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Chamoli Tragedy: कहीं 'वॉटर पॉकेट' फटने से तो नहीं आई उत्तराखंड में त्रासदी, जानिए क्‍या कहना है वैज्ञानिकों का

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नई दिल्‍ली। देवभूमि उत्तराखंड में रविवार कभी न भूलने वाली त्रासदी से गुजरा। ग्‍लेशियर टूटने के बाद बादल फटने से रौद्र हुई धौलीगंगा ने देखते-देखते चमोली शहर में तांड़व मचा दिया। 10 से ज्‍यादा लोगों की मौत हो गई और 125 से अधिक लोग लापता हैं। प्रमुख जलवायु वैज्ञानिकों ने का कहना है कि ये घटना दुलर्भ है। वैज्ञानिकों की मानें तो ये जलवायु परिवर्तन की घटना हो सकती है। आईआईटी इंदौर में सहायक प्रोफेसर मोहम्‍मद फारूक ने बताया कि इस संभावना को दरकिनार नहीं किया जा सकता कि इस क्षेत्र में ग्‍लेशियर के अंदर वॉटर पॉकेट या झील हो सकती है जो अचानक उफन पड़ी हो और ऐसी आपदा आई हो। आजम ने कहा कि हालांकि सैटेलाइट और गूगल अर्थ इमेज में हिमाच्छादित झील नहीं दिखते हैं।

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Chamoli Tragedy: कहीं वॉटर पॉकेट फटने से तो नहीं आई उत्तराखंड में त्रासदी, जानिए क्‍या कहना है वैज्ञानिकों का

उन्‍होंने कहा कि हमें इस बात को पुख्‍ता करने के लिए और भी रिसर्च की जरूरत है और मौसम की रिपोर्ट को खंगालने की जरूरत है। इससे ये साफ हो सकेगा कि क्‍या वाकई में वॉटर पॉकेट फटने के चलते ऐसा हुआ है। हालांकि इस बात की संभावना बहुत कम है कि बादल फटने के चलते ऐसा हुआ है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि चमोली मौसम विभाग ने बारिश की कोई संभावना नहीं बतायी थी। मौसम विभाग ने कहा था कि चमोली में धूप खिली रहेगी। उन्‍होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि ग्‍लोबल वॉर्मिंग के चलते ताममान बढ़ा है। जलवायु में इस परिवर्तन ने मौसम के पैटर्न को बढ़ाया और परिणाम के तौर पर बर्फबारी और बारिश देखने को मिली।

वहीं इस साल सर्दी भी कम पड़ी है जिसके चलते बर्फ में थर्मल प्रोफाइल बढ़ रही है। जहां पहले बर्फ का तापमान माइनस 20 डिग्री तक हुआ करता था वहां अब ये माइनस 2 डिग्री है। इसके कारण बर्फ जल्‍दी-जल्‍दी पिघल रही है। हैदराबाद में इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में रिसर्च डायरेक्टर और एडजंक एसोसिएट प्रोफेसर अंजल प्रकाश ने कहा कि पहली नजर में ये घटना जलवायु परिवर्तन का है। अंजल प्रकाश ने बताया कि ग्‍लेशियर किस वजह से टूटी इसकी जानकारी तो नहीं दी जा सकती लेकिन ग्‍लोबल वॉर्मिंग इसके लिए मुख्‍य वजह है।

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English summary
Uttarakhand's Chamoli Tragedy: Disaster May be Due to Water Pocket Burst, Know What Climate Scientists says
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