मुंबई सीरियल ब्लास्ट का दोषी गैंगस्टर अबू सलेम 25 साल बाद छूटेगा! SC ने केंद्र को किस बात पर लगाई फटकार?
नई दिल्ली, 21 अप्रैल। नई दिल्ली, 21 अप्रैल। मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले (Mumbai Serial Blast) में आजीवन कारावास की सजा काट रहे गैंगस्टर अबू सलेम (Gangster Abu Salem) की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के हलफनामे पर कड़ी टिप्पणी की है। सर्वोच्च अदालत के न्यायमूर्ति एसके कौल ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्रायल न्यायपालिका को भाषण न दे। ये बात कोर्ट ने अबू सलेम की याचिका पर सुनवाई के दौरान कही।
गैंगस्टर अबू सलेम ने 25 साल से अधिक की जेल की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वृहस्पतिवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के रुख को खारिज दिया। जिसमें कहा गया था कि सरकार के लिए अबू सलेम के मामले पर फैसला लेने का यह उचित समय नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय फैसला कर सकता है। अदालत ने कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि याचिका समय से पहले है। सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र की ओर से मामले पर फैसला करने के लिए कहने पर आपत्ति जताई। न्यायामूर्ति एसके कौल ने आगे कहा कि गृह सचिव कोई नहीं है जो हमें इस मुद्दे पर फैसला करने के लिए कहे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हमें गृह मंत्रालय के हलफनामे में 'हम उचित समय पर निर्णय लेंगे' जैसे वाक्य पसंद नहीं हैं। उन्होंने गृह मंत्रालय से कहा कि न्यायपालिका को भाषण न दें। जब आप हमें कुछ तय करने के लिए कहते हैं तो हम इसे सहजता से नहीं लेते।
12 मार्च 1993 को मुंबई में दो घंटे के अंदर सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। जिसमें 257 लोग मारे गए और 700 से अधिक लोग जख्मी हो गए थे। हमले का मास्टरमाइंड अबू सलेम पुर्तगाल भाग गया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अबू सलेम को 11 नवंबर, 2005 को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कराया गया। 2017 में मामले में गैंगस्टर अबू सलेम को उसकी भूमिका के लिए कोर्ट ने दोषी ठहराया था। उसे गुजरात से मुंबई हथियार ले जाने का दोषी पाया गया। जिसके बाद उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
कोर्ट से सजा होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर अबू सलेम ने याचिका दायर की है। जस्टिस संजय किशन कौल और एमएम सुंदरेश की खंडपीठ 1993 के बॉम्बे ब्लास्ट इस याचिका पर सुनवाई कर रही है। जिसमें कहा गया है कि भारत ने पुर्तगाल की अदालतों को गारंटी दी थी कि उसकी जेल की सजा 25 साल से अधिक नहीं हो सकती।
वहीं सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से दिए गए हलफनामें कहा गया है कि अबू सलेम का ये दावा कि भारत आश्वासन का पालन नहीं कर रहा है, समय से पहले और काल्पनिक अनुमानों पर आधारित है। इसे वर्तमान कार्यवाही में कभी भी उठाया नहीं जा सकता। न्यायपालिका सभी मामलों को कानून के अनुसार तय करने में स्वतंत्र है। गृह मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा कि सरकार के लिए अबू सलेम के मामले पर फैसला लेने का यह उचित समय नहीं है।
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मंगलवार को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारत सरकार 17 दिसंबर, 2002 को पुर्तागाल को दिए आश्वासन से बाध्य है। तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने यह अश्वासन पुर्तगाल सरकार को दिया था। जिसमें कहा गया है कि अबू सलेम को दी गई कोई भी सजा 25 साल से अधिक नहीं होगी। श्री भल्ला ने कहा कि सरकार का आश्वासन 25 साल की अवधि 10 नवंबर, 2030 को समाप्त होने के बाद प्रभावी होगा।