जानिए क्या है एक्ट ईस्ट पॉलिसी जिसे आगे बढ़ाने के मकसद पीएम मोदी गए हैं तीन देशों की यात्रा पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलेशिया के दौरे पर रवाना हो गए हैं। उनका यह पांच दिवसीय दौरा 29 मई से शुरू होकर पीएम मोदी का यह दौरा दो जून को खत्म होगा। अपने दौरे से पहले पीएम मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत की तीनों देशों के साथ एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलेशिया के दौरे पर रवाना हो गए हैं। उनका यह पांच दिवसीय दौरा 29 मई से शुरू होकर पीएम मोदी का यह दौरा दो जून को खत्म होगा। अपने दौरे से पहले पीएम मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत की तीनों देशों के साथ एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी है। पीएम मोदी का कहना है कि उनके इस दौरे का मकसद देश की 'एक्ट ईस्ट' पॉलिसी को आगे बढ़ाना है। साल 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार आई तो उसने इस पॉलिसी पर जोर दिया। अगस्त 2014 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सिंगापुर के दौरे पर गए। यहां पर उन्होंने कहा, 'अब लुक ईस्ट पर्याप्त नहीं है और हमें अब एक्ट ईस्ट पॉलिसी की जरूरत है।' पीएम मोदी भी अब जब तीन देशों की यात्रा पर गए हैं तो उन्होंने फिर से इसी पॉलिसी पर जोर दिया है जानिए क्या है यह पॉलिसी।
क्या है एक्ट ईस्ट पॉलिसी
भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मौजूद देशों के भी सहभागिता को बढ़ावा देने के मकसद से लाई गई थी। इस नीति ने पूर्व सरकारों की ओर से लुक ईस्ट की नीति को एक कदम आगे बढ़ाया था। इस नीति को जब शुरू किया गया तो इसे एक आर्थिक पहल के तौर पर देखा गया था लेकिन अब इस नीति ने एक राजनीतिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक अहमियत भी हासिल कर ली है जिसके तहत देशों कें बीच बातचीत और आपसी सहयोग को बढ़ाने के लिए एक तंत्र की शुरुआत भी कर दी गई है। भारत ने इस नीति के तहत इंडोनेशिया, विएतनाम, मलेशिया, जापान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और आसियान देशों के साथ ही एशियाई-प्रशांत क्षेत्र में मौजूद देशों के साथ संपर्क को बढ़ाया है।
क्या है इसका मकसद
एक्ट ईस्ट पॉलिसी ने भारत-आसियान देशों के बीच मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, व्यापार, स्किल डेवलपमेंट, शहरी विकास और स्मार्ट सिटी के साथ मेक इन इंडिया जैसी पहल पर जोर दिया है। इसके साथ ही साथ देशों के साथ कई तरह के कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स, अंतरिक्ष और नागरिकों के बीच संपर्क बढ़ाना भी इसका मकसद है ताकि क्षेत्र में विकास हो सके और लोग समृद्ध रहें। एक्ट ईस्ट पॉलिसी का उद्देश आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को आगे बढ़ाना और रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाना है। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक इस पॉलिसी में नॉर्थ ईस्ट एक प्राथमिकता है। इस वर्ष गणतंत्र दिवस के मौके पर आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्षों को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया। यह मेहमान इसी नीति के तहत भारत के राष्ट्रीय पर्व का हिस्सा बने थे। पीएम मोदी कई बार एशियाई देशों के दौरे पर इस नीति का जिक्र कर चुके हैं।
क्या है लुक ईस्ट नीति
साल 1991 में जब केंद्र में नरसिंहा राव की सरकार थी तो लुक ईस्ट पॉलिसी को शुरू किया गया। इस नीति भारत के विदेश नीति के संदर्भ में एक नई दिशा और नए अवसरों के रूप में देखा गया। नरसिंहा राव के बाद वाजेपई सरकार और फिर यूपीए सरकार ने भी इसे आगे बढ़ाया। इस नीति का मकसद दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन के महत्व को कम करना है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी भारत की 'लुक ईस्ट' पॉलिसी की सराहना की थी। उनके प्रशासन में विदेश मंत्री रहीं हिलेरी क्लिंटन ने कहा था कि उनका देश भारत की इस नीति का समर्थन करना चाहता है। हालांकि विशेषज्ञों मानते हैं कि अमेरिका ने हिंद और प्रशांत महासागर में अपने प्रभुत्व को बढ़ाने के मकसद से यह बात कही थी।