क्या उत्तर-पूर्व में कांग्रेस बचा पाएगी अपाना अंतिम किला? कई मुद्दों की पड़ेगी मार
नई दिल्ली। पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों में पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य की 40 विधानसभा सीटों के लिए 28 नवंबर को मतदान होगा। अभी वहां कांग्रेस की सरकार है और पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 34 सीटें जीती थी। इस बार बीजेपी भी मिजोरम में अपना प्रभाव दिखाने की कोशिश में है और सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। राज्य में बीजेपी 1993 से काम कर रही है लेकिन उसे वहां कभी सफलता नहीं मिली है। राज्य में मिजो नेशनल फ्रंट एक और राजनीतिक दल है जो दो बार सरकार में रहा है। मिजोरम के गृहमंत्री आर ललजिरलियाना के इस्तीफे से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है लेकिन पार्टी इससे उबरने की कोशिश कर रही है क्योंकि उत्तर-पूर्व में सिर्फ यही एक राज्य है जहां अब पार्टी सत्ता में है। कांग्रेस को चुनौती देने के लिए बीजेपी ने राज्य में सेव मिजोरम फ्रंट और ऑपरेशन मिजोरम जैसे संगठनों से गठबंधन किया है। मणिपुर और मेघालय में बीजेपी की सहयोगी राष्ट्रीय पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने भी अपनी स्थानीय इकाई का गठन किया है।
मुद्दों को भुनाने की केशिश
राज्य में कई मुद्दे हैं जो चुनाव में उठ सकते हैं और बीजेपी इन्ही के सहारे और कुछ और समीकरण बनाकर राज्य में बड़े उलटफेर की कोशिश में है। बीजेपी मिजोरम में आक्रामक हो रही है। राज्य में चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 17 अक्टूबर को कहा कि मिजोरम क्रिसमस का त्यौहार भाजपा सरकार के साथ मनाएगा।
एंटी इनकंबेंस फैक्टर
कांग्रेस
राज्य
में
लगातार
तीसरे
कार्यकाल
के
लिए
मतदाताओं
से
सहयोग
मांग
रही
है
लेकिन
सत्ता
विरोधी
लहर
चीजों
को
मुश्किल
बना
रही
है।
राज्य
के
किसानों
में
भी
नाराजगी
है
हाल
ही
में
हजारों
किसानों
ने
राजधानी
आइजोल
में
सड़कों
पर
प्रदर्शन
किया।
किसान
भूमि
सुधार
और
व्यवस्थित
बाजार
प्रणाली
की
मांग
कर
रहे
हैं।
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राज्य सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार
मिजोरम के मुख्यमंत्री पर आय से ज्यादा संपत्ति इकट्ठा कर ने का आरोप है। बीजेपी की ओर से कहा जा रहा है कि राज्य को दी गई 42,9 72 करोड़ रुपये की विकास सहायता लोगों तक नहीं पहुंची है क्योंकि इसमें राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार किया है। मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई नई भूमि उपयोग नीति और नई आर्थिक विकास नीति की भी आलोचना की जा रही है।
जनजातियों का मुद्दा
जनजातीय समुदाय के एक वर्ग में सरकार को लेकर नाराजगी है। ब्रू जनजाति का मुद्दा एक प्रमुख मुद्दा है। अभी भी लगभग 32,000 से अधिक ब्रू आदिवासी उत्तरी त्रिपुरा में छह अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं और अगस्त, 2018 से अभी तक सिर्फ 31 परिवार ही वापस मिजोरम आए हैं। केंद्र ने ब्रू जनजाति की नई मांगों को ठुकरा दिया था और कहा था कि 30 सितंबर, 2018 से पहले सभी शरणार्थीयों को मिजोरम में वापस भेज दिया जाएगा और उत्तरी त्रिपुरा के सभी अस्थायी शिविर अक्टूबर के पहले सप्ताह में बंद हो जाएंगे। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।
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