नेपाल में ओली की पार्टी के सम्मेलन में बीजेपी नेता क्या कर रहे हैं
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी की दसवीं कांग्रेस में शामिल होने के लिए भारत से बीजेपी के वरिष्ठ नेता हर्षवर्धन और उत्तर प्रदेश में बस्ती से लोकसभा सांसद हरीश द्विवेदी पहुँचे हैं.
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी) की दसवीं कांग्रेस चितवन में आज से यानी 26 नवंबर से शुरू हुई है और यह 28 नवंबर तक चलेगी.
अभी नेपाल में सीपीएन-यूएमएल (नेकपा-एमाले) प्रमुख विपक्षी पार्टी है और साथ ही संसद में सबसे बड़ी पार्टी है.
2017 में ओली कम्युनिस्ट पार्टी नेपाल (माओवादी सेंटर) के साथ गठबंधन में दो तिहाई बहुमत से सत्ता में आए थे. यह गठबंधन मई 2018 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के बैनर तले आ गया था, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचंड भी शामिल थे.
लेकिन इस साल मार्च में आपसी विवाद के कारण यह पार्टी टूट गई. पहले प्रचंड अलग हुए और फिर बाद में एक और पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने भी सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टी) बना ली. इसी साल जुलाई में ओली की सरकार गिर गई थी.
पार्टी टूटने के बाद पहली बार यह सम्मेलन हो रहा है. इसी सम्मेलन में ओली को एक बार फिर से पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है. यानी अगले पाँच सालों के लिए ओली पार्टी प्रमुख बने रहेंगे. सोमवार को नए पार्टी प्रमुख की घोषणा की जाएगी. पार्टी के नेताओं का कहना है कि इस सम्मेलन में पार्टी के 2300 प्रतिनिधि शामिल होंगे.
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इस सम्मेलन के समन्वयक सुरेंद्र प्रसाद पांडे ने कहा, ''हमारे पास 2300 प्रतिनिधि हैं. नामों की सूची तैयार हो गई है.''
सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में अन्य पार्टियों के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था. कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा उद्घाटन समारोह में शामिल हो सकते हैं.
ओली की पार्टी के विदेशी मामलों के प्रमुख राजन भट्टराई ने कहा है कि सात पार्टियों को इस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है.
https://twitter.com/drharshvardhan/status/1463924311853441040
विदेशी नेता भी होंगे शामिल
भट्टराई के अनुसार, विदेश के नेताओं के भी सम्मेलन में शामिल होने की उम्मीद है.
बीबीसी नेपाली के अनुसार, भट्टराई ने कहा, ''चार देशों की कुल आठ राजनीतिक पार्टियों के नेता इस सम्मेलन में भाग लेंगे. इसके अलावा 26 से 27 देशों की अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों ने बधाई संदेश भेजा है.''
भट्टराई के अनुसार, ''पड़ोसी भारत से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी कांग्रेस पार्टी के नेता इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. बीजेपी नेता और पू्र्व मंत्री हर्षवर्धन सम्मेलन में शरीक होने पहुँच गए हैं. इसके अलावा सोनिया गाँधी के संदेश के साथ अखिलेश सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की एक टीम भी आ रही है. साथ ही भारत की वामपंथी पार्टियों के नेता भी इसमें शामिल होंगे. भारत के अलावा बांग्लादेश की कम्युनिस्ट पार्टी और श्रीलंका की एक पार्टी के नेता भी आएंगे. कंबोडिया की सत्ताधारी पार्टी के नेता भी आएंगे.''
मोदी सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन नेपाल पहुँच गए हैं. उन्होंने नेपाल के प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शेर बहादुर देउबा के साथ मुलाक़ात की तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट की है.
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https://twitter.com/HarishD_BJP/status/1464099104934404098
हर्षवर्धन के साथ बीजेपी के उत्तर प्रदेश में बस्ती के लोकसभा सांसद हरीश द्विवेदी भी गए हैं. हर्षवर्धन ने अपने ट्वीट में लिखा है, ''नेपाल के प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देउबा से मिलकर खुशी हुई. मेरे साथ मेरे सांसद सहकर्मी हरीश द्विवेदी भी हैं. नेपाल के प्रधानमंत्री से हमने द्विपक्षीय सहयोग, हाइड्रोपावर, ट्रेड, जलवायु परिवर्तन के साथ अन्य मुद्दों पर बात की.''
वहीं हरीश द्विवेदी ने ट्विटर पर लिखा है, ''आज नेपाल की राजधानी काठमांडू में नेपाल के प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष श्री शेर बहादुर देउबा जी से पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन जी के साथ भारतीय प्रतिनिधिमंडल के तौर पर मुलाक़ात हुई.''
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चीन को संदेश?
केपी शर्मा ओली की पार्टी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी) की दसवीं कांग्रेस में भारत की सत्ताधारी और विपक्षी पार्टी के नेताओं का शामिल होना और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं का नहीं आना अपने-आप में एक अहम राजनीतिक मोड़ है.
जब कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता में थी तब भी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल की आम सभा में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का कोई नेता शामिल नहीं हुआ था.
भट्टराई ने कहा है कि कोरोना के कारण चीन के नेता इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं. भट्टराई ने कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने यूएमएल को बधाई संदेश भेजा है.
ओली की पार्टी ने इस सम्मेलन के लिए कई देशों की सत्ताधारी राजनीतिक पार्टियों और वामपंथी पार्टियों को आमंत्रित किया था. कई देशों की पार्टियों ने यूएमएल को बधाई संदेश भेजा है.
भट्टराई के अनुसार, जापान, तुर्की, ग्रीस और अन्य देशों ने यूएमएल को बधाई संदेश भेजा है लेकिन उत्तर कोरिया की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने अब तक कोई संदेश नहीं भेजा है. इसके साथ ही अमेरिका से भी कोई संदेश नहीं मिला है.
प्रचंड की पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) में नेपाली प्रवास समन्वय समिति के अध्यक्ष युवराज चौलंगाई ने बीबीसी हिन्दी से कहा कि बीजेपी नेताओं का ओली की पार्टी की आम सभा में शामिल होना बताता है कि यूएमएल और भारत में मोदी की पार्टी के बीच गहरा संबंध है.
लेकिन ओली जब प्रधानमंत्री थे, तब तो उनकी छवि भारत विरोधी बनी थी और चीन के पक्षधर के रूप में देखा जाता था? इस सवाल के जवाब में युवराज कहते हैं, ''ओली की भारत विरोधी छवि राष्ट्रवाद को हवा देकर सत्ता में बने रहने के लिए थी और अभी सत्ता से बाहर होने पर बीजेपी से क़रीबी बढ़ाना फिर से सत्ता हासिल करने के लिए है.''
युवराज कहते हैं कि ओली हिन्दू राष्ट्रवाद और दक्षिणपंथी राजनीति के क़रीब हो रहे हैं और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का आम सभा में नहीं आना बताता है कि उनकी राजनीति किस दिशा में बढ़ रही है.
युवराज कहते हैं, ''भारत से कम्युनिस्ट पार्टियों के लोग नहीं आए हैं. मुझे पता चला है कि कांग्रेस से भी अभी तक कोई नहीं आया है. इससे ये साबित होता है कि ओली की पार्टी की क़रीबी भारत में भी हिन्दूवादी बीजेपी से है.''
केपी शर्मा ओली जब प्रधानमंत्री थे तो कहते थे कि वे भारत और चीन (तिब्बत) की सीमा पर स्थित 370 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में स्थित कालापानी लिम्पियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्र को वापस लेने के लिए प्रतिबद्ध है. ओली ने कहा था कि "पिछले 58 सालों से भारत के क़ब्ज़े में रहा ये इलाक़ा नेपाल का है. इससे पहले के 146 सालों में ये इलाक़ा नेपाल के कब्ज़े में था."
ओली ने साथ ही कहा, "कुछ लोग नेपाल-भारत के संबंधों में गिरावट के लिए मुझे दोषी ठहराते हैं. पर क्या अगर कुछ मुद्दे हैं तो मैं अपने होंठ सील लूँ?"
ओली के इन बयानों के आधार पर ही भारतीय मीडिया में उनकी छवि भारत विरोधी बनी थी. हालांकि प्रचंड से अलग होने के बाद कहा जाने लगा कि ओली सरकार का रुख़ भारत की मोदी सरकार के प्रति बदल रहा है.
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नेपाल में बीजेपी
इसी साल फ़रवरी में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लब कुमाब देब ने अगरतला में पार्टी के एक कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह का हवाला देते हुए कहा था कि बीजेपी न केवल भारत के सभी राज्यों में, बल्कि नेपाल और श्रीलंका में भी सरकार बनाना चाहती है.
विप्लब कुमार देब ने कहा था कि तब अमित शाह पार्टी प्रमुख थे और उसी दौरान उन्होंने अपनी योजना के बारे में बताया था कि पार्टी विदेशों में भी अपना विस्तार करेगी.
विप्लब ने कहा था, ''गृह मंत्री जी तब राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. मैंने एक बैठक में कहा कि अध्यक्ष जी बहुत स्टेट हमलोग के पास हो गया है. अब तो अच्छा हो गया है. इस पर अध्यक्ष जी ने कहा- अरे काहे अच्छा हो गया है. अभी तो श्रीलंका बाक़ी है. नेपाल बाक़ी है...वहाँ भी तो पार्टी को लेकर जाना है. वहाँ भी जीतना है.''
(इस रिपोर्ट में बीबीसी की नेपाली सेवा से इनपुट लिया गया है)
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