विनोद वर्मा को मिली जमानत: वो सवाल जिनका अब तक जवाब नहीं दे पाई छग पुलिस और सीबीआई?
नई दिल्ली। पत्रकार विनोद वर्मा को आज 60 दिन बाद रायपुर में सीबीआई की विशेष अदालत ने ने जमानत दे दी। हालांकि इन 60 दिनों में कई सवाल खड़े हुए हैं। बता दें कि 27 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ की पुलिस ने पत्रकार विनोद वर्मा को दिल्ली से सटे गाजियाबाद स्थित उनके आवास से तड़के 3.30 बजे गिरफ्तार किया था। उस दिन पुलिस ने गाजियाबाद स्थित इंदिरापुरम थाने में उनसे 7-8 घंटे तक पूछताछ की और फिर यहां से ट्रांजिट रिमांड लेकर उन्हें छत्तीसगढ़ ले गई। बता दें कि इस पूरे मामले में वर्मा पर आरोप लगाए गए थे कि उनके पास छत्तीसगढ़ की भारतीय जनता पार्टी की सरकार में मंत्री राजेश मूणत की कथित सेक्स सीडी है।
कॉल किसने किया उसकी पहचान तक नहीं बता पाई पुलिस
पुलिस ने दावा किया था कि उनके आवास से कथित सेक्स सीडी की 500 प्रतियां बरामद की गई थी। पुलिस ने कहा था कि वर्मा ने 1,000 सीडी बनवाई थी। प्रकाश बजाज नाम के शख्स ने सीडी की शिकायत की थी। पुलिस ने कहा कि सीडी की कॉपियां बनाने वाले से ही सुराग मिला। हालांकि इस पूरे मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। पुलिस ने जिस प्रकाश बजाज की शिकायत पर जबरन उगाही का केस दर्ज किया था, कॉल किसने किया उसकी पहचान तक नहीं बता पाई।
सीडी फर्जी थी तो ये काम किसका था?
पुलिस की ओर से कहा जा रहा था कि दिल्ली स्थित लाजपत नगर में ही उसकी दुकान हैं लेकिन ऐसा कुछ सामने नहीं आया। जैसा कि कहा जा रहा है कि सीडी फर्जी थी, तो पुलिस और सीबीआई अब तक ये नहीं बता पाई कि ये काम किसका था। जिस तरह इसमें कुछ बीजेपी नेताओं की संलिप्तता सामने आ रही थी तो पुलिस जांच एजेंसी उनकी भूमिका पर चुप है।
1 महीने में CBI ने क्या किया?
बता दें कि शिकायत करने वाले शख्स प्रकाश बजाज ने कहा था कि वर्मा ने उन्हें धमकी दी है कि 'मेरे पास है तुम्हारे आका की CD है।' यह खुलासा तक नहीं हो सकता कि प्रकाश बजाज की ओर से जिक्र किया गया 'आका' कौन है। गौरतलब है कि बीते महीने 16 नवंबर को सरकार ने यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को सौंप दिया था।
कोई राजनीतिक साजिश थी!
हालांकि विनोद वर्मा की गिरफ्तारी के 60 दिन बीत जाने के बाद भी CBI की ओर से चालान पेश किया जा सका। CBI के पास मामला जाने के बाद इस पूरी घटना में क्या हुआ इसकी भी कोई जानकारी सामने नहीं आई थी। आनन-फानन में रात तीन बजे जिस फुर्ती से गिरफ्तारी की लेकिन 60 दिन में चार्जशीट दाखिल ना कर पाना बताता है कि इसके पीछे कोई राजनीतिक साजिश थी।