क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

डॉक्टर बनने अब रूस क्यों नहीं जा रहे भारतीय

"बेटा डॉक्टर बनने रूस गया है".

उत्तर भारत के एक शहर में अक्सर ये सुनते हुए मैं बड़ा हुआ हूँ.

आप में से कई लोगों ने भी अपने घर या दफ़्तर में किसी परिचित के बेटे या बेटी के रूस जाकर पढ़ाई करने के बारे में ज़रूर सुना होगा.

खासतौर से मेडिसिन की पढ़ाई कर डॉक्टर बनने वालों के बारे में.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
रूस में भारतीय छात्र, nitin srivastava
BBC
रूस में भारतीय छात्र, nitin srivastava

"बेटा डॉक्टर बनने रूस गया है".

उत्तर भारत के एक शहर में अक्सर ये सुनते हुए मैं बड़ा हुआ हूँ.

आप में से कई लोगों ने भी अपने घर या दफ़्तर में किसी परिचित के बेटे या बेटी के रूस जाकर पढ़ाई करने के बारे में ज़रूर सुना होगा.

खासतौर से मेडिसिन की पढ़ाई कर डॉक्टर बनने वालों के बारे में.

लेकिन क्या आप जानते हैं पिछले कुछ सालों में ये सिलसिला धीमा पड़ता गया है. मुझे भी इसी बात को समझने की जल्दी थी और मॉस्को पहुँच सबसे पहले इसी में लगा.

उस शाम अपने होटल से आरयूडीएन यूनिवर्सिटी पहुँचने में क़रीब एक घंटा लग गया. शहर की भीड़-भाड़ से थोड़ा बाहर है मिकलूखो-मकलाया इलाका.

भामिनी, nitin srivastava
BBC
भामिनी, nitin srivastava

क्योंकि रूस के इस हिस्से में इन दिनों रात का अँधेरा साढ़े ग्यारह के पहले नहीं होता इसलिए शाम छह बजे भी चहल-पहल थी.

गेट पर पहुँचते ही समझ आ गया था कि किसी अंतरराष्ट्रीय विश्विद्यालय में आ चुके हैं, दक्षिण एशिया से लेकर अफ़्रीका और चीन तक के छात्र दिखने लगे.

कैमरा वगैरह निकाल ही रहे थे कि पीछे से हिंदी में आवाज़ आई, "स्वागत है आपका, मॉस्को के ट्रैफ़िक से बचकर पहुँच ही गए".

मुड़ कर देखा तो विशाल शर्मा और भामिनी खड़े मुस्कुरा रहे थे.

दुनिया के कई देशों के छात्र, nitin srivastava
BBC
दुनिया के कई देशों के छात्र, nitin srivastava

रूस में भारतीय छात्र

मेरठ की रहने वाली भामिनी को अब रूस में तीन साल हो चुके हैं. पहले साल तो इन्होनें रूसी भाषा सीखी और पिछले दो साल से मेडिकल की पढाई चल रही है.

यहाँ आकर पढ़ने का सपना तो पूरा हो रहा है, लेकिन एहतियात भी बरतने पड़ रहे हैं.

उन्होंने बताया, "यहाँ सबसे बड़ी बात है कि ख़ुद से अपना ख़याल रखना है, अपनी सेफ़्टी का. यहाँ फ़ैमिली नहीं है, पेरेंट्स नहीं हैं और हमारा खुद का घर नहीं है. अपने-आप रहना है, ख़ुद से डील करना है कि किससे क्या बात करनी है, कहाँ जाना है. डिश वाश करनी है, खाना ख़ुद बनाना है. ओके, सब कुछ है तो बहुत अच्छा, लेकिन ये दुनिया के सबसे बड़े देश का कैपिटल है तो इट कैन नॉट बी 100% सेफ़".

भामिनी के साथ हमसे मिलने विशाल भी आए थे. दिल्ली के रहने वाले विशाल यहाँ पिछले सात सालों से हैं और रूस में 'इंडियन स्टूडेंट्स एसोसिएशन' के अध्यक्ष भी हैं.

