पूनम सिन्हा को क्यों हैं लखनऊ में जीत का पूरा भरोसा
पूनम सिन्हा कहती हैं कि लखनऊ से चुनाव लड़ना उनके लिए चुनौतीपूर्ण तो है लेकिन इस चुनौती का उन्होंने बहुत ही बहादुरी से सामना किया है. उनका मानना है कि लखनऊ में उन्हें सरकार के ख़िलाफ़ काफ़ी आक्रोश दिख रहा है.
उत्तर प्रदेश में लखनऊ संसदीय सीट की लड़ाई काफ़ी दिलचस्प हो गई है. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह यहां से मौजूदा सांसद हैं और इस बार भी बीजेपी से उम्मीदवार हैं.
कांग्रेस पार्टी ने आचार्य प्रमोद कृष्णन को उतारा है. वहीं सपा-बसपा गठबंधन ने फ़िल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को टिकट दिया है.
पूनम सिन्हा पहली बार चुनाव लड़ रही हैं, लखनऊ उनके लिए नई जगह भी है और उनका मुक़ाबला भी केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से है. बीबीसी के साथ ख़ास बातचीत में उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि उनका किसी से मुक़ाबला नहीं है और वो इस चुनाव को बड़ी आसानी से जीत रही हैं.
इस सवाल के जवाब पर कि आपके सामने एक ओर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह हैं जो पिछली बार भी यहीं से चुनाव जीत चुके हैं. पूनम सिन्हा ने कहा, "मेरे ख़िलाफ़ गृहमंत्री खड़े हैं तो क्या हुआ, मैं भी तो गृहमंत्री हूं, अपने घर की देखभाल करती हूं."
पूनम सिन्हा कहती हैं कि लखनऊ से चुनाव लड़ना उनके लिए चुनौतीपूर्ण तो है लेकिन इस चुनौती का उन्होंने बहुत ही बहादुरी से सामना किया है. उनका मानना है कि लखनऊ में उन्हें सरकार के ख़िलाफ़ काफ़ी आक्रोश दिख रहा है.
वह कहती हैं, "लोग सिर्फ़ प्रत्याशी ही नहीं सरकार भी बदलना चाह रहे हैं. क्योंकि सरकार ने तो कुछ किया ही नहीं है. लोगों की ज़िंदगी तबाह कर दी है. अखिलेश यादव के किए गए काम को इन्होंने आगे बढ़ाने की बजाय, उसे नष्ट करने की कोशिश की है."
पूनम सिन्हा कहती हैं कि फ़िलहाल लखनऊ समेत पूरे देश में 2014 वाला माहौल क़तई नहीं है यानी किसी तरह की कोई लहर नहीं है. इसलिए लखनऊ से भी उन्हें कोई चुनौती नहीं मिल रही है.
राजनीति में क़दम रखने पर वह कहती हैं, ''समाजवादी पार्टी में शामिल होने और लखनऊ से चुनाव लड़ने का फ़ैसला 'हम तीनों यानी शत्रुघ्न सिन्हा, अखिलेश यादव और ख़ुद मेरा' था.''
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लखनऊ लोकसभा सीट बीजेपी का मज़बूत गढ़ माना जाता है. 1991 से लगातार इस सीट पर बीजेपी का ही कब्ज़ा है.
सपा और बसपा इस सीट पर आज तक अपना खाता भी नहीं खोल सकी हैं. बावजूद इसके, पूनम सिन्हा को अपनी जीत की उम्मीद है.
वह कहती हैं, "देखिए कोई सीट किसी की स्थाई नहीं होती है. किसी सीट के बारे में कोई गारंटी नहीं दे सकते हैं. ये लोगों के ऊपर होता है. जिस तरह से मुझे यहां सरकार के ख़िलाफ़ आक्रोश दिख रहा है, उससे मेरे भीतर काफ़ी आत्मविश्वास जगा है."
पूनम सिन्हा के पति और फ़िल्म अभिनेता बिहार के पटना साहिब से बीजेपी के सांसद रहे लेकिन इस बार वो बीजेपी से इस्तीफ़ा देकर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैं और वहीं से चुनाव लड़ रहे हैं.
शत्रुघ्न सिन्हा लखनऊ में कई बार पूनम सिन्हा के पक्ष में प्रचार के लिए भी आ चुके हैं लेकिन पूनम सिन्हा का कहना है कि वो उनका समर्थन करने यहां आते हैं, न कि कांग्रेस के ख़िलाफ़ प्रचार करने.
पूनम सिन्हा कहती हैं, "वो मेरे पक्ष में राजनीति करने नहीं बल्कि नामांकन में मुझे आशीर्वाद देने आए थे. कांग्रेस के ख़िलाफ़ उन्होंने प्रचार नहीं किया. मैं राजनीति में नई हूं, ज़िंदगी में इतना बड़ा क़दम उठाने जा रही थी, इसलिए वो मेरा हौसला बढ़ाने आए थे."
लखनऊ में छह मई को मतदान है. इस सीट पर बीजेपी, कांग्रेस और गठबंधन तीनों ने ही स्थानीय के बजाय बाहरी उम्मीदवारों को उतारा है. साल 1991 से लेकर 2004 तक लगातार इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जीत दर्ज की.
उनके ख़िलाफ़ विपक्षी पार्टियों से कभी राज बब्बर तो कभी मुज़फ़्फर अली और कभी कर्ण सिंह खड़े हुए लेकिन उन्हें कोई हरा नहीं सका.
साल 2009 में बीजेपी से लाल जी टंडन इस सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. 2014 में राजनाथ सिंह इस सीट से चुनाव लड़े और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार रीता बहुगुणा जोशी को करीब पौने तीन लाख मतों से हराया. रीता बहुगुणा जोशी भी अब बीजेपी में हैं और इस समय राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं.