पराली के प्रदूषण से दिल्ली को बचाने के लिए केजरीवाल सरकार ने दिया ये विकल्प
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, 'इस साल पूसा इंस्टीट्यूट ने हमें पराली का समाधान दिया है। संस्थान ने एक कैप्सूल बनाया है जो गुड़ और बेसन में मिलाओ और घोल बनाकर छिड़को तो पराली का डंठल गल जाता है।' इसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। दिल्ली सरकार पूसा इंस्टीट्यूट की निगरानी में इस कैप्सूल से घोल बनाएगी।
केजरीवाल ने कहा कि 5 अक्टूबर से इसकी शुरुआत की जाएगी। 12-13 अक्टूबर तक घोल बनकर तैयार हो जाएगा। दिल्ली में 800 हेक्टेयर जमीन पर नॉन बासमती धान उगाया जाता है, जहां पराली होती है और जलाने की नौबत आती है। दिल्ली सरकार किसानों की सहमति से सभी दिल्ली के किसानों के खेत मे मुफ्त छिड़काव करेगी। केजरीवाल ने बताया कि घोल के छिड़काव के 15-20 दिन में डंठल गल जाएगा और खाद बन जाएगी। खाद बनने से उर्वरक कम लगेगा, जमीन भी ज्यादा उपजाऊ बनेगी। इसकी लागत 30 लाख से भी कम आएगी। केजरीवाल ने केंद्र से अपील की है कि आसपास के राज्यों में भी ज्यादा से ज्यादा इसको लागू करवाया जाए।
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उल्लेखनीय है कि बता दें कि हर साल हरियाणा और पंजाब के खेतों में जलने वाली पराली राजधानी दिल्ली के लोगों के लिए जीना मुश्किल कर देती है। वहीं दूसरे विकल्पों के महंगे होने के कारण किसान भी पराली जलाने पर मजबूर होते हैं। इन्हें जलाने से उठने वाला धुआं राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में भयंकर प्रदूषण फैलाता है।