भारत सही रास्ते पर है या नहीं, ऑक्सफोर्ड के निमंत्रण पर वरुण गांधी का बड़ा फैसला
सांसद वरुण गांधी ने कहा है कि विदेशी धरती पर घरेलू मुद्दे पर बहस करना देश के लिए अहितकर और अपमानजनक है। उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ बोलने के ऑक्सफोर्ड के निमंत्रण को ठुकरा दिया है।
बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने ऑक्सफोर्ड यूनियन की ओर से बहस में बोलने के निमंत्रण को ठुकरा दिया है। उन्हें इस विषय पर बोलने का बुलावा दिया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भारत सही रास्ते पर या नहीं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के चचेरे भाई ने यह कहकर ऑक्सफोर्ड के बुलावे को ठुकराया है कि उन्हें घरेलू चुनौतियों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर आवाज उठाने में कोई योग्यता या ईमानदारी नहीं दिखती है और ऐसा कदम एक 'अपमानजनक कार्य' होगा। गौरतलब है कि अपने ट्विटर वाले बयानों से अक्सर अपनी ही सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करने वाले वरुण गांधी का यह नजरिया ऐसे समय में आया है, जब राहुल गांधी पर लंदन जाकर भारतीय लोकतंत्र की छवि खराब करने और उसका अपमान करने के आरोप लग रहे हैं और भाजपा उनके विवादित बयान पर उनको मांफी मांगने को कह रही है।
वरुण
गांधी
ने
ऑक्सफोर्ड
के
बुलावे
को
ठुकराया
न्यूज
एजेंसी
पीटीआई
ने
एक
सूत्र
के
हवाले
से
कहा
है
कि
वरुण
गांधी
वैसे
तो
सरकार
की
नीतियों
के
आलोचक
रहे
हैं,
लेकिन
जब
उन्हें
मोदी
सरकार
के
खिलाफ
बोलने
का
बुलावा
दिया
गया
तो
उन्होंने
मना
कर
दिया
है।
दरअसल,
ऑक्सफोर्ड
उनसे
चाहता
था
कि
वह
'यह
सदन
मानता
है
कि
मोदी
का
भारत
सही
दिशा
में
है'
के
प्रस्ताव
के
खिलाफ
बोलें,
लेकिन
उन्होंने
इससे
इनकार
कर
दिया
है।
संयोग
से
वरुण
ने
यह
कदम
ऐसे
समय
में
उठाया
है,
जब
उनके
चचेरे
भाई
और
कांग्रेस
नेता
राहुल
गांधी
के
लंदन
में
दिए
बयानों
पर
सत्ताधारी
बीजेपी
हमलावर
है
और
उसे
विदेशी
धरती
पर
भारतीय
लोकतंत्र
का
'अपमान'
बताते
हुए,
उनसे
माफी
मांगने
को
कह
रही
है।
अंतरराष्ट्रीय
मंच
पर
घरेलू
मुद्दे
उठाना
अहितकर
और
अपमानजनक-
वरुण
गांधी
ऑक्सफोर्ड
के
निमंत्रण
को
अस्वीकार
करते
हुए
अपने
जवाब
में
भाजपा
सांसद
ने
यूनियन
से
कहा
कि
भारत
में
उनके
जैसे
नागरिकों
को
आसानी
से
ऐसे
विषयों
पर
चर्चा
करने
और
सरकार
की
नीतियों
के
खिलाफ
आलोचना
करने
का
सार्वजनिक
रूप
से
और
प्रतिष्ठित
संसद
में
भी
निरंतर
मौका
मिलता
रहता
है।
उन्होंने
कहा
है
कि
इस
तरह
की
आलोचना
भारत
के
भीतर
ही
नीति-निर्माताओं
के
लिए
होनी
चाहिए।
उन्हें
देश
के
बाहर
उठाना
अहितकर
और
'अपमानजनक
कृत्य'
होगा।
Recommended Video
'मतभेद
एक
तरफ,
देश
का
विकास
एक
तरफ'
सूत्र
ने
कहा
है
कि
उनके
जैसे
राजनेताओं
को
केंद्र
और
राज्य
स्तर
पर
निजी
तौर
पर
नीतियों
को
लेकर
अपने
मतभेद
हो
सकते
हैं,
लेकिन
देश
के
विकास
में
वे
सभी
समान
पथ
पर
अग्रसर
हैं।
यूनियन
की
ओर
से
वरुण
को
भेजे
गए
निमंत्रण
में
कहा
गया
है
कि
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
के
शासन
में
भारत
ने
वैश्विक
मंच
पर
प्रमुखता
हासिल
की
है।
आर्थिक
विकास
की
नीतियों,
भ्रष्टाचार
के
खिलाफ
कार्रवाई
और
'इंडिया
फर्स्ट'
को
बढावा
देने
के
लिए
उनकी
सराहना
होती
है।
लेकिन,
दूसरी
तरफ
उनकी
सरकार
को
कृषि
क्षेत्र
में
बढ़ते
असंतोष,
धार्मिक
गुटों
में
विवाद
और
स्वास्थ्य
और
शिक्षा
के
क्षेत्र
में
ज्यादा
नहीं
कर
पाने
या
ठीक
से
नहीं
संभालने
के
लिए
आलोचना
भी
की
जा
रही
है।
'राष्ट्रीय
बहस
में
भागीदारी
करना
एक
प्राथमिकता'
उन्हें
दिए
गए
निमंत्रण
में
लिखा
गया
है,
'वोटरों
के
बीच
लगातार
मजबूत
लोकप्रियता
के
बीच,
इस
बात
पर
चर्चा
करना
जरूरी
है
कि
क्या
मोदी
की
अगुवाई
में
बीजेपी
की
दिशा
एकजुट
करने
की
तुलना
में
ज्यादा
ध्रुवीकरण
करने
वाली
रही
है।
तब
सवाल
उठता
है-भारत
के
लिए
क्या
(या
कौन
सा
)
रास्ता
सही
है,
क्योंकि
यह
भविष्य
से
जुड़ा
है?
'
इसके
जवाब
में
पीलीभीत
के
सांसद
ने
कहा
है,'एक
चुने
हुए
जनप्रतिधि
के
रूप
में
मैं
इसे
अपना
काम
मानता
हूं
कि
नीतिगत
पहलों
का
अध्ययन
और
मूल्यांकन
करके
और
फीडबैक
देकर;राष्ट्रीय
हित
के
मुद्दे
उठाकर
और
उसका
संभव
समाधान
बताकर;
उचित
चिंताओं
को
उठाकर
और
जनता
के
साथ
जुड़कर
हमारे
सिस्टम
को
मजबूत
करना
है।'
'संसद
और
अन्य
मंचों
दोनों
के
माध्यम
से
लगातार
और
सकारात्मक
तरीके
से
राष्ट्रीय
बहस
में
भागादारी
करना
एक
प्राथमिकता
है।'
उन्होंने यह भी कहा है कि भारत विकास और समावेशिता के सही रास्ते पर है। उन्होंने इसके लिए पिछले सात दशकों से हुए कार्यों को शामिल किया है। उन्होंने कहा है कि हर जीवंत लोकतंत्र अपने नागरिकों को मुद्दों पर बहस करने का अवसर और आजादी देता है। एक लेखक, पब्लिक पॉलिसी कमेंटेटर और संसद सदस्य के रूप में ऐसे कार्यक्रम में भाग लेना एक सार्थक योगदान है, लेकिन उन्हें जिस टॉपिक पर बोलने के लिए कहा गया, उसपर उन्होंने कुछ कहने पर अपनी असमर्थता जताई है।