विशाल शर्मा, Nitin Srivastava
BBC
विशाल शर्मा, Nitin Srivastava

अब हम कैंपस से बाहर की तरफ़ तरफ़ पैदल चल रहे थे और विशाल ने दूर एक लंबी सी सोवियत-काल के डिज़ाइन वाली (ग्रे या क्रीम रंग वाली इन इमारतों में बालकनी कम और चौकौर शीशे ज़्यादा होते हैं) बिल्डिंग की तरफ़ इशारा किया.

ये छात्रों का हॉस्टल था और हमारा अगला पड़ाव भी क्योंकि विशाल ने भीतर जाने की इजाज़त पहले से ले रखी थी.

ग़ौरतलब है कि मौजूदा रूस में आप किसी भी बिल्डिंग या दफ़्तर या यूनिवर्सिटी वगैरह में बिना इजाज़त अपने बैग से कैमरा निकाल तक नहीं सकते.

क़रीब आठ मंज़िला ऊंचे इस हॉस्टल में लिफ़्ट नहीं है, लेकिन एयर कंडीशन वगैरह चकाचक है. लॉबी में एक डिपार्टमेंटल स्टोर और एटीएम भी है.

मॉस्को में एक मेडिकल कॉलेज हॉस्टल
BBC
मॉस्को में एक मेडिकल कॉलेज हॉस्टल

पढ़ाई का ख़र्च

ये लेडीज़ हॉस्टल निकला और यहाँ हमारी तमाम भारतीय छात्राओं से मुलाक़ात हुई.

एक कमरे में दो छात्र रहते हैं, कॉमन एरिया में पैंट्री में खाना बनाने और वॉशिंग मशीन की सुविधा भी है.

महीने का किराया 12,000 से लेकर 15,000 रुपए तक का आता है.

जबकि मेडिकल की सालाना फ़ीस दो लाख रुपए से लेकर चार लाख तक की हो सकती है.

रूस में 50 से ज़्यादा मेडिकल कॉलेज हैं और अगर मॉस्को में पढ़ना महंगा है तो कुर्स्क या त्वेर जैसे शहरों में पूरा ख़र्च कम आता है.

रूस में 50 से ज़्यादा मेडिकल कॉलेज हैं
BBC
रूस में 50 से ज़्यादा मेडिकल कॉलेज हैं

छात्रों की संख्या घटी

एक ज़माने में ज़्यादा से ज़्यादा भारतीय छात्र रूस में मेडिकल या इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने आते थे. बात तब की है जब शीत-युद्ध का दौर था और भारत-रूस सबसे क़रीबी दोस्तों में थे.

लेकिन समय के साथ छात्रों ने अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का रुख़ करना शुरू कर दिया और रूस इस रेस में थोड़ा पिछड़-सा गया.

रूस आकर पढ़ने वाले इंडियन स्टूडेंट्स में से आज भी 90% मेडिसिन की पढ़ाई कर डॉक्टर बनने आते हैं.

मैंने भामिनी से पूछा क्या वजह है कि छात्रों की संख्या घटी है.

उन्होंने कहा, "यहाँ पर सबसे बड़ा चैलेंज भाषा का मिलता है. अगर आपने सीख ली तो बहुत बढ़िया, नहीं तो फिर दिक्कतें शुरू होने लगती हैं."

जबकि विशाल के मुताबिक़, "पिछले वर्षों में ऐसे कई मामले हुए हैं जिनमें रूस आकर मेडिसिन पढ़ने वाले छात्रों को पहले से नहीं बताया गया था कि पूरी पढाई रूसी भाषा में ही करनी है".

आज भी दुनिया के सवा सौ से ज़्यादा देशों के छात्र रूस में मेडिकल और दूसरे विषयों की पढ़ाई करने आते हैं.

वजह है पढ़ाई का थोड़ा सस्ता होना या फिर दूसरे देशों के मुक़ाबले थोड़ा आसानी से एडमिशन मिलना.

बावजूद इसके पिछले कुछ सालों में कई भारतीय छात्रों के तज़ुर्बे बहुत अच्छे नहीं रहे हैं.

2017 में 'स्मोलेंस्क स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी' के 100 से भी ज़्यादा भारतीय छात्रों को एक साल पढ़ाई कर भारत वापस लौटना पड़ा था क्योंकि उनके मुताबिक़ "उन्हें नहीं बताया गया था कि पूरे छह साल रूसी भाषा में ही पढ़ना पड़ेगा."

पंकज सरन, nitin srivastava
BBC
पंकज सरन, nitin srivastava

छात्रों की संख्या घटने की वजह

मामला रूस में भारतीय दूतावास तक भी पहुंचा था.

रूस में भारतीय राजदूत पंकज सरन ने बीबीसी हिंदी से छात्रों की समस्या के बारे में विस्तार से बात की.

उन्होंने बताया, "सोवियत संघ के ज़माने में यहाँ बहुत स्टूडेंट्स पढ़ते थे, बीच में गिरावट आई. अब कुछ बढ़ोतरी हो रही है. असल में दोनों देशों में थोड़ा इन्फ़ॉर्मेशन गैप है जिसको हमें कम करना है. दूसरा प्रॉब्लम भाषा का आता है क्योंकि सारा पढ़ाने का काम रूसी में है. तीसरा ये कि अभी भी हमारी दोनों सरकारों के बीच में डिग्री रेकग्निशन अभी नहीं हुआ है, इससे भी हमारे जो बच्चे हैं वो थोड़ा संकोच करते हैं आने में".

हक़ीक़त यही है कि पिछले कुछ सालों में इस तादाद में ज़बरदस्त गिरावट आई है. भाषा की मजबूरी के अलावा एक बड़ी वजह भारत में मौजूद एजुकेशन एजेंट्स पर कम होता भरोसा है.

कुछ दिनों बाद मॉस्को के रेड स्क्वेयर पर मेरी मुलाक़ात क़रीब आधा दर्जन मेडिकल छात्रों से हुई. विशाल शर्मा भी वहां पहुंचे थे.

मॉस्को का रेड स्क्वायर, nitin srivastava bbc
BBC
मॉस्को का रेड स्क्वायर, nitin srivastava bbc

रूस ही क्यों जाते रहे हैं छात्र

उन्होंने कहा, "भारत से आने वाले मेडिकल स्टूडेंट्स कंसल्टेंट्स के थ्रू आते हैं. लगभग सभी कहीं न कहीं धोखे में रहते हैं. इन्हें पूरी इन्फ़ॉर्मेशन और गाइडलाइन्स के साथ नहीं भेजा जाता है. जो चीज़ उन्हें बोली जाती है वो चीज़ असल में होती नहीं है. वो यहाँ पर आकर अपना बैगेज लेकर खड़े हुए होते हैं, पता भी नहीं होता है कि आगे का ऐडमिशन प्रोसेस क्या है".

पिछले कई वर्षों में बढ़ती शिकायतों के बाद दोनों देशों की सरकारें इस मुहिम में लगी रही हैं कि रूस जाकर पढ़ने के इच्छुक 'सत्यापित एजेंटस' के ज़रिए ही जाएं.

उस दिन जिन दूसरे छात्रों से हमारी बात हुई वे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गोवा तक से यहाँ पढ़ने आए थे.

इंदौर की रहने वाली अनामिका को लगता है, "ये धारणा ग़लत है कि यहाँ आने वाले छात्रों को बाद में तकलीफों का सामना करना पड़ता है."

उन्होंने कहा, "ये भी ध्यान रखने की ज़रूरत है कि रूस के मेडिकल कॉलेजों की क्वालिटी दुनिया भर में मशहूर है."

रूस में भारतीय छात्र
BBC
रूस में भारतीय छात्र

और जब भारत लौटते हैं...

लेकिन छात्रों के अलावा उनके परिवारों की एक बड़ी चिंता ये भी रही है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौटने पर क्या होगा.

दरअसल, मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया (एमसीआई) का नियम है कि रूस से डॉक्टरी की पढ़ाई कर भारत में प्रैक्टिस करने के लिए एक परीक्षा पास करनी पड़ेगी.

दर्जनों मामले देखे गए हैं जब छात्र इस परीक्षा को पास नहीं कर सके और परेशानी में पड़ गए क्योंकि पढ़ाई के बाद रूस में काम करना मुमकिन नहीं रहता.

जब मैंने अनामिका से यही सवाल पूछा तो उनके मुस्कुराते चेहरे में थोड़ी-सी शिकन ज़रूर दिखी थी.

उन्होंने कहा, "उम्मीद तो यही है कि उस परीक्षा को पास कर लेंगे. नहीं हुआ तब देखेंगे क्या करना है."

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
why is indian not to going russia to become doctor now
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X