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यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की क्यों कर रहे हैं सऊदी अरब के प्रिंस सलमान का शुक्रिया

अरब न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में ज़ेलेंस्की ने एक बार फिर से दोहराया है कि वे व्लादिमीर पुतिन से कोई बातचीत नहीं करेंगे.

By BBC News हिन्दी
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राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की
Getty Images
राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के यूक्रेन के कुछ राज्यों में जनमत संग्रह करा कर रूस में मिलाए जाने के दावे को भद्दा पीआर स्टंट क़रार दिया है.

ज़ेलेंस्की ने अरब न्यूज़ को कीएव से दिए गए एक्सक्लूसिव जूम इंटरव्यू में कहा, "मुझे नहीं मालूम है कि वे किस तरह के जनमत संग्रह की बात कर रहे हैं. यूक्रेन में इस तरह के जनमत संग्रह की व्यवस्था नहीं है. इसे कराने संबंधी कोई क़ानून भी नहीं है."

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बीते शुक्रवार को एक हस्ताक्षर समारोह के दौरान औपचारिक रूप से यूक्रेन के चार इलाकों का अपने देश में विलय करने का एलान किया था. रूस का दावा है कि यह फ़ैसला इन चार इलाकों में रूस के अपनी तरह के जनमत संग्रह के नतीजों के बाद लिया है.

यूक्रेन के पूर्व के लुहांस्क, दोनेत्स्क और दक्षिण के ज़ापोरिज़्ज़िया, खेरसोन में जनमत संग्रह कराए जाने का रूस ने दावा किया है. रूस समर्थित अधिकारियों ने दावा किया था कि पांच दिनों तक चले इस जनमत संग्रह को लोगों का बड़ा समर्थन मिला है.

हालांकि यूक्रेन समेत पश्चिम के देश इस 'जनमत संग्रह को दिखावा' बताते हुए इसे यूक्रेन की ज़मीन हड़पने का एक बहाना बता रहे हैं.

https://twitter.com/arabnews/status/1576874701871370243

ज़ेलेंस्की ने दावों पर उठाए सवाल


जेलेंस्की ने रूसी दावे पर सवाल उठाते हुए अरब न्यूज़ से कहा है, "वे जिस बात की घोषणा कर रहे हैं, वह जो वे कर रहे हैं, उससे अलग है. वे कहते हैं कि उन्होंने हमारे देश, हमारे इलाक़े पर कब्ज़ा कर लिया है. लेकिन युद्ध के आठ महीने बीत चुके हैं और मैं आपसे कह सकता हूं कि हमने एक और शहर को वापस जीता है. कुछ ही दिन पहले दोनेत्स्क के लेयमन शहर को रूस ने पूरी तरह से अपने कब्ज़े में होने का दावा किया था."

जेलेंस्की ने इस इंटरव्यू में कहा है, "मैं रूस और उसके नागरिकों को यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हमारी दिलचस्पी उनके क्षेत्र में नहीं है. हमारी दिलचस्पी हमारे अपने क्षेत्र को लेकर है और यह क्षेत्र 1991 में अंतरराष्ट्रीय तौर पर मान्य हमारी सीमा है."

यूक्रेन और रूस में युद्ध के बाद दुनिया भर में पेट्रोलियम ईंधन और गैस की क़ीमतें बढ़ी है और इसकी आपूर्ति भी बाधित हुई है. इस दौरान यूक्रेन से करीब 60 लाख लोग देश छोड़ने के लिए मज़बूर हुए हैं. लेकिन ज़ेलेंस्की इस युद्ध में अपने देश की जनता को विजयी मान रहे हैं.

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ज़ेलेंस्की
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ज़ेलेंस्की

उन्होंने अरब न्यूज़ से कहा, "मुझे लगता है कि यह दुनिया के किसी भी देश के लिए बड़ी जीत है. लोग आपसी कलह और पुरानी कड़वाहट को पीछे छोड़कर एकजुट हों, यह महत्वपूर्ण है. इतना ही नहीं हमलोग दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना का मुक़ाबला कर रहे हैं. हमने दिखाया है कि एकता में शक्ति है. तीसरी अहम बात यह है कि हम यूरोप और पूरी दुनिया को एकजुट करने में कायमाब रहे हैं."

अरब न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में ज़ेलेंस्की ने एक बार फिर से दोहराया है कि वे व्लादिमीर पुतिन से कोई बातचीत नहीं करेंगे. हालांकि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच मध्यस्थता की पहल भी हो रही है.

पिछले ही महीने रूस और यूक्रेन के बीच कैदियों की अदला बदली कराने में सऊदी अरब की उल्लेखनीय राजनयिक भूमिका रही है. सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने रूस के साथ बातचीत करके करीब 300 कैदियों को रिहा कराया है.

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ज़ेलेस्की ने प्रिंस सलमान को शुक्रिया कहा


समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक रूस ने यूक्रेन के 215 लोगों को रिहा किया जबकि यूक्रेन ने 55 रूसी लोगों को रिहा किया. इसके अलावा रूस की जेल से 10 दूसरे देशों के लोग भी रिहा हुए. इनमें पांच ब्रिटिश और दो अमेरिकी नागरिक शामिल हैं. इनके अलावा क्रोएशिया, स्वीडन और मोरक्को के एक-एक नागरिक थे.

व्लादिमिर ज़ेलेंस्की ने इसके लिए सऊदी अरब का आभार जताया है. उन्होंने अरब न्यूज़ से कहा, "मैं सऊदी अरब को शुक्रिया कहना चाहूंगा. प्रिंस के रूस के साथ जैसे रिश्ते हैं, उसे देखते हुए कामयाबी मिलने की संभावना थी और मैं इस नतीजे के लिए उनका बहुत आभारी हूं. "

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कैदियों की रिहाई उस मुहिम का ही हिस्सा है जो रूस और यूक्रेन के संकट को देखते हुए प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने शुरू की थी.

जेलेंस्की ने अरब न्यूज़ से यह भी कहा कि वे किसी भी प्रस्ताव के लिए तैयार हैं, लेकिन वह प्रस्ताव परिणाम देने वाला हो. जेलेंस्की यह भी मानते हैं कि युद्ध से हुए नुकसान के बाद यूक्रेन में नए सिरे से आधारभूत ढांचों को खड़ा करना होगा, यह एक तरह से खाड़ी देशों की कंपनियों के लिए भी अवसर जैसा होगा.

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