
भारतीय रेलवे का 'मिशन रफ्तार' क्या है ? रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया
नई दिल्ली, 5 अगस्त: भारतीय रेलवे ने स्पीड मोड पकड़ रखा है। पिछले कुछ वर्षों में रेलवे की रफ्तार पहले ही काफी बढ़ चुकी है। बेहतरीन और अत्याधुनिक कोच इस्तेमाल हो रहे हैं। ट्रैकों का आधुनिकीकरण हो रहा है। नए और बेहतरीन सिग्नलिंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं। इन सबको देखते हुए रेलवे ने 'मिशन रफ्तार' चलाया है, जिसकी वजह से आने वाले समय में रेल यात्रा का पूरा अनुभव बदलने वाला है। सिर्फ रेल यात्रा का ही नहीं। जो लोग रेलवे के जरिए माल ढुलाई का काम करवाते हैं, उन्हें भी अब माल गाड़ी में सामान बुक करवाने का फायदा नजर आएगा।

भारतीय रेलवे का 'मिशन रफ्तार' क्या है ?
भारतीय रेलवे ने यात्री ट्रेनों के अलावा माल गाड़ियों की स्पीड बढ़ाने के लिए मिशन मोड में काम शुरू किया है, जिसे 'मिशन रफ्तार' का नाम दिया गया है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बताया है कि रेल मंत्रालय माल गाड़ियों की औसत स्पीड दोगुना करने और सुपरफास्ट, मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की औसत रफ्तार 25 किलोमीटर प्रति घंटे के हिसाब से और बढ़ाने के लक्ष्य के साथ इस मिशन पर काम कर रहा है। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, 'मिशन रफ्तार एक स्टैंडअलोन परियोजना नहीं है, और मिशन रफ्तार के तहत फंड के समग्र आवंटन और उपयोग की मात्रा निर्धारित नहीं की जा सकती है।'

स्पीड बढ़ाने के लिए ये भी हो रहे हैं काम
मंत्री ने कहा कि ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाना भारतीय रेलवे की एक निरंतर प्रक्रिया है, जो कि तकनीक के आधुनिकीकरण, उच्च शक्ति के लोको, मॉडर्न कोचों और बेहतर ट्रैक में रेलवे की ओर से लगातार निवेश पर निर्भर है। वैष्णव ने कहा कि भारतीय रेलवे अन्य चीजों के साथ-साथ हॉफमैन बुश (एलएचबी) कोच को भी बढ़ा रहा है, जो ज्यादा स्पीड के लिए सक्षम है। इसके तहत पारंपरिक कोचों से चलने वाली यात्री ट्रेनों को मेमू (मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टिपल यूनिट) सेवाओं में परिवर्तित किया जा रहा है।

100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी माल गाड़ी
'मिशन रफ्तार' के तहत और 2015-16 और 2021-22 की अवधि के बीच में 414 यात्री ट्रेन सेवाओं को मेमू सेवाओं में परिवर्तित किया गया है। जहां तक माल गाड़ी की स्पीड बढ़ाने की बात है तो भारतीय रेलवे 3,000 किलो मीटर से ज्यादा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण कर रहा है। इसकी मदद से माल गाड़ियों की रफ्तार भी देश में 100 किलो मीटर प्रति घंटे हो जाएगी। हालांकि, माल गाड़ियों की औसत स्पीड पहले से काफी बढ़ भी चुकी है। वित्त वर्ष 2016-17 से लेकर वित्त वर्ष 2020-21 के बीच माल गाड़ियों की औसत स्पीड 23.7 प्रति घंटे से बढ़कर 41.2 प्रति घंटे हो चुकी है।

टिकटों में छूट खत्म करना बड़ा मुद्दा
इस बीच पिछले कुछ हफ्ते से संसद में सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने के चक्कर में रेलवे पर पड़ने वाले वित्तीय प्रभाव बहस का बड़ा मुद्दा रहा है। बहस इस बात को लेकर शुरू हुई कि रेलवे ने कोविड महामारी के दौरान कुछ श्रेणियों में टिकटों में मिलने वाली रियायतों के हटाने के फैसले को जारी रखने का निर्यण किया है। पहले रियायती टिकटों के हकदारों की कुल 53 श्रेणियां थीं, जो घटकर सिर्फ 15 रह गई हैं। इस लिस्ट से वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली छूट भी हटा दी गई है। कोरोना लॉकडाउन से पहले वरिष्ठों को 50 फीसदी तक टिकटों में छूट मिलती थी।
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रेलवे दे रहा है वित्तीय बोझ की दलील
लेकिन, रेल मंत्रालय ने भारतीय रेलवे की वित्तीय स्थिति को देखते हुए टिकटों में छूट देने वाली पुरानी व्यवस्था पूरी तरह से बहाल करने को लेकर अपनी लाचारी बताने की कोशिश की। 22जुलाई को भी राज्यसभा में एक लिखित जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि, 'भारतीय रेलवे यात्री सेवाओं के लिए कम किराया ढांचे के कारण पहले से ही वरिष्ठ नागरिकों समेत सभी यात्रियों पर औसतन खर्च का 50 फीसदी से ज्यादा भार ढो रहा है। ' बाद में ऐसी भी खबरें आईं कि रेलवे कुछ श्रेणियों की कोच में यात्रा करने वाले बुजुर्गों के लिए रियायत की सुविधा बहाल कर सकता है।