कृष्णानंद हत्याकांड: मुख्तार अंसारी समेत 5 को बरी करने के खिलाफ HC जाएगी योगी सरकार
लखनऊ। पूर्व विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड मामले में दिल्ली की सीबीआई कोर्ट ने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी, उसके सांसद भाई अफजाल अंसारी व अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए भले ही बरी कर दिया हो, लेकिन सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में अपील करने का फैसला किया है। यूपी सरकार कृष्णानंद राय हत्याकांड मामले में आरोपियों के बरी होने के खिलाफ अपील करेगी।
गौरतलब कि बुधवार को सीबीआई न्यायालय ने 14 साल पुराने कृष्णानंद राय हत्याकांड में पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी और उसके भाई अफजाल अंसारी समेत सभी आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। कृष्णानंद राय व उनके 6 अन्य साथियों की 29 नवंबर 2005 को गाजीपुर में एके 47 से हत्या कर दी गई थी। बताया जाता है कि इस घटना में 400 से अधिक राउंड फायरिंग की गई थी। वारदात में सीधे तौर पर मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया था। हालांकि घटना के समय मुख्तार जेल में बंद था और सीबीआई ने उसे 120 बी (साजिश रचने) का मुल्जिम बनाया था।
Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath has taken cognizance of the Judgement in the Krishnanand Rai case. The government shall examine the judgement and file appeal in the High Court. pic.twitter.com/NKXJKWpfb4
— ANI UP (@ANINewsUP) July 4, 2019
क्या था पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की मोहम्मदाबाद सीट से 2002 में बीजेपी ने कृष्णानंद राय को उम्मीदवार बनाया जिसमें उन्होंने जीत हासिल की. इसके बाद से ही मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय में दुश्मनी बढ़ने लगी। जानकरी के मुताबिक यूपी टास्क फोर्स ने कृष्णानंद राय को आगाह किया था कि उनकी हत्या का प्रयास हो सकता है। एक समारोह से लौटते हुए साल 2005 में कई हथियार बंद लोगों ने कृष्णानंद राय के काफिले पर एके-47 और कई ऑटोमैटिक हथियार से हमला किया। जिसमें राय और उनके कुल 6 साथियों की हत्या कर दी गई थी। हमलावरों ने 6 एके-47 राइफलों से 400 से ज्यादा गोलियां चलाई थीं। मारे गए 7 लोगों के शरीर से 67 गोलियां बरामद की गईं इतना ही नहीं मुखबिरी इतनी सटीक थी कि अपराधियों को पता था कि कृष्णानंद राय अपनी बुलेट प्रूफ गाड़ी में नहीं हैं।
विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की एक साथ हत्या से तब गाजीपुर ही नहीं बल्कि पूरे यूपी और बिहार में भी हड़कंप मच गया था। हत्याकांड के विरोध में लगभग एक हफ्ते तक गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़, वाराणसी में आगजनी, तोड़फोड़ और आंदोलन चलते रहे थे। घटना के बाद राजनाथ सिंह ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर अनशन भी किया था और उसी दौरान अटल बिहारी वाजपेई वाराणसी पहुंचे थे और हत्याओं के खिलाफ न्याय यात्रा को रवाना किया था।