प्रधानमंत्री जी बिना तैयारी ही लांच कर दिया आइएनएस कोलकाता!
मुंबई।
शनिवार
को
बड़ी
शान
के
साथ
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
देश
में
बनी
पहली
डेस्ट्रॉयर
वॉरशिप
आर्इएनएस
कोलकाता
को
इंडियन
नेवी
में
कमीशंड
कर
दिया
गया।
लेकिन
11
वर्षों
के
बाद
भी
यह
वॉरशिप
इस
हालत
में
नहीं
है
कि
दुश्मनों
का
मुकाबला
कर
सके।
तो क्या यह मान लिया जाए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के रक्षा क्षेत्र में अपनी सरकार के किए हुए दावों को पूरा करने और सरकार के सिर पर श्रेय डालने के लिए जल्दबाजी में इस वॉरशिप को लांच कर दिया?
आइए आपको बताते हैं कि क्या हैं वह वजहें जिसकी वजह से हम यह बात कह रहे हैं और क्यों विशेषज्ञ दबी जुबान से यह बात मान रहे हैं कि अगर युद्ध हुआ तो आइएनएस कोलकाता जवाब देने की तैयारी में भी नहीं आ पाएगा।
- हकीकत जानकर शायद आप हैरान रह जाएंगे लेकिन इस वॉरशिप के कई अहम हथियार, सिस्टम और सेंसर्स या तो अभी तक इस वॉरशिप में लगाए ही नहीं जा सके हैं या फिर उन्हें अभी खरीद जाना बाकी है।
- एक अग्रणी मीडिया संस्थान की ओर से जारी रिपोर्ट पर अगर यकीन करें तो आइएनएस कोलकाता में जिस जमीन से हवा में मार करने वाली बराक-8 मिसाइल को इंस्टॉल किया जाना है, वह पिछले कई माह से भारत और इजरायल आपस में मिलकर विकसित कर रहे हैं।
- बिना बराक मिसाइल के आइएनएस कोलकाता के पास आधुनिक एंटी-शिप मिसाइल से खुद की रक्षा कर पाने को कोई भी जरिया नहीं है।
- बराक मिसाइल कम से कम 70 किलोमीटर से आने वो वाले एयरक्राफ्ट और मिसाइल को इंटरसेप्ट कर उसे खत्म कर सकती है।
- आइएनएस कोलकाता में किसी भी सबमरीन को डिडेक्ट करने के लिए जरूरी प्राइमरी सेंसर्स भी इंस्टॉल नहीं किए गए हैं।
- आइएनएस कोलकाता के पास लांग रेंज के टोड ऐरे सोनार सिस्टम का फायदा भी नहीं है, जो कि अलग-अलग महासागरों की गहराई में मौजूद किसी सबमरीन का पता लगा सके। टोड ऐरे सोनार वह सिस्टम होता है जो किसी भी वॉरशिप के ऊपर लगा होता है।
- इसके आलावा जो सबसे बड़ी चिंता का विषय है वह है कोलकाता में इंस्टॉल प्राइमरी इंजन। इसमें यूक्रेन में बने दो जोरया एम36ई गैस टर्बाइन प्लांट्स लगे हैं। यह दोनों टर्बाइन हालांकि काफी हद तक विश्वसनीय हैं लेकिन अब जबकि यूक्रेन संकट के दौर से गुजर रहा है तो इस बात पर सवाल है कि आखिर आईएनएस कोलकाता को लंबे समय तक इस इंजन के स्पेयर पार्ट्स कैसे हासिल हो सकेंगे।
- चीन लगातार अपनी नेवी की ताकत को बढ़ा रहा है और इस खास बात को ध्यान में रखने के बावजूद आईएनएस कोलकाता की तैयारियों पर पूरा ध्यान नहीं दिया जाना कहीं न कहीं बड़ी विफलता साबित हो सकता है।
इसके बावजूद इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है आईएनएस कोलकाता सर्वश्रेष्ठ डेस्ट्रॉयर है और यह आने वाले समय में भारतीय रक्षा क्षेत्र को एक नई दिशा दे सकता है।