पीएफ़आई पर बैन और भारत के नए सीडीएस की नियुक्ति पर पाकिस्तान के अख़बारों ने क्या लिखा?
पीएफ़आई पर बैन और भारत में नए सीडीएस की नियुक्ति को पाकिस्तान के अख़बारों ने काफ़ी तवज्जो दी है. पढ़ें पाकिस्तान के अख़बारों ने भारत की इन दो अहम ख़बरों पर क्या लिखा?
भारत में पीएफ़आई को बैन करने और नए सीडीएस की नियुक्ति पर पाकिस्तानी मीडिया में खासी चर्चा है.
पाकिस्तान के प्रमुख अख़बार 'डॉन' ने समाचार एजेंसी पीटीआई की ख़बर के हवाले से बताया है कि भारत सरकार की एजेंसी ने देश भर में पीएफ़आई सदस्यों की गिरफ़्तारी के एक हफ़्ते बाद इस पर बैन लगा दिया.
हालांकि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया (एसडीपीआई) के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई है जो इसकी राजनीतिक इकाई मानी जाती है.
अख़बार ने एक सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा है कि चूंकि एसडीपीआई एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी है और चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड है, लिहाज़ा उसके ख़िलाफ़ कोई भी कार्रवाई आयोग ही करेगा.
हालांकि अख़बार ने 'द हिंदू' (भारतीय अख़बार) का हवाला देकर कहा है कि एसडीपीआई के अधिकारियों ने कहा कि वे पीएफ़आई से नहीं जुड़े हैं. लेकिन उन्होंने पीएफ़आई पर बैन का विरोध किया है.
पीएफ़आई पर बैन की चर्चा
द 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने अपने एक संपादकीय में पीएफ़आई के दफ़्तरों में पिछले सप्ताह मारे गए छापों के बारे में कहा कि पिछले क़रीब एक दशक के दौरान दक्षिणपंथी रुझान रखने वाली पार्टी से आगे बढ़ते हुए फासीवादी पार्टी बन गई हैं. वह अपनी प्रतिद्वंद्वी पार्टियों और यहां तक कि आलोचकों को भी राष्ट्र विरोधी बता देती है.
जहां तक पीएफ़आई का सवाल है तो यह संगठन रुढ़िवादी है और कई बार ये विवादास्पद वैचारिक रुख़ अपनाता रहा है. हालांकि इसका 'राष्ट्र विरोधी' व्यवहार बीजेपी के कुछ रुढ़िवादी क़दमों के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतरने वाले संगठनों का समर्थन करने तक सीमित रहा है.
पीएफ़आई अहिंसक प्रदर्शनों में ही शामिल रही है, लेकिन हिंदुत्व आंदोलन ने तो गांधी जी की अहिंसा को धोखेबाज़ी करार दिया है.
पाकिस्तान के प्रमुख आर्थिक अख़बार 'बिजनेस रिकॉर्डर' ने भी इस पर पीएफ़आई पर बैन की ख़बर को प्रमुखता दी है. अख़बार ने पीएफ़आई की प्रतिक्रिया का ज़िक्र किया है जिसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार उससे राजनीतिक दुश्मनी निकाल रही है.
पीएफ़आई पर आरोपों का ज़िक्र
बिजनेस रिकॉर्डर अख़बार के मुताबिक पीएफ़आई ने कहा कि वह किसी भी अतिवादी कार्रवाई को अंजाम नहीं दे रही है. पुलिस ने पीएफ़आई के ख़िलाफ़ देश भर में चल रही कार्रवाई के बाद इसके 300 सदस्यों को गिरफ़्तार किया है.
अख़बार ने भारत के गृह मंत्रालय का हवाला देते हुए कहा कि 2016 से लेकर अब तक दक्षिण भारत में पीएफ़आई कम से कम दस हत्याओं के लिए ज़िम्मेदार है.
इस पर आरोप लगाया गया है कि ये लोगों को कट्टरपंथी बनाने (रैडिकलाइज़ करने) और लोकतंत्र को नुक़सान पहुंचाने के लिए काम कर रहा है. अख़बार के मुताबिक पीएफ़आई के हज़ारों सदस्य हैं और उसने मोदी सरकार की 'अल्पसंख्यक विरोधी' नीतियों के ख़िलाफ़ आंदोलन किए हैं.
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नए सीडीएस की नियुक्ति को अहमियत
'डॉन' ने लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर्ड) को भारत का सीडीएस बनाए जाने की ख़बर को अहमियत दी है. वे बिपिन रावत के बाद देश के दूसरे सीडीएस बनेंगे जिनकी पिछले साल दिसंबर में 11 सैन्य कर्मियों के साथ एक हेलीकॉप्टर हादसे में मौत हो गई थी.
अख़बार ने लिखा कि लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर्ड) की नियुक्ति ऐसे वक़्त हुई है जब भारत के दो अहम पड़ोसियों चीन और पाकिस्तान के साथ संबंध अच्छे नहीं चल रहे हैं. चीन के साथ तो सीमा पर काफ़ी दिनों से तनाव है.
लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर्ड) लंबे समय तक पूर्वी कमान से जुड़े रहे हैं और इसलिए चीन के साथ भारत के तनाव को सुलझाने में उनका अनुभव काफ़ी काम आ सकता है.
2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई टक्कर के दौरान जनरल ऑफ़िसर कमांडिंग इन चीफ़ (जीओसी) थे और इस इलाके में सुरक्षा पुख्ता करने की ज़िम्मेदारी थी.
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'चौहान की चुनौतियां'
'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने भी लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर्ड) की सीडीएस पद पर नियुक्ति की ख़बर को प्रमुखता दी है.
अख़बार ने लिखा कि लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर्ड) की नियुक्ति महीनों की अटकलबाज़ियों के बाद हुई है. जनरल रावत के निधन के बाद काफी दिनों से कयास लगाए जा रहे थे कि सीडीएस का पद किसे दिया जाएगा. अच्छी बात है कि भारत सरकार ने इन अटकलबाज़ियों को अब ख़त्म कर दिया है.
'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने सीडीएस की चुनौतियों का ज़िक्र करते हुए लिखा कि उनकी नियुक्ति ऐसे वक़्त हुई है जब चीन और पाकिस्तान से भारत के संबंध ठीक नहीं हैं. ऐसे में उनकी चुनौतियां और बढ़ गई हैं. उम्मीद है कि भारतीय सेना और उसकी सुरक्षा ज़रूरतों के सामने मौजूद चुनौतियां से निपटने के लिए वो अपने अनुभव का पूरा इस्तेमाल करेंगे.
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'द डेली टाइम्स' ने भी लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर्ड) की सीडीएस पद पर नियुक्ति की ख़बर छापी है.
अख़बार ने लिखा कि इस नियुक्ति का लंबे समय से लोगों को इंतज़ार था. जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद यह पद खाली था. भारत सरकार ने काफ़ी सोच-विचार कर अनिल चौहान को सीडीएस बनाने का फ़ैसला लिया.
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