West Bengal:चुनाव आयोग से मिलते ही TMC के सुर बदले, महुआ मोइत्रा ने अब ये कहा
नई दिल्ली: शुक्रवार को बंगाल चुनाव के संबंध में कई तरह के आरोपों के साथ तृणमूल कांग्रेस का एक प्रतिनिधिनंडल ने दिल्ली में चुनाव आयोग से मुलाकात करने पहुंचा। सत्ताधारी पार्टी की ओर से आशंका जताई जा रही थी कि वहां केंद्रीय सुरक्षा बलों की जिस तरह से तैनाती की जा रही है, उससे वहां स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना मुश्किल है। पार्टी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर भी संदेह जाहिर किया था। लेकिन, चुनाव आयोग से मिलकर लौटने के बाद पार्टी की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा के सुर बदले हुए थे और उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को आयोग में पूरा विश्वास है।
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चुनाव
आयोग
में
पूरा
विश्वास
है-महुआ
मोइत्रा
पश्चिम
बंगाल
की
कृष्णानगर
लोकसभा
क्षेत्र
से
सांसद
और
तृणमूल
नेता
महुआ
मोइत्रा
ने
चुनाव
आयोग
से
मिलने
के
बाद
उसमें
पूरा
भरोसा
जताया
है।
एक
टीवी
चैनल
से
बातचीत
में
मोइत्रा
ने
कहा
है
कि
'हमारी
बहुत
अच्छी
बातचीत
हुई
है।
हमें
उम्मीद
है
कि
वह
हमारी
बातों
पर
जरूर
गौर
करेंगे
और
उन्होंने
इसका
भरोसा
भी
दिया
है......
हम
फिर
से
आ
सकते
हैं.........वो
सेंट्रल
फोर्स
के
संबंध
में
गृहमंत्रालय
से
भी
बात
करेंगे........
उन्होंने
हमें
भरोसा
दिया
है
कि
वो
इसको
लेकर
जरूर
कुछ
करेंगे...........
'
ममता
की
चोट
पर
रिपोर्ट
को
लेकर
क्या
कहा
मुख्यमंत्री
ममता
बनर्जी
की
चोट
पर
डिटेल
रिपोर्ट
को
लेकर
उन्होंने
कहा
है
कि
'चुनाव
आयोग
ने
बताया
है
कि
जांच
राज्य
स्तर
पर
पेंडिंग
है
और
इसमें
जितना
स्वाभाविक
समय
लगेगा
उसके
बाद
ही
वो
हमारे
पास
आएगा
और
तब
हम
फिर
से
संपर्क
कर
सकेंगे।
हमें
चुनाव
आयोग
में
पूरा
विश्वास
है।
'
चुनाव
आयोग
की
निष्पक्षता
पर
भी
टीएमसी
उठा
रही
थी
सवाल
इससे
पहले
सौगत
रॉय,
यशवंत
सिन्हा,
मोहम्मद
नदिमुल
हक,
प्रतिमा
मंडल
और
महुला
मोइत्रा
जैसे
तृणमूल
नेताओं
का
एक
प्रतिनिधिमंडल
चुनाव
आयोग
पर
पक्षपात
की
शिकायतों
के
साथ
उससे
मिलने
पहुंचा
था।
पार्टी
की
ओर
से
जो
ज्ञापन
आयोग
को
सौंपा
गया
उसमें
उसी
पर
भेदभाव
का
आरोप
लगाते
हुए
कहा
गया
था
कि
स्वतंत्र
और
निष्पक्ष
चुनाव
अब
बंगाल
में
सच्चाई
से
दूर
लग
रहा
है।
इस
ज्ञापन
के
मुताबिक
'पहली
बात
तो
मीडिया
में
ऐसी
खबरें
हैं
कि
चुनाव
आयोग
ने
फैसला
किया
है
कि
पोलिंग
स्टेशनों
के
100
मीटर
के
दायरे
में
राज्य
पुलिस
की
तैनाती
नहीं
की
जाएगी
और
वहां
सिर्फ
केंद्रीय
बल
तैनात
रहेंगे।
अगर
यह
सच
है
तो
यह
फैसला
चौंकाने
वाला
है
और
इससे
पश्चिम
बंगाल
राज्य
के
पुलिस
प्रशासन
की
प्रतिष्ठा
पर
गंभीर
सवाल
खड़े
होते
हैं।
'
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