राष्ट्रपति चुनाव में यूपी के विधायकों की क्यों होती है सबसे ज्यादा कीमत?
नई दिल्ली, 9 जून: भारत निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है। 18 जुलाई को होगा राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट पड़ेंगे और 21 जुलाई को नतीजों का ऐलान किया जाएगा। चुनाव आयोग ने बताया है कि सांसद के वोट की वैल्यू 700 होगी। कुल वोटों का मूल्य 10 लाख 98 हजार 803 होगा जबकि कुल वोटों की संख्या 4,809 होगी। इस बीच उत्तर प्रदेश के विधायकों की वोट की वैल्यू को लेकर भी चर्चा है, आखिर क्यों राष्ट्रपति चुनाव में यूपी के विधायकों की ज्यादा अहमियत होती है।
उत्तर प्रदेश के MLA की वोट का मूल्य ज्यादा कैसे
राष्ट्रपति चुनाव की जो वर्तमान व्यवस्था है, वो 1974 से चल रही है। इसमें 1971 की जनसंख्या को आधार माना गया है। विधायक के वोट की कीमत उसके राज्य की 1971 की आबादी के हिसाब से तय किया जाता है। राष्ट्रपति चुनाव में अपनाई जानेवाली आनुपातिक प्रतनिधित्व प्रणाली के हिसाब से प्रत्येक वोट का अपना मूल्य होता है। सांसदों के वोट का मूल्य निश्चित है मगर विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग राज्यों की जनसंख्या पर निर्भर करता है।
विधायक के वोट की कीमत राज्य की जनसंख्या के हिसाब से
राष्ट्रपति चुनाव के लिए 1971 की जनसंख्या के हिसाब से विधायक के राज्य की आबादी/राज्य के विधायकों की संख्या गुणा 1000 से होता है। राज्य के सभी विधायकों के वोटों का मूल्य उतना ही होता है, जितना सभी सांसदों के वोटों का मिलाकर होता है। ऐसे में देश में सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 है। वहीं सबसे कम जनसंख्या वाले प्रदेश सिक्किम के वोट का मूल्य सात ही है।
24 जुलाई को खत्म होगा रामनाथ कोविंद का कार्यकाल
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है, ऐसे में अगले राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए चुनाव आयोग ने कार्यक्रम का ऐलान किया है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए 15 जून को अधिसूचना जारी होगी। 29 जून तक नामांकन किए जा सकेंगे। 18 जुलाई को वोटिंग और 21 जुलाई को नतीजों के ऐलान के साथ ही देश को नया राष्ट्रपति मिल जाएगा। देश का पिछला राष्ट्रपति चुनाव जुलाई 2017 में हुआ था। चुनाव में एनडीए के रामनाथ कोविंद को जीत मिली थी। जिसके बाद 25 जुलाई 2017 को देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने अपना पदभार ग्रहण किया था।
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