मतदाता पहचान पत्र नागरिकता का सबूत, कोर्ट ने दो आरोपी 'घुसपैठियों' को छोड़ा
नई दिल्ली- मुंबई की एक अदालत ने कहा है कि मतदाता पहचान पत्र नागरिकता के लिए पर्याप्त सबूत है। अदालत ने इसी आधार पर पुलिस की ओर से बांग्लादेशी घुसपैठिए होने के दो आरोपियों को बरी कर दिया है। पिछले 11 फरवरी को एडिश्नल चीफ मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट एएच काशिकर ने अब्बास शेख और उसकी पत्नी रबिया खातून शेख को इसी आधार पर बरी कर दिया। उनपर पासपोर्ट नियमों के उल्लंघन के लिए मामला दर्ज किया गया था। अपने आदेश में अदालत ने कहा कि आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या राशन कार्ड को नागरिकता का सबूत नहीं माना जा सकता है, लेकिन एक सही मतदाता पहचान पत्र भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त है।
इससे पहले मुंबई पुलिस की ओर से अदालत को बताया गया था कि बांग्लादेश में गरीबी और भुखमरी की वजह से कुछ लोग (बांग्लादेशी घुसपैठिये) बिना पुख्ता दस्तावेज के अनाधिकृत रास्ते से भारत में घुस आए और मुंबई में रह रहे हैं। उनके पास भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए कोई सबूत मौजूद नहीं है। सरकारी वकील ने भी कोर्ट में पुलिस की ओर से यही दलील दी। जबकि, कोर्ट ने पाया कि अब्बास शेख ने आधार कार्ड, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पासबुक, हेल्थ कार्ड और राशन कार्ड जमा कराया है और राबिया खातून ने आधार, पैन और मतदाता पहचान पत्र जमा कराया है। कोर्ट ने इन दस्तावेजों को सबूत के तौर पर स्वीकार किया था।
अपने आदेश में कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 'ये नोट किया जाना चाहिए कि आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या राशन कार्ड नागरिकता साबित करने के लिए पुख्ता दस्तावेज नहीं हैं, क्योंकि ये दस्तावेज नागरिकता के लिए नहीं हैं।' लेकिन, कोर्ट ने साफ किया कि, 'चुनाव कार्ड को नागरिकता का पुख्ता प्रमाण माना जा सकता है, क्योंकि इसके लिए आवेदन देते वक्त व्यक्ति को चुनाव प्रतिनिधित्व कानून के फॉर्म 6 के तहत भारत के नागरिक होने की घोषणा करनी पड़ती है और यदि यह गलत पाया जाता है तो उसे सजा दी जा सकती है।' कोर्ट ने इसी आधार पर दोनों आरोपियों को बरी कर दिया।
बता दें कि मुंबई की निचली अदालत का यह आदेश 12 फरवरी के गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश के उलट है, जिसमें कहा गया था कि मतदाता पहचान पत्र या पैन कार्ड, बैंक दस्तावेज को नागरिकता का सबूत नहीं माना जा सकता।
(तस्वीर प्रतीकात्मक)