
Booker Prize 2022: क्या है बुकर प्राइज, कितनी मिलती है इनाम राशि, क्या है 'रेत समाधि' की कहानी?
नई दिल्ली, 27 मई। भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री को उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' को इस बार अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से नवाजा गया है और जिसके साथ ही गीतांजलि श्री बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय हिंदी लेखिका बन गई हैं। मालूम हो कि नोबेल पुरस्कार के बाद बुकर पुरस्कार को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है। यह पुरस्कार लेखनी में अनुपम योगदान देने वालों लेखकों और साहित्यकारों को दिया जाता है।
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आइए जानते हैं इस पुरस्कार के बारे में विस्तार से
- बुकर पुरस्कार की स्थापना सन् 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी।
- इस पुरस्कार में 60 हजार पाउंड की राशि विजेता लेखक को दी जाती है।
- पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था।
- बुकर पुरस्कार का पूरा नाम मैन बुकर पुरस्कार फ़ॉर फिक्शन है।

यह पुरस्कार प्रतिवर्ष दिया जाता है
- जब पुरस्कार पहली बार बनाया गया था तो केवल राष्ट्रमंडल, आयरिश और दक्षिण अफ्रीकी नागरिकों द्वारा लिखे गए उपन्यास ही पुरस्कारों की लिस्ट में शामिल होते थे।
- यह पुरस्कार प्रतिवर्ष दिया जाता है।
जानिए
कब,
कहां,
कैसे
हुई
थी
सुप्रिया
सुले
और
सदानंद
सुले
की
पहली
मुलाकात,
दिलचस्प
है
Love
Story

मैन बुकर पुरस्कार प्राप्त करने वाले 6 भारतीय मूल के लेखक
- 1971 : वी एस नायपॉल (इन ए फ्री स्टेट)
- 1981 : सलमान रूश्दी (मिडनाइट चिल्ड्रेन)
- 1997 : अरुंधती राय (द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स)
- 2006 : किरण देसाई (द इनहेरीटेंस ऑफ लॉस)
- 2008 : अरविंद अडिगा (द ह्वाइट टाइगर)
- 2022: गीतांजलि श्री ( 'टॉम्ब ऑफ सैंड)

क्या है 'रेत समाधि' की कहानी
'रेत समाधि' एक अस्सी साल की महिला की कहानी है, जो विभाजन के दर्द को सहती है और फिर अनेक कष्टों से होती हुई पाकिस्तान तक का सफर तय करती है। जूरी ने इस उपन्यास को भावनाओं का समंदर कहा है और कहा है कि एक औरत की भावनाओं को पूरे दर्द के साथ लिखा गया है, जिसे हर पाठक महसूस कर सकता है।