कोरोना वायरस का संक्रमण पूर्वोत्तर भारत में न के बराबर क्यों है?
पूर्वोत्तर भारत के दो राज्यों में कोविड-19 का एक भी मामला नहीं है जबकि तीन में आँकड़ा दस से नीचे है. त्रिपुरा में अब तक 156 और असम में 87 मामले सामने आए हैं.
देश के दूसरे इलाक़ों की तुलना में पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में कोविड-19 के केस इतने कम क्यों हैं?
इसकी सीधी वजह है इन राज्यों के लोगों का अनुशासन, सरकारों के सक्रिय क़दम और सीमित अंतरराष्ट्रीय संपर्क.
14 मई को केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने जो आँकड़े जारी किए, उसके मुताबिक़ असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा संक्रमण को क़ाबू करने के मामले में बाक़ी राज्यों की तुलना में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.
2011 की जनगणना के मुताबिक़ इन आठों राज्यों की कुल आबादी 4.57 करोड़ से थोड़ी ज़्यादा है. ताजा आँकड़ों के मुताबिक़ यहां की 1,81,624 की आबादी में सिर्फ़ एक व्यक्ति संक्रमण से पीड़ित है. देश के बाक़ी हिस्से के आँकड़ों की स्थिति इसकी तुलना में काफ़ी ख़राब है. यहां, हर 15,514 की आबादी में एक व्यक्ति संक्रमण का शिकार है.
नगालैंड और सिक्किम में कोविड-19 का एक भी मामला नहीं है जबकि अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मिज़ोरम में मरीज़ों का आँकड़ा दस से नीचे है. पूर्वोत्तर में कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले त्रिपुरा में हैं. यहां कोरोना मरीज़ों की संख्या 155 तक पहुंच गई है. असम दूसरे नंबर पर है और यहां संक्रमित लोगों की संख्या 80 तक पहुंच गई है. मेघालय में संक्रमण के 13 केस हैं.
लोगों के अनुशासन और असरदार लॉकडाउन की तारीफ़
सरकार और मीडिया दोनों ने सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनने और दूसरी सावधानियां बरतने में बेहद संजीदगी दिखाने के लिए पूर्वोत्तर के लोगों की तारीफ़ की है. लोगों ने यहां सार्वजनिक जगहों और घरों में भी काफ़ी अनुशासन दिखाया है. लॉकडाउन उल्लंघन और लोगों के इकट्ठा होने की इक्का-दुक्का घटनाओं को छोड़ कर यहां लगभग पूरी तरह अनुशासन रहा. ऐसा लगता है कि लोगों ने पूरी कड़ाई से लॉकडाउन के नियमों का पालन किया.
पूर्वोत्तर मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लॉकडाउन के दौरान लोगों के व्यवहार और रुख़ की तारीफ़ करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर के राज्यों ने बेहतरीन नज़ीर कायम की है. ये दूसरे राज्यों के लिए आदर्श हैं. महामारी प्रबंधन के मामले में बाक़ी राज्य इनसे काफी कुछ सीख सकते हैं.
#Northeast shows the way.
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) May 12, 2020
Kudos #Manipur and CM Sh @NBirenSingh .
Tungjoy Village Authority have set up 80 huts for Quarantine for their villagers who are going to come from outside the State.Each hut fitted with bed,separate toilet,gas table,water supply and charging socket. pic.twitter.com/oReVSitRrj
असम की अंग्रेज़ी न्यूज़ वेबसाइट INSIDENE की रिपोर्ट के मुताबिक़ जितेंद्र सिंह ने पूर्वोत्तर के लोगों के 'अनुशासन और संकल्प शक्ति' की तारीफ़ की. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन का पालन करके कोरोना वायरस संक्रमण को क़ाबू करने के लिए पूर्वोत्तर के लोगों ने जो जज़्बा दिखाया है, वह काबिलेतारीफ़ है.
सोशल मीडिया में कई वीडियो और फ़ोटो वायरल हो रहे हैं, जिनमें दिखाया गया है कि पूर्वोत्तर के लोग कितनी गंभीरता से सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के नियमों का पालन कर रहे हैं. एक वीडियो के मुताबिक़ हाल में कुछ लोगों ने ज़रूरतमंदों के लिए ग्रॉसरी का सामान बुफे स्टाइल में मेज पर रख दिया है. लोग बड़ी शालीनता के साथ क़तार लगा कर सामान ले रहे हैं जबकि उनके लिए सामान रखने वाले लोग हाथ जोड़ कर उनका अभिवादन कर रहे हैं.
मीडिया रिपोर्टों में मणिपुर के लोगों की सामुदायिकता की भावना का भी ख़ूब ज़िक्र हुआ है. यहां के एक गाँव में लोगों ने देश के दूसरे हिस्सों से आने वाले लोगों के लिए 80 क्वॉरन्टीन हट तैयार किए हैं.
कई फ़ेसबुक यूज़र्स लॉकडाउन के दौरान मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल की सूनी गलियों की तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं जबकि राज्य में सिर्फ संक्रमण का एक केस पाया गया है.
न्यूज़ वेबसाइट ईस्टमोजो की एक टिप्पणी में कहा गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग आपस में गहराई से जुड़े मिज़ो समाज के मिजाज़ के उलट है. दोस्ती और आपसी संवाद, मिलना-जुलना, मिज़ो समाज की पहचान है. लेकिन मिज़ो समाज ने महामारी के ख़तरों को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग को अपना लिया है.
राज्य सरकारों के प्रो-एक्टिव क़दम
पूर्वोत्तर में राज्य सरकारों ने महामारी से लड़ने में अपनी संकल्प शक्ति दिखाई है और वक्त से पहले आगे बढ़कर क़दम उठाया है. आबादी के हिसाब से पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य असम में स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा कोरोना के ख़िलाफ़ जंग में अग्रिम मोर्चे से अगुआई कर रहे हैं.
कोविड-19 के काफ़ी कम मामलों के बावजूद शर्मा ने संक्रमण को क़ाबू करने के लिए कई क़दम उठाए और उन्हें लागू करवाया. पूरे देश में शर्मा ने ये फै़सले सबसे पहले लिए. जैसे, असम पहला ऐसा राज्य बना जिसने सीधे चीनी कंपनियों से बात कर सबसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पीपीई किट मंगवा लिए.
असम ही पहला राज्य है, जिसने स्टेडियम में क्वॉरन्टीन सेंटर शुरू करवाया. राज्य में कोविड-19 के मामले सामने आने से पहले, 30 मार्च को ही 700 बिस्तरों वाला क्वॉरन्टीन सेंटर बन कर तैयार था.
हालांकि आलोचकों का कहना है कि शर्मा कोविड-19 के ख़िलाफ़ तैयारियों का जायज़ा लेने के लिए पूरे राज्य में हेलिकॉप्टर से दौरा कर टैक्सपेयर्स का पैसा बर्बाद कर रहे हैं.
अंग्रेजी न्यूज़ वेबसाइट 'फर्स्टपोस्ट' की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरमा पूर्वोतर में सत्तारूढ़ बीजेपी के बड़े नेताओं में शुमार हैं. लेकिन कोविड-19 संकट के दौरान उन्होंने अपनी राजनीतिक पहचान छोड़ दी है. वह राज्य के सीईओ की तरह काम कर रहे हैं.
पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों ने असम की तरह ही कोविड-19 को क़ाबू करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं. मसलन, सिक्किम ने देश भर में 24 मार्च की आधी रात से ही पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा से पहले ही राज्य में विदेशियों के आने पर रोक लगा दी थी. 6 मार्च को ही राज्य सरकार ने यह फै़सला लागू कर दिया था.
It is our duty to work for the overall development North East. Assam will always work hand in hand with Arunachal Pradesh @PemaKhanduBJP https://t.co/sgxp1Bbs57
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) May 11, 2020
अंग्रेजी न्यूज़ वेबसाइट एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने 7 मई को कहा कि उनकी सरकार बग़ैर अनिवार्य वायरस स्क्रीनिंग के राज्य में घुसने वालों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज करेगी.
पूर्वोत्तर के राज्यों में संक्रमण के सबसे अधिक 155 मामले त्रिपुरा में हैं. कोरोना के पहले दो मरीज़ों के सफल इलाज के बाद राज्य ने अप्रैल के आख़िर में ख़ुद को कोविड-19 फ्री घोषित कर दिया था.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक़ त्रिपुरा में कोविड-19 टेस्टिंग की दर प्रति दस लाख पर 1051 थी. यह दस लाख लोगों पर 470 की टेस्टिंग के राष्ट्रीय औसत से काफी ऊपर है. हालांकि राज्य में बीएसएफ़ के एक कैंप में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में आए उछाल से यहां संक्रमित लोगों की संख्या अचानक बढ़ गई.
पूर्वोत्तर के राज्यों में पुलिसबलों ने लोगों से लॉकडाउन का कड़ाई से पालन कराया. इस इलाके के सोशल मीडिया यूज़र्स लॉकडाउन का उल्लंघन करनेवालों की पुलिस पिटाई के वीडियो पोस्ट कर रहे हैं. लोगों ने इस तरह की पिटाई के ख़िलाफ़ शिकायतें भी की हैं.
वरदान साबित हुई सीमित अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी
पूर्वोत्तर के राज्यों की सीधी एयर कनेक्टिविटी भूटान, थाईलैंड और सिंगापुर जैसे कुछ ही देशों तक सीमित है.
कोविड-19 मामलों पर नज़र रखनेवालों का कहना है कि बाहरी देशों से पूर्वोत्तर की यह सीमित एयर कनेक्टिविटी ही इस इलाके के लिए वरदान साबित होगी. इसी ने यहां कोरोना वायरस संक्रमण की रफ़्तार धीमी करने में अहम भूमिका निभाई होगी.
असम के न्यूज़ चैनल डीवाई-365 (DY-365) में वरिष्ठ पत्रकार कुमुद दास कहते हैं, "भारत के बाक़ी राज्यों की तुलना में पूर्वोत्तर के राज्यों की सीधी कनेक्टिविटी कोरोना वायरस से गंभीर रूप से पीड़ित चीन, इटली, स्पेन और अमरीका जैसे देशों से नहीं है. यही वजह है कि इस इलाके में कोरोना वायरस ने देरी से प्रवेश किया."
कुछ ऐसी ही राय थिंक टैंक ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन की वेबसाइट पर भी जताई गई है. वेबसाइट में प्रकाशित एक टिप्पणी में कहा गया है कि "लगता है पूर्वोत्तर में बड़े अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों की गै़र-मौजूदगी और बाहरी देशों से इसकी सीधी कनेक्टिविटी का न होना इसके लिए वरदान साबित हुआ है."