जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा ठप, मीडिया तक नहीं पहुंच रही घाटी की जमीनी हकीकत
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा सस्पेंड होने की वजह से लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। इंटरनेट बंद किए जाने से मीडियाकर्मियों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने अपने परेशानी को व्यक्त किया है। इनमें से एक द हिंदू की संपादक रहीं और वर्तमान में द हिंदू समूह की प्रकाशन कंपनी की सह-अध्यक्ष मालिनी पार्थसारथी ने ट्वीट कर कहा है कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे श्रीनगर के संवाददाता इंटरनेट सेवा बंद होने की वजह से रिपोर्ट फाइल करने में सक्षम नहीं है।
उन्होंने कहा कि वहां पर एक रिपोर्टर होने के बावजूद कश्मीर की जमीनी हकीकत को स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट करने में हम सक्षम नहीं है। मालिनी पार्थसारथी के ट्वीट पर कई सारे पत्रकारों ने अपनी राय भी रखी है। इनमें से एक हैं पत्रकार-लेखक और द हिन्दू के स्थानीय संपादक अमित बरुआ ने कहा है कि मैंने साल 1989 से 1995 के बीच द हिन्दू और फ्रंटलाइन इंडिया के लिए विषम परिस्थितियों में कश्मीर में रिपोर्टिंग की है। मैं हमेशा अपनी स्टोरी को आगे बढ़ाने में कामयाब रहा। लेकिन आज यह देखकर बहुत दुख होता है कि हमारे पत्र-पत्रिकाओं में श्रीनगर की कोई भी स्टोरी नहीं है।
It’s very unfortunate that our Srinagar correspondent @peerashiq has not been able to file reports from the ground because of the communications shut-off. We aren’t able to independently report the ground reality in Kashmir, despite having a reporter there! https://t.co/8p4DKDfIO4
— Malini Parthasarathy (@MaliniP) August 6, 2019
बता दें कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद को सोमवार को खत्म करने से पहले सरकार ने राज्य में इंटरनेट सेवा स्थगित कर दी है। इसके अलावा राज्य में भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। धारा 144 भी लगाई गई है। जिसकी वजह से लोगों को परेशानी का सामना उठाना पड़ रहा है। मोदी सरकार में गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा और फिर लोकसभा में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिलाने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने का प्रस्ताव पेश किया। सरकार ने अपने प्रस्ताव में कहा कि लद्दाख अलग केंद्र शासित राज्य बनेगा जबकि जम्मू-कश्मीर भी केंद्र शासित बनेगा लेकिन यहां विधानसभा रहेगी।
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