया है कि दुनिया भर में लोग कोरोनो वायरस महामारी के कारण बहुत अधिक मानसिक तनाव में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में 130 देशों पर किए रिसर्च के बाद पाया है कि कोरोनो वायरस में शामिल 93 देशों में महत्वपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित किया है।
रिसर्च: कोरोना से पीड़ित हर तीसरा शख्स मानसिक तनाव में
कोरोना काल में हुए अमेरिका में एक अध्ययन में पाया गया कि अस्पताल में लाए गए हर तीसरे कोविड -19 रोगी में किसी-न-किसी तरह से मानसिक बीमारी विकसित हुई है। भारत में भी पटना एम्स के अधिकारियों ने कथित तौर पर कहा था कि अस्पताल में कोविड -19 के लगभग 30 प्रतिशत मरीज "मानसिक रूप से परेशान" हैं
वैज्ञानिकों का कहना है कि मौजूदा हालात भविष्य के बड़े खतरे का संकेत दे रहे हैं। अगर मानसिक स्वास्थ्य को हमें अभी प्राथमिकता नहीं दी तो आने वाले वक्त ये और भी ज्यादा गंभीर हो जाएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि हम इस वक्त एक भयंकर मानसिक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहे हैं...क्योंकि कोरोना महामारी की वजह से हमने इस पहलू पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया।
कोरोना काल में क्यों बढ़ रहा है मानसिक तनाव
डब्ल्यूएचओ (WHO) का कहना है कि महामारी में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की मांग बढ़ा रही है और मांग को पूरा करने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना काल में मानसिक तनाव बढ़ने के कई वजह हैं, जिसमें सबसे बड़ी वजह अपने हेल्थ की चिंता है। इसके अलावा अकेले रहना, नौकरी की चिंता, आय का घटना ये सारी परिस्थियां मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को और भी ट्रिगर कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि बहुत से लोग मानसिक तनाव से निकलने के लिए शराब और नशीली दवाओं के उपयोग, नींद की दवा का इस्तेमाल करने लगते हैं, जो मेंटल हेल्थ के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। इस बीच, कोविड -19 खुद न्यूरोलॉजिकल और मानसिक तनाव का हिस्सा बनता जा रहा है।
कोविड-19 से ठीक होने वाले मरीज को दोबारा संक्रमण की चिंता
भारत में भले ही कोविड-19 से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या ज्यादा है लेकिन इसके बाद भी संक्रमण ने मरीजों व अन्य लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित किया है। कोरोना मरीजों को ठीक होने के बाद भी भी दोबारा संक्रमित होने की चिंता रहती है। वहीं वह अपने घर और परिवार को संक्रमित ना कर दे, इस डर में भी कई लोग जी रहे हैं।
पिछले कुछ बीते महीनों में ऐसे कई केस भारत में देखने को मिले हैं, जिसमें मरीज या अन्य शख्स ने सिर्फ इसिलए अपनी जान दे दी, ताकी किसी और को कोरोना ना हो जाए।
ऐसा ही मामला एक राजस्थान के जोधपुर में देखने को मिला था, जहां, एंबुलेंस ड्राइवर ने कायलाना झील में कूदकर अपनी जान दे दी थी। उसे डर था कि कहीं वो अपने परिवार को संक्रमित ना कर दे।
ऐसा ही केस यूपी के बागपत में भी सामने आया था, जहां कोरोना संक्रमण होने के डर से युवक ने धारदार हथियार से गर्दन व हाथ काटकर अपनी जान दे दी थी। बागपत निवासी सुनील पिलखुवा सैलून में काम करता था। पुलिस को घटना के पास से सुसाइड नोट भी मिले थे, जिसमें सुनील ने अपने भाई को लिखा था- मेरे बच्चों और मेरी मां का ख्याल रखना।
वहीं दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में एक कोरोना वायरस के मरीज ने खुदकुशी कर ली थी। मरीज ने 7वीं मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी थी। वह 35 साल का था और ऑस्ट्रेलिया के सिडनी से भारत लौटा था। एयरपोर्ट पर जांच के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अब भी उचित कदम नहीं उठाए तो कोरोना के कारण आने वाले दिनों में मानसिक तनाव से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ती जाएगी